Saturday, December 19, 2009

आखिर मुसलमान ही क्यों।

इतिहास गवाह है, की भारत पर सदियों से विदेशी आक्रमण होते रहे है, चाहे वो पुर्तगाली हो या ढच या फ़्रांसिसी या अंग्रेज या मुसलमान , सबने भारत में कर के अपना अपना उल्लू सीधा किया है, मकसद सबका एक ही था भारत को लूटना और हो सके तो भारत पर अपना अधिकार जमानाऔर सबने किया भी पुर्तगाली, ढच और फ़्रांसिसी ज्यादा सफलता प्राप्त नहीं कर पाए लेकिन अंग्रेजो ने बाजी मारी और भारत की किश्मत ही बदल दी

लेकिन मुसलमान राजावो की नियत में कुछ और ही था , वो तो भारत को दुबई बनाना चाहते थे , भारत में मुसलिम राज्य की स्थापना के साथ -साथ भारत में मुस्लिम आतंक की स्थापना करने में भी सफल रहे , चाहे वो जजिया कर हो या सरकार में हिन्दुवों की भागीदारी, दोनों में मुस्लिम सम्राटो ने भारत के मूल निवाशियों को बाकि समाज से अलग करने की पूरी कोशिश की

आखिर ऐसी क्या वजह है, की सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम सम्राटो ने पुरे उत्तरी भारत में फैले हुए प्रमुख हिन्दू मंदिरों को अपना निशाना बनाया और उनको मश्जिद या मकबरों में बदल दियाबात सिर्फ अयोध्या , काशी और मथुरा की ही नहीं है, ऐसे हजारो मंदिरों को मुस्लिम सम्राटो ने अपना निशाना बनायाआप लोग आगरा का ताज महल ले लें , दिल्ली की कुतुबमीनार को ही ले लें , दिल्ली की कुतुबमीनार में आज भी साफ -साफ नजर आता है की ये किसी ज़माने में हिन्दू मंदिर था

आखिर मुसलमान सम्राटो ने ही ऐसा क्यों किया हिंदुस्तान के साथअंग्रेजो, पुर्त्गालियो या फ्रंसिसियौं ने तो ऐसा नहीं किया




Saturday, December 12, 2009

भारत को ब्रिटिश शासन की देन

भारत में अंग्रेजो ने लगभग २०० वर्ष तक राज्य किया और अंग्रेज १९४७ में शान्ति पूर्ण तरीके से भारतीयों के हाथो में शासन की बागडोर दे कर के चले गएइतने लंबे समय के शासन काल में महत्तवपूर्ण देन छोड़ जाना स्वाभाविक भी है

  1. भारत -सबसे पहले तो वो पुरे भारत को एक सूत्र में बाँध गए, भारत में अंग्रेजो के आने से पहले दक्षिण भारत के लोग शेष भारत से आम तौर से अलग थे, केवल कुछ थोड़ा बहुत समय अपवाद की तरह मिलता है। उस दौरान भारत, देशी रियासत और भारत में बंटा था।
  2. राष्टीय भावना -अंग्रेजी शासन की सबसे बड़ी देन है भारतीयों में राष्ट्रीय भावना का उत्तपन्न होना, अंग्रेजो की वजह से ही भारतीय लोग यूरोपीय देशो के करीब आए, जब भारतीयों ने यह देखा की जब जर्मनी और इटली के लोग अपनी स्वतंत्रता को वापस ला सकते हैं तो हम क्यों नही। और राष्ट्रीय भावना पैदा होने में सबसे बड़ी भूमिका रही है अंग्रेजो की शिक्षा पद्दति या कह ले की अंग्रेजी भाषा की जानकारी ।
  3. लोकतंत्रीय सरकार -भारत का मौजूदा संविधान देश में लोकतंत्रीय सरकार की स्थापना करता है। इसका योगदान ब्रिटिश सरकार को ही जाता है, जिसकी सुरुवात अंग्रेजो ने १८५३ में किया और जरुरत के हिसाब से समय - समय पर इसमें बदलाव लाते रहे, ब्रिटिश सरकार ने १८६१, १८९२, १९०९, १९१९ और १९३५ में संविधान में जरुरी बदलाव भी किए। ब्रिटिश सरकार ने भारत को संसदीय प्रणाली से परिचित कराया , और उसी के बल पर आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा और सफल लोकतंत्रीय देश कहलाता है।

  4. प्रशाशन प्रणाली - मौजूदा प्रशाशनिक प्रणाली से पहले हिंदुस्तान की प्रशाशनिक प्रणाली सिर्फ़ राजा की मर्जी पर ही चलती थी, राजा ही न्याय करता था चाहे राजा इस योग्य हो या ना हो, ब्रिटिश सरकार ने इसको बदल करके योग्य लोगो को मौका दिया, पढ़े लिखे भारतीयों को सरकार ने नौकरी पर रखा। अलग -अलग विभाग बनाये गए जिस से जनता को और सरकारी कर्मचारिओं को काम करने में आसानी हो।
  5. भारत का अतीत -मुष्लिम या मुग़ल काल में भारत अपने पहचान को भूल चुका था, अंग्रेजो ने इस दिशा में बहुत ही महत्वा पूर्ण काम किया, अंग्रेजो के प्रयास से भारत के लोग ब्राम्ही लिपि को समझ पाए, भारत का इतिहास आम आदमी भूल चुका था, भारत को अपना अतीत याद दिलाने में महत्वा पूर्ण योगदान रहा है, डॉ वी ए स्मिथ का सबसे बड़ा योगदान रहा है उन्होंने प्राचीन भारत के इतिहास पर सबसे अधिक काम किया.

Sunday, December 6, 2009

बाबर था सबसे बड़ा आतंकवादी

१५ वीं शदी मैं एक खूंखार आतंकवादी हिंदुस्तान मैं घुस आया था जो की बिदेशी था जैसे आज पाकिस्तानी और उसने जम कर के लोगो का कत्ले आम किया साथ ही साथ महत्वपूर्ण मंदिरों को तुड़वाकर के मश्जिद का रूप दिया, शायद लोग ये भी भूल गए की अकबर को छोड़कर जितने भी मुष्लिम राजावो ने भारत पर राज्य किया, उन्होंने सिर्फ़ और सिर्फ़ हुन्दुओं का दमन ही किया है, चाहे वो मन्दिर तोड़कर के या चाहे जजिया कर लगा कर के। तब कंहा थी लोगो सोच, क्यों नही आपने अपने समाज के खिलाफ आवाज उठाई की बदलो अपने आप को ये हिंदुस्तान है, पाकिस्तान नहीगलती हमारे बुजुर्गो की है जिसकी सजा हमें भुगतनी पड़ रही है

कुछ गद्दार भारतीय


(इस ब्लोग का नाम आपने बिल्कुल सही रखा है..."बेकार की बकवास" ये लेख इस बात का सबसे बडा उदाहरण है...1853 से चिल्ला रहे हो...राम मंदिर, जन्म भुमि....लेकिन आजतक साबित नहीं कर सके॥और आगे भी नही कर सकते हो..क्यौंकि जब कुछ ऐसा है ही नही तो मिलेगा कैसे।)
काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif said... ये टिप्पडी दी श्रीमान काशिफ आरिफ जी,
हमे साबित करने की कोई जरुरत नही है। ये सिर्फ़ आप जैसे कुछ लोगो की वजह से लटका पड़ा है , आप बात करते है १८५७ से । उस समय की अगर बात करेंगे तो शायद आप के बुजुर्ग भी हमारे साथ थे, श्रीमान, आप या आपके बुजुर्ग कंही बिदेश से नही बल्कि आप और आपके बुजुर्गो की जन्मस्थली भी येही हिंदुस्तान ही है जो हमारी है, आप की उत्पति भी हमारे जैसी ही है, न की बाबर की जैसी। जो पैदा कंही हुआ और सपने कंही और के देखने लगा। बस आप के लोगो मैं येही कमी है की आप बाबर के बिचारो से उपर नही सोच पाते, अगर सोचते तो शायद आज ये नौबत नही आती। आज जरुरत है तो साथ साथ मिलकर के चलने की और वो तभी हो सकता है जब आप लोग हमारा साथ देंगे न की विरोध,

आखिर कलंक मिट ही गया.

आखिर उसका वजूद ख़त्म हो ही गया कई सौ सालो से लोगे के सीने पर सांप लोट रहा था , करते भी क्यों नही हमारी चीज तो हमारी ही रहेगी , आज १८ साल पुरे हो गए लोगो को अपनी क़ुरबानी दिए हुए , जाने कितने गुमनामी मैं शहीद हो गए और जाने कितनो को चिता की लकड़ी भी नसीब नही हुई , आज का दिन बहुत ही शुभ दिन है उन कार सेवको की क़ुरबानी को याद करने के लिए, जिन्होंने अपनी परवाह करते हुए उस कलंक को ही मिटा दिया जिसे लेकर देश की जनता और देश की सरकार पिछले कई दसको से परेशान चल रही थीपरेशानी का सबसे बड़ा कारन भी हमारे देश की ही जनता है, लेकिन क्या कर सकते है, वही पुराना जुमला असहयोग , तुम्हारा हमारा , प्यार से कह कह करके थक गए तो क्या करते

मेरे कुछ देश वाशी यों को काफी तकलीफ हुई बाबरी मस्जीद गिर जाने से

Friday, December 4, 2009

क़ुरबानी मैं जानवर ही क्यों.-जरुरत है रिवाज बदलने की

आखिर क़ुरबानी में जानवरों को ही कुर्बान क्यों किया जाता हैक्या इंसानों और जानवरों को जीवन देने वाला भगवान या आल्लाह सचमुच इस बात के लिए आज्ञा देता है इंसानों को ? शायद नही, क्योंकि उसकी नजर में सभी जीव जंतु चाहे वो इन्सान के रूप में हो या जानवर के रूप में सब बराबर हैंबलि की प्रथा प्राचीन काल से चली रही है, हजारो सालो से इंसानों ने अपनी मनो कामना पूर्ण करने के लिए देवी और देवातावो और अल्लाह के सामने जानवरों का क़त्ल किया है, मगर कालांतर में आते -आते कुछ समाज ने इस प्रथा का बहिस्कार भी किया है, खास कर के अगर उत्तर भारत में देखा जाए तो माता वैष्णो को बलि के रूप में नारिअल तोडा जाता है . साउथ इंडिया में भी बलि का रिवाज ख़त्म हो गया है, नेपाल या गडवाल में कुछ रूप में बलि की प्रथा आज भी प्रचलित है साथ साथ बंगाल और आसाम में भी

भारत के (हिंदू वर्ग) के लोगो ने अपने आप को समय के साथ बदलना सिखा है और सदियों से जब जब जरुरत पड़ती रही है अपने आप को और अपनी परम्परा में अपनी जरुरत के हिसाब से बदलाव किया है, और सही भी है, आज अगर हमें चावल नही मिला तो हम रोटी ही खा लेंगे और दाल नही मिली तो सब्जी से कम चल जाएगा

आज जरुरत है तो मुष्लिम समाज को अपनी परम्परा को बदलने की , जरुरी नही है की सदियों पुरानी परम्परा को आज भी उसी तरह से चलायें, समय के हिसाब से बहुत कुछ बदल गया हैकिसी ज़माने में मुष्लिम धर्म में फ़िल्म और फोटो पर प्रतिबन्ध था मगर आज अफगानिस्तान को छोड़कर के लग भग हर देश का मुसलमान अपनी फोटो रखता है और फ़िल्म देखता हैबुर्के का रिवाज भी बहुत कम प्रचलन में देखा जाता है



Thursday, December 3, 2009

एक जंगल ये भी है

एक जंगल ये भी जहाँ जानवरों के साथ साथ इन्सान भी रहते हैं, जानवरों के बीच में कोई भी खतरनाक जानवर नही है मगर इंसानों के बीच में हजारो की गिनती में खतरनाक जानवर मिलेंगेसबसे ज्यादा इंसानी जानवर सरकारी मोहल्ले में पाए जाते हैं , जिनको अक्कल नाम की बिल्कुल भी कोई वस्तु उनके पास नही हैअगर अक्कल नाम की कोई चीज उनके पास होती तो शायद प्रकृति को बचाने में उसका योगदान जरुर करते

बात दिल्ली की है, दिलशाद गार्डेन से कश्मीरी गेट तक, अक्षरधाम से गाजीपुर तक , गाजीपुर से दिलशाद गार्डेन तक, फ्लाई ओवर बनाने के चक्कर में ८० प्रतिशत तक पेड़ो को काट दिया गया है, अधिकारी चाहते और दिमाग से काम लेते तो तो शायद बड़ी मात्रा में पेड़ो को बचाया जा सकता थाआप लोग ख़ुद भी देख सकते हैं ऐसी -ऐसी जगह से पेड़ो को काटा गया हैं , जो निर्माण स्थल से काफी दूर हैं उन्हें भी रास्ते से हटा दिया गया हैदिलशाद गार्डेन से ले कर के गाज़ियाबाद के मोहन नगर के बीच में सैकड़ो की संख्या में बड़े और पुराने पेड़ो को काट दिया गया है,

आप में से कई लोग प्रतिदिन इन रास्तो से आते जातें होंगे , मगर क्या आप ने कभी सोचा की ये क्या हो रहा है