Saturday, December 12, 2009

भारत को ब्रिटिश शासन की देन

भारत में अंग्रेजो ने लगभग २०० वर्ष तक राज्य किया और अंग्रेज १९४७ में शान्ति पूर्ण तरीके से भारतीयों के हाथो में शासन की बागडोर दे कर के चले गएइतने लंबे समय के शासन काल में महत्तवपूर्ण देन छोड़ जाना स्वाभाविक भी है

  1. भारत -सबसे पहले तो वो पुरे भारत को एक सूत्र में बाँध गए, भारत में अंग्रेजो के आने से पहले दक्षिण भारत के लोग शेष भारत से आम तौर से अलग थे, केवल कुछ थोड़ा बहुत समय अपवाद की तरह मिलता है। उस दौरान भारत, देशी रियासत और भारत में बंटा था।
  2. राष्टीय भावना -अंग्रेजी शासन की सबसे बड़ी देन है भारतीयों में राष्ट्रीय भावना का उत्तपन्न होना, अंग्रेजो की वजह से ही भारतीय लोग यूरोपीय देशो के करीब आए, जब भारतीयों ने यह देखा की जब जर्मनी और इटली के लोग अपनी स्वतंत्रता को वापस ला सकते हैं तो हम क्यों नही। और राष्ट्रीय भावना पैदा होने में सबसे बड़ी भूमिका रही है अंग्रेजो की शिक्षा पद्दति या कह ले की अंग्रेजी भाषा की जानकारी ।
  3. लोकतंत्रीय सरकार -भारत का मौजूदा संविधान देश में लोकतंत्रीय सरकार की स्थापना करता है। इसका योगदान ब्रिटिश सरकार को ही जाता है, जिसकी सुरुवात अंग्रेजो ने १८५३ में किया और जरुरत के हिसाब से समय - समय पर इसमें बदलाव लाते रहे, ब्रिटिश सरकार ने १८६१, १८९२, १९०९, १९१९ और १९३५ में संविधान में जरुरी बदलाव भी किए। ब्रिटिश सरकार ने भारत को संसदीय प्रणाली से परिचित कराया , और उसी के बल पर आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा और सफल लोकतंत्रीय देश कहलाता है।

  4. प्रशाशन प्रणाली - मौजूदा प्रशाशनिक प्रणाली से पहले हिंदुस्तान की प्रशाशनिक प्रणाली सिर्फ़ राजा की मर्जी पर ही चलती थी, राजा ही न्याय करता था चाहे राजा इस योग्य हो या ना हो, ब्रिटिश सरकार ने इसको बदल करके योग्य लोगो को मौका दिया, पढ़े लिखे भारतीयों को सरकार ने नौकरी पर रखा। अलग -अलग विभाग बनाये गए जिस से जनता को और सरकारी कर्मचारिओं को काम करने में आसानी हो।
  5. भारत का अतीत -मुष्लिम या मुग़ल काल में भारत अपने पहचान को भूल चुका था, अंग्रेजो ने इस दिशा में बहुत ही महत्वा पूर्ण काम किया, अंग्रेजो के प्रयास से भारत के लोग ब्राम्ही लिपि को समझ पाए, भारत का इतिहास आम आदमी भूल चुका था, भारत को अपना अतीत याद दिलाने में महत्वा पूर्ण योगदान रहा है, डॉ वी ए स्मिथ का सबसे बड़ा योगदान रहा है उन्होंने प्राचीन भारत के इतिहास पर सबसे अधिक काम किया.

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