Saturday, October 15, 2016

भारत के नेता और भारत का भविषय।

चापलूसी करना न तो हर किसी के बस की है और न तो हर कोई फायदा उठा पाता है।

देश को आजाद हुए लगभग  70 सालों में अगर किसी चापलूस परिवार को फायदा मिला है तो वो है नेहरू खानदान (आज  का गांधी परिवार ) .

आजादी से पहले हंसते -हंसते फांसी पे लटकने वाले हों या बम फोड़ने वाले , उन सबके अलावा भी लाखो की संख्या में स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी थे। मगर बस पेनशन तक सिमित रह गये।

गांधी (उपनाम ) खानदान दुनिया के दस अमीरों में शामिल हो चुका है।

लगभग 70 साल की आजादी में लगभग 60 साल तक देश पर राज्य करने वाली पार्टी आज तक न तो गरीबी दूर कर पायी न हि किसानों का करजा  माफ करवा पायी, न ही दलितों को उनका अधिकार दिलवा पायी और तो और अपने आप को पंडित कहने वाले सवर्णों का भी भला नही कर पायी।

वोट की राजनीति ऐसी चली की एक दो दलों को छोड सारे दलित -मुस्लिम बनाम देश की राजनीति  में लग गये।

मतलब कि सिर्फ अपने फायदे कि लिए लगभग कुछ दलों के मुखिया लोगों ने देश पिछड़ जाने पे मजबूर कर दिया।

वामपंथी विचारधारा के लोग चीन के विचार अपना सकते हैं मगर घर के पूर्वजों को नकारने से परहेज नही कर सकते।

हालात इतने खराब हो सकते हैं ये तो आज से लगभग दो साल पहले किसी को नही पता था कि केजरीवाल जैसे लोग महिलाओं के शोषण का अधिकार अपने पास रखते हैं ।

चारा चोर हो या रेल मन्त्री रहते हुए ममता और पासवान जी की मनमानी सब के सब अपने भले के लिये रहे।

मैं खुद सदैव भाजपा का समर्थक रहा हूं , मगर इन्दिरा गांधी को अपना आदर्श मानता हूं , सच में  वो दुर्गा थी , उनके जैसा प्रधानमन्त्री न तो कोई था और न कोई हो पायेगा । इन्दिरा जी की हिम्मत थी जो बांग्ला देश को आजादी दिलवाई और खालिस्तान समर्थकों को मिट्टी में मिलाया , खूद  की जान की बिना परवाह किये।

आज उम्मीद है देश को मोदी जी से लेकिन इन्दिरा के समय इतने विरोधी नही थे जितने आज हैं।

आज के विरोधी इन्दिरा जी के ही वंशज है ये कहने में मुझे कोई गुरेज़ नही है।