Monday, October 25, 2010

उल्लू पूजन समारोह -ब्यंग - तारकेश्वर गिरी.



लक्ष्मी जी कि पूजा तो आम बात हैं और हिंदुस्तान में लगभग हर घर में होती हैं, लेकिन बेचारा उल्लू परेशान रात दिन लक्ष्मी जी को अपनी पीठ पर बैठा कर घूमता रहता हैं।




एक दिन दुखी हो करके उल्लू ने लक्ष्मी जी को अपनी पीठ पर से उतार दिया और लक्ष्मी जी से बोला- मैडम बहुत हो गया, लोग तो आप कि सेवा के लिए तैयार रहते हैं दिन रात इंतजार करते रहते हैं। और मुझे कोई पूछता ही नहीं मैं तो ऐसे ही टेंशन में रहने लगा हूँ। मुझे आप से ईर्ष्या होने लगी हैं। दिवाली आने वाली हैं, कोई उल्लू देखना भी पसंद नहीं कर रहा हैं।




लक्ष्मी जी बोली- पुत्र टेंशन मत लो मैं तुम्हारे लिए भी कुछ जुगाड़ करती हूँ।




उल्लू बोला - क्या खाक जुगाड़ करेंगी आप, गणेश जी को देखिये , आप के साथ लोग उन्हें तो पूजते ही हैं उनके रूप मैं हाथी को भी सलाम ठोक देते हैं और तो और उनकी सवारी हर घर मैं मौजूद रहती हैं। मुझे तो कोई अपने घर क्या अपने मोहल्ले मैं भी नहीं घुसने देता।




लक्ष्मी जी बोली : बेटा क्या करू तुम्हारी शक्ल ही डरावनी हैं लेकिन तुम बिलकुल चिंता मत कर, दिवाली से ठीक ११ दिन पहले शादी - शुदा औरते तुम्हारी पूजा अपने - अपने पति के रूप मैं करेंगी।




और बस ये वरदान ही उल्लू को पतिदेव के रूप मैं ले आया और शुरू हो गया करवा चौथ का वर्त। कल के दिन सारे पति देव महोदय लोग उल्लू के रूप मैं हो जायेंगे और उनकी आरती उतारेंगी उनकी- उनकी धर्म पत्निया।
मैं भी हूँ .................................


15 comments:

S.M.Masoom said...

ऐसे उल्लू बन ने मैं क्या बुराई है?

अन्तर सोहिल said...

हा-हा-हा
बढिया लिखा

प्रणाम

राज भाटिय़ा said...

वैसे लक्षमी जाती भी सिर्फ़ उल्लू के पास ही हे,खुद ही देख लो भारत मे जितने भी उल्लू या उल्लू के पट्टॆ हे सब ऎश करते हे, गरीब ओर शरीफ़ बेचारा सुबह शाम या मजदुरी करता हे या फ़ाईलो के ढेर मे सर खपाता हे,

सुज्ञ said...

सार्थक, आपनें उल्लु की व्यथा को जी लिया!! बधाई

Taarkeshwar Giri said...

Ullu pujan samaroh main bhag lene walo sabhi logo ko thanks

Taarkeshwar Giri said...

Kal ullu ka rate high hoga

समयचक्र said...

उल्लू आलेख व्यंग्य बढ़िया लगा ... बड़ा अनुभवी व्यंग्य लिखा है .... आभार

Taarkeshwar Giri said...

mISHRA JI APKO THANKS

arvind said...

ha ha ha.....badhiya vyangya.

DR. ANWER JAMAL said...

kabhi ullu aur kabhi ghoda kya kya banna padta hai "pati" bechare ko ?

DR. ANWER JAMAL said...

भारत की गलियों में, चलो ख़ुशी के दीप जलाएं

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वाह गिरि जी!
बिल्कुल सटीक!
मैंने भी यही लिखा है!

Satish Saxena said...

वाह वाह !
आँखें खुल जायेंगी बहुत से दोस्तों की ....
शुभकामनायें आपको भी :-))

जय हिन्द said...

!! सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा !!

ZEAL said...

mazedaar hai !