कई सालो से बद्रीनाथ जी - केदरनाथ जी जाने का मन कर रहा था , लेकिन कोई ना कोई कारण ऐसा आ जाता की हर बार अगली साल के लिए टल जाता रहा। इस साल भी जाने का मन हुआ तो फिर मन में हलचल शुरू हुई , लेकिन अबकी बार सिर्फ एक जगह यानि की बद्रीनाथ जी ही जाने की रूप रेखा बनानी शुरू की मैंने और लगे हाथ अपने विचार को मैंने फेसबुक पे भी शेयर कर दिया। फेसबुक पे शेयर करते ही बहुत से मित्र साथ चलने को तैयार हो गए। उनमे से सभी के साथ जाना संभव नहीं था, तो तीन लोगो से बात की और अपने यात्रा के कार्यक्रम को सभी के साझा किया , तीनो मित्र मेरे साथ यात्रा पे जाने को तैयार हो गए , और 2 अक्टूबर को सुबह नौ बजे से यात्रा शुरू करने का मुहूर्त भी निकाल लिया गया।
हम सभी ( चंद्रशेखर जैन जी, भारत चौधरी जी और मनोज पूरी ) निर्धारित समय पे हमारी बसंती चलने को तैयार हो गई , जैसे ही राजनगर एक्सटेंशन पार किया तो सामना जाम से हुआ , वजह थी रैपिड ट्रैन। इसी बीच मनु त्यागी जी से रास्ते की जानकारी ली तो मनु साहेब ने बताया की आप लोग मेरठ से कोटद्वार होते हुए बद्रीनाथ की यात्रा करें , क्योंकि ऋषिकेश से देव प्रयाग के बीच चार धाम प्रोजेक्ट के तहत बड़ी तेजी से काम चल रहा है। मेरठ क्रॉस करके आगे बढ़ते रहे , लेकिन समय काफी हो गया था , सुबह जब घर से निकले , तो लक्ष्य था की आज की रात श्रीनगर मे रुकेंगे। जो की असंभव लगने लगा, ख़ैर एक जगह गाड़ी सड़क के किनारे रोक करके घर से लाये हुए भोजन का स्वाद लिया सभी ने और आगे बढ़े।
लगभग तीन बजे के आस पास हम सभी लोग कोटद्वार पहुँच गए, कोटद्वार से मैंने दो किलो मडुवा का आटा लिया की रास्ते में कहीं समय मिला तो भोजन खुद पकाएंगे।
उसके बाद वंहा से निकल दुगड्डा पहुंचे और खाली पड़ी बोतलों में शुद्ध प्राकृतिक पानी भरा सभी ने। पानी भरने के बाद पहाड़ो का आनंद लेते हुए सतपुली और फिर शाम को ७:३० बजे हम लोग पौडी पहुँच गए , गाड़ी मैं चला रहा था , सब लोग थक चुके थे इसलिए ये निर्णय लिया गया की आज की यात्रा को यहीं पर विराम देते हैं और आगे की यात्रा कल शुरू करेंगे। रात गुजारने के लिए एक होटल में कमरा लिया गया और बढ़िया भोजन की तलाश में निकल लिए।
बहुत जल्द ही एक बढ़िया सी जगह मिली , बिलकुल पौडी बस अड्डे के पास में। अस्सी रूपये में चार रोटी ,चावल , दाल , सब्जी और चटनी , साथ में हरी मिर्च और मूली। गज़ब स्वादिष्ट भोजन , वैसा भोजन हमें कहीं और नहीं मिला , वापसी के समय हमने दोपहर का भोजन भी उसी जगह किया।
अगला भाग जल्द ही।