Thursday, March 11, 2010

दुसरे धर्मो का मजाक उड़ना इस्लामिक लेखको की आदत सी बन गई है

दुसरे धर्मो का मजाक उड़ना इस्लामिक लेखको की आदत सी बन गई है, और उन्हें पता है की अगर इस्लाम को जिन्दा रखना है तो दुसरे लोगो का मजाक उड़ना ही पड़ेगालेकिन शायद हम हिन्दू होकर के ये काम कर पाए की किसी और धर्म के बारे मैं कुछ उल्टा पुल्टा लिखे, और येही कारण रहा है की हिन्दू हमेशा सभी धर्मो की इज्जत करते चले आयें हैंहिन्दू अगर मंदिर मैं जा करके पूजा करता है तो किसी पीर की माजर पर भी जा करके माथा टेकता है, लेकिन उसका नतीजा ये निकलता है की मुष्लिम ब्लोगेर अपनी औकात बचाने के लिए दुसरे धर्मो की धार्मिक पुस्तकों के साथ अच्छा खासा खिलवाड़ कर रहे हैंइसका जीता जगता उदहारण है श्रीमान अनवर जमाल और सलीम खान के ब्लॉगइनके पास वेदों की , रामायण की महाभारत और गीता की अच्छी जानकारी है मगर शायद इन चक्करों मैं ये लोग कुरान को भूल गए हैंअपने धर्म के प्रचार प्रसार मैं इनको हिन्दू और भारतीय संस्कृत से डर लगने लगा है इसलिए अब ये सरे ब्लोगेर पागल हो गए हैं

ये भूल गए की हमें भी अपशब्द लिखना और कहना आता है , लेकिन नहीं हमारी संस्कृत इसकी इजाजत नहीं देती,




7 comments:

Bhavesh (भावेश ) said...

जिसने सही अर्थ में धर्म को धारण किया है उसे अपने धर्म का पालन करना चाहिए और साथ ही अन्य सभी धर्म का समान रूप आदर करना आना चाहिए. हर धर्म में कुछ अच्छी और कुछ कम अच्छी बाते है. इसलिए दुसरे के धर्म में बुराई देखने की बजाये व्यक्ति को अपने धर्म की कुरीतियों का विरोध करना आना चाहिए जिससे सकारात्मक दिशा में एक सभ्य समाज का निर्माण हो सके और उस धर्म की आने वाली पीढ़ी उन बुरइयो से बच सके.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बिल्कुल ठीक कह रहे हैं. इनके अंदर सहिष्णुता है ही नहीं और हमें भी अब ऐसी ही नीति अपनानी पड़ेगी. सठे साठ्यं समाचरेत.

संजय बेंगाणी said...

जो दुसरी माहिला को बुरी नजर से देखता है, उसका अपनी पत्नी के प्रति प्रेम भी सौ प्रतिशत दिखावा ही होता है.

Unknown said...

भाई गिरी जी, मैं इन लोगों को कम से कम 340 बार समझा चुका हूं, कि भई "अपना घर देखो कि उधर कितने फ़टे हुए कपड़े लटके हैं, हमारे घर में क्यों झाँकते हो, हम अपने गन्दे कपड़े खुद धो लेंगे…"। लेकिन नहीं साहब, अपनी TRP बढ़ाने के चक्कर में वेद, गीता, रामायण पर हमले करेंगे, नाम ले-लेकर पोस्टें लिखेंगे…। कितने ही तर्क दे लो, कुतर्क पर कुतर्क किये जायेंगे, या पोस्ट के विषय से हटकर कोई बकवास करेंगे…।

मिहिरभोज said...

बंधु यही तो फर्क हैं....हिंदु कभी किसी को नीची नजर से नहीं देखता पर इस्लाम तो बना ही दूसरे के विध्वंष से हैं....पाकिस्तान से लेकर सऊदी अरब तक इनके जलवे देखे जा सकते ैहं

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

गिरी साहब , इनको भी वही ट्रीटमेंट सूट करता है जो ये दूसरों के साथ करते है ! अभी कल ही नाइजीरिया में मुसलमानों द्वारा ५०० से अधिक ईसाईयों की हत्या पर लिखे गए एक लेख पर इनके एक महाज्ञानी की टिपण्णी शायद आपने पढी हो! कैसे जनाव उसे सही ठहराने की कोशिश कर रहे थे ! ये भूल गए की जो कुछ वहाँ मुसलमानों ने ईसाईयों के साथ किया अगर वह सही है तो जो कुछ गोधरा के बाद गुजरात में हुआ वह भी तो १००% सही था ! लगे रहिये और ईंट का जबाब पत्थर से दीजिये क्योंकि ये रहम करने लायक लोग नहीं है !

ghughutibasuti said...

यदि कोई इस प्रकार का लेखन कर रहा है तो हमारे पास एक ही इलाज है कि एक दो बार जाने पर ही पता चल जाता है कि कैसा ब्लॉग है तो फिर वहाँ मुड़कर क्यों जाया जाए? ब्लॉग पाठकों के कारण जीवित रहते हैं। जब उन्हें यह खाद पानी मिलनी बन्द हो जाए तो वे भी खत्म हो जाते हैं।
घुघूती बासूती