अब पूरी दुनिया में इस्लाम फ़ैलाने के बाद जब कंही और जगह नहीं मिली तो हमारे परम मित्र श्रीमान सलीम खान साहेब चाँद पर ही पहुँच गए, लग हाथो उन्होंने सोचा कि जब अमेरिका यंहा पर इन्सान बस्तियां बसने में लगा हुआ है तो एक मस्जिद ही क्यों ना बना दी जाय.
बात कल दोपहर कि है जब श्रीमान सलीम खान साहेब ने मुझे एक SMS भेजा , मैंने तो उसे पढ़ा फिर सलीम खान साहेब पर जोर से हंसा. आप भी पहले पढ़ लीजिये उन्ही कि शब्दों में :-
( , Sunita Wlliams Indian Lady jo satellite pe Chand par ga’ey thi(02/07/07) usnay “ISLAM” Qabool kar liya hai. She said: “ chand se saari ZAMEEN kaali nazar aa rahi thi magar 2 jagah roshan thein , telescope se dekha to roshni wali jagah ‘MAKKAH’ aur ‘MADINA thein! ‘ ALLAH-O-AKBAR’ aur chand pe sari frequency fail hojati hai magar sirf ek awaj aati hai jo AZAAN ki awaj hai’ SUBHAN ALLAH isse pahle chand par jane wale pahle yatri niel Armstrong neb hi dekha sunatha aur unke bhi ISLAM qubool karne ki baat samne aai thi ( I will check it today, will u ?) ALLAH BEHTAR JANANE WALA HAI.
हिंदी में : (कृपया आप गूगल पर चेक करे, सुनीता विलिअम्स जो कि भारतीय महिला है, जो कि Satellite से चाँद पर गईं ( ०२/०७/२००७) को , उन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया है, वो कहती हैं कि चाँद से सारी ज़मीन काली नज़र आ रही थी मगर दो जगह रोशन थी , टेलेस्कोपे से देखा तो रोशनी वाली जगह' मक्का' और' मदीना' थी, अल्लाह ओ अकबर. और चाँद पे सारी frequency फेल हो जाती है, मगर सिर्फ एक आवाज आती है जो कि अजान कि आवाज है. 'सुभान अल्लाह '. इससे पहले चाँद पर जाने वाले पहले यात्री ने भी इस्लाम कबूल कर लिया है.)
लेकिन श्रीमान सलीम खान साहेब सुनीता जी तो अन्तरिक्ष में गई थी ना कि चाँद पे, और जंहा तक हमें जानकारी है चाँद से पृथ्वी नीले रंग कि दिखाई देती है, और मैंने ये भी सुना है कि चाँद से सिर्फ चीन कि दीवाल साफ नज़र आती है.
पृथ्वी पर इन्सान हैं और इंसानों ने ही अलग - अलग धर्म बना लिए है, अलग - अलग भाषा का इस्तेमाल कर के पूजा पाठ भी करते हैं, तो चाँद तो इन्सान से अछुता है चाँद को क्या पता कि कौन हिन्दू है और कौन मुस्लमान और कौन इसाई या बुद्ध.
सुनीता जी तो पहले से ही इसाई धर्म को मानने वाली है, और सुनीता जी भारत कि नहीं बल्कि भारतीय मूल कि अमेरिकी महिला हैं।