Friday, January 29, 2010

धर्म या इन्सान कौन बड़ा.

धर्म या इन्सान आखिर दोनों मैं सर्वप्रिय कौन है, क्या धर्म के आगे इंसानियत बौनी हो गई या इंसानियत के आगे धर्म बौना हो गया । शायद धर्म बनाने वालो को ये नहीं पता था, की आगे चलकर ये धर्म नाम की चीज इंसानियत की सबसे बड़ी दुश्मन साबित होगी। और धर्म भी तो कितने कोई एक हो तो ना। सब के सब अपनी -अपनी तारीफ मैं लगे हुए है।

ब्लोगेर जगत मैं कुछ लोग ऐसे हैं जो सिर्फ और सिर्फ इस्लाम को सच मानते हैं और उसी का रट्टा लगाये रहते है, आखिर लोग क्या साबित करना चाहते है। कुछ उनका विरोध करने के लिए खड़े हो जाते तो कुछ गलत शब्दों का भी जाने अनजाने मैं इस्तेमाल करने से नहीं चुकते ।

Sunday, January 24, 2010

तेरे बाप के पास तो मस्त पटाखा मॉल है न खुद चलाता है न औरो को चलाने देता है

मोहल्ले वाले कहते हैं की तेरे बाप के पास तो मस्त पटाखा मॉल है खुद चलाता है औरो को चलाने देता है (एक छोटी सी बच्ची बोली) .अरे पागल वो सब तो तेरी माँ के बारे मैं कह रहे होंगे उस छोटी सी बच्ची का बाप बोला (मैं आप सभी लोगो से माफ़ी मांगता हूँ इसे लिखना नहीं चाहता था मगर लिखना पड़ा) ये शब्द हैं एक टी वी प्रोग्राम्म मैं एक छोटे से बच्ची की जो गंगुं बाई के रोल मैं सब को हँसाने का काम करती है

काल शाम को बार बार टी वी मैं एड रही थी , मैंने भी ध्यान दिया तो पता चला की वाह रे भारतीय संस्कृत और व्यस्था, सब बड़े मजे से उस छोटी सी बच्ची के द्वारा कहे गए शब्दों के उपर हँसे जा रहे थे, हँसने वाले सब बड़े थे बच्चे नहीं और उस बच्ची के माँ बाप भी थे

उनकी बच्ची इस तरह के शब्दों का सहारा लेकर खूब पैसा कमा रही है, वो छोटी सी बच्ची अपने माँ बाप के लिए रोज कमाती है, इसलिए बच्ची के माँ और बाप तो बड़े मजे से ताली बजा रहे थे, और इस का फायदा टी वी चैनेल भी खूब मजे से उठाते हैं

क्या है ये, बाल मजदूरी या बच्चो को सेक्स पाठ पढाया जा रहा है क्या सरकार इसे बाल मजुदुरी कहेगी या कुछ और.......
क्या इस तरह के शब्द बच्चो के मुंह से अच्छे लगते है।

इस विषय पर मैं आप सबकी राय जानना चाहता हूँअगर विषय अच्छा लगे तो पसंद पर चूहे को जरुर मारिएगा

Saturday, January 23, 2010

तेरे बाप के पास तो मस्त पटाखा मॉल है न खुद चलता है न औरो को चलाने देता है।

मोहल्ले वाले कहते हैं की तेरे बाप के पास तो मस्त पटाखा मॉल है खुद चलाता है औरो को चलाने देता है (एक छोटी सी बच्ची बोली) .अरे पागल वो सब तो तेरी माँ के बारे मैं कह रहे होंगेउस छोटी सी बच्ची का बाप बोला। (मैं आप सभी लोगो से माफ़ी मांगता हूँ इसे लिखना नहीं चाहता था मगर लिखना पड़ा) ये शब्द हैं एक टी वी प्रोग्राम्म मैं एक छोटे से बच्ची की जो गंगुं बाई के रोल मैं सब को हँसाने का काम करती है

काल शाम को बार बार टी वी मैं एड रही थी , मैंने भी ध्यान दिया तो पता चला की वाह रे भारतीय संस्कृत और व्यस्था, सब बड़े मजे से उस छोटी सी बच्ची के द्वारा कहे गए शब्दों के उपर हँसे जा रहे थे, हँसने वाले सब बड़े थे बच्चे नहीं और उस बच्ची के माँ बाप भी थे

उनकी बच्ची इस तरह के शब्दों का सहारा लेकर खूब पैसा कमा रही है, वो छोटी सी बच्ची अपने माँ बाप के लिए रोज कमाती है, इसलिए बच्ची के माँ और बाप तो बड़े मजे से ताली बजा रहे थे, और इस का फायदा टी वी चैनेल भी खूब मजे से उठाते हैं

क्या है ये, बाल मजदूरी या बच्चो को सेक्स पाठ पढाया जा रहा है। क्या सरकार इसे बाल मजुदुरी कहेगी या कुछ और.......
क्या इस तरह के शब्द बच्चो के मुंह से अच्छे लगते है।

इस विषय पर मैं आप सबकी राय जानना चाहता हूँअगर विषय अच्छा लगे तो पसंद पर चूहे को जरुर मारिएगा

Friday, January 22, 2010

जी..के.अवधिया जी और उनका चस्मा


मासा अल्ला कमाल का चेहरा लगता है अवधिया जी का और वो भी चश्मे में तो बिलकुल ही जोन इब्राहीम लगते है, कंही मल्लिका की नज़र न लग जाये ,

अवधिया जी बुरा मत मानियेगा , आज आपकी चश्मे वाली फोटो देखा तो रहा नहीं गया , मैंने सोचा की तरिफं करी दी जाये।



भूल सुधार
चलो जी, जी के अवधिया जी की फोटो भी लगा दी।
सही सलाह के लिए सभी लोगो का धन्यवाद्।

Thursday, January 21, 2010

क्या सचमुच भारतीय -पेटू होते हैं.

हैं ना मजेदार मुद्दा , कभी आपने सोचा है की क्या सचमुच भारतीय पेटू होते हैमुझे तो ये सच लगता है, आखिर हो भी क्यों नहीं, इतने पकवान जो है, भारत मैं दक्षिण भारत का टेस्ट अलग, उत्तर भारत का टेस्ट अलग, पूर्वी भारत का अलग और तो और चांदनी चौक की गलियों का टेस्ट अलगभारतीय पेटू तो होंगे ही

और शायद मंहगाई भी इसी लिए बढ़ रही हैलोगो ने आपने भोजन पर बिलकुल भी नियंत्रण नहीं रखा है , दबा कर के खाए जा रहे हैलोगो का वजन बढता जा रहा बीमारिया बदती जा रही है मगर स्वाद है की जीने नहीं देता

एक रोटी काम खावो मेरे देश वाशियों, चाय पीनी काम कर दो मेरे भारत के नौजवानों शायद चीनी सस्ती हो जाये

Wednesday, January 6, 2010

हिन्दू-अन्धविश्वास और परम्परा

अन्धविश्वास समाज द्वारा बनाई गई जीने की परम्परा hai। हिंदुस्तान मैं ही नहीं पूरी दुनिया में हजारो सालो से चली रही है हर धर्म और हर देश में अलग -अलग से जीने का तरीका है, उनकी अपनी अपनी परम्परायें और कुछ अन्धविश्वास

लेकिन जब बात आती है हिन्दू की तो पूरी दुनिया ही पीछे लग जाती है और बड़े आसान से शब्दों में कह देतें हैं, की भारत अन्धविस्वासो का देश है लेकिन किसी ने भी ये जानने की कोशिश नहीं करी की की इन के पीछे वजह क्या हो सकती

आज लोग जिसे अन्धविश्वाश कहते हैं, कंही कंही वो पुराने समय में वो एक जिन्दगी का अहम् भाग हुआ करती थी आज भागम भाग की जिंदगी में लोग अपनी पुरानी परम्परावो को भूलते जा रहें








मुसलमान और आतंक- आखिर इतने करीब क्यों

आखिर क्या वजह हो सकती है, इतनी घनिष्टता की, इतने गहरे रिश्ते की (मुसलमान और आतंक), हिंदुस्तान , पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इरान, इराक, यूरोप और अमेरिका अगर परेशान हैं तो सिर्फ और सिर्फ मुसलमान आतंकवादियों से , आखिर क्या वजह हो सकती है, मैं पूछना चाहता हूँ इश्लाम के उन विद्वानों से जो कुरान और इश्लाम मैं गहरी आस्था रखते हैं और बड़ी-बड़ी बाते करते हैं,

क्या कुरान हिंशा की अनुमति देता है, मेरे समझ से नहीं, कोई भी धर्म या कह ले कोई भी धार्मिक पुस्तक हिंशा की अनुमति नहीं देती, धर्म जीने के लिए होता है, जीवन लेने के लिए नहीं, फिर क्यों इतना गहरा रिश्ता हैं ,

इसाई, बुद्धिस्ट, जैन, सिख, हिन्दू धर्मो के धर्म गुरु पुरे संसार मैं घूम घूम कर के शांति का सन्देश देते हैं, जीने का मतलब समझाते हैं, इंसानियत क्या होती , उसे कैसे निभाया जाये उसका मतलब समझाते हैं,

लेकिन इश्लामिक धर्म गुरु तो कुछ अलग ही अंदाज मैं अपने बच्चो को कुरान का मतलब समझाते हैं

ओसामा बिन लादेन ने तालिबान को पैदा किया और इश्लामिक कानून पर जोर दिया और उसका नतीजा आज अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मुसलमान बंधू भुगत रहे हैं। क्या मिला ओसामा बिन लादेन और मुल्ला उमर को, अपनी जिंदगी भी सही तरीके से नहीं जी पा रहे हैं, अफगानिस्तान और पाकिस्तान मैं औरतो की जिंदगी जानवरों से भी बुरी हो गई है। अफगानिस्तान के तालिबानी समाज में तो औरत को सिर्फ और सिर्फ बच्चा पैदा करने की मशीन समझा जाता है।

मुझे तो ये ही लगता है की इश्लामिक धर्म गुरुवो ने इश्लाम के असली स्वरूप को बिगाड़ कर के रख दिया है। Justify Full