Wednesday, January 6, 2010

हिन्दू-अन्धविश्वास और परम्परा

अन्धविश्वास समाज द्वारा बनाई गई जीने की परम्परा hai। हिंदुस्तान मैं ही नहीं पूरी दुनिया में हजारो सालो से चली रही है हर धर्म और हर देश में अलग -अलग से जीने का तरीका है, उनकी अपनी अपनी परम्परायें और कुछ अन्धविश्वास

लेकिन जब बात आती है हिन्दू की तो पूरी दुनिया ही पीछे लग जाती है और बड़े आसान से शब्दों में कह देतें हैं, की भारत अन्धविस्वासो का देश है लेकिन किसी ने भी ये जानने की कोशिश नहीं करी की की इन के पीछे वजह क्या हो सकती

आज लोग जिसे अन्धविश्वाश कहते हैं, कंही कंही वो पुराने समय में वो एक जिन्दगी का अहम् भाग हुआ करती थी आज भागम भाग की जिंदगी में लोग अपनी पुरानी परम्परावो को भूलते जा रहें








6 comments:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

sahi likha

Unknown said...

Giriji

Sabse pehle aapko dhanyawad. Aapko dekhkar laga ki dil ki bhavnayen vyakt karne ka sabse sahi maadhyam blog hai. Andhvishwas to duniya ne bharat ko badnam karne ke liye kiya hai. Aaj shayad paschimi desho mein sabse jyada andhwishwas hai. Par bharat ko badnaam kiya jaa raha hai. Bharat dev bhoomi hai jisne duniya ko gyan ki roshni dikhayi hai.

Unknown said...

aap mujhe apni followup list mein add kar lijiye.

संगीता पुरी said...

सारी पुरानी परंपराएं अंध विश्‍वास नहीं हैं .. कहीं कहीं अंधविश्‍वास दिखाई पडते हुए भी लोककल्‍याण छुपाए है .. हमें समझ बूझकर कदम उठाने चाहिए !!

Anil Pusadkar said...

सहमत हूं आपसे।

aarya said...

गिरी जी
सादर वन्दे
आपने जो लिखा है वह सही है लेकिन आप उसे विस्तार दें ताकि इसे और स्पष्ट रूप से समझा जा सके.
रत्नेश त्रिपाठी