Tuesday, June 4, 2013

कुछ यूँ ही खाली खाली सा .

कुछ यूँ ही खाली खाली सा
अजीब बेपरवाह ,

निरंतर सुना- पन लिए
एकांत में  बैठा , ये मन.

बड़ी देर से एक ही धुन में
खोया हुआ अपनों से दूर,

जीवन के बन्धनों से बंधा
जीने का ख्वाब लिए , ये मन.




1 comment:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत दिनों बाद वापसी की।