कुछ यूँ ही खाली खाली सा
अजीब बेपरवाह ,
निरंतर सुना- पन लिए
एकांत में बैठा , ये मन.
बड़ी देर से एक ही धुन में
खोया हुआ अपनों से दूर,
जीवन के बन्धनों से बंधा
जीने का ख्वाब लिए , ये मन.
अजीब बेपरवाह ,
निरंतर सुना- पन लिए
एकांत में बैठा , ये मन.
बड़ी देर से एक ही धुन में
खोया हुआ अपनों से दूर,
जीवन के बन्धनों से बंधा
जीने का ख्वाब लिए , ये मन.
1 comment:
बहुत दिनों बाद वापसी की।
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