गुजरात दंगो का असली जिम्मेदार कौन :- नरेन्द्र मोदी , या गुजरती हिन्दू, या गुजरती मुसलमान .
पुरे हिंदुस्तान के लोगो को ये बात पता है की गुजरात दंगो की शुरुवात , अयोध्या से कार सेवा कर के लौट रहे कार सेवको को गोधरा मैं ट्रेन की पूरी बोगी को को चारो तरफ से बंद करके जिन्दा जला देने के बाद शुरू हुई .
इस भीषण हत्या कांड के पीछे ना तो मोदी का हाथ है और न ही गुजरती हिन्दू या गुजरती मुसलमानों का, इस भीषण हत्या कांड के पीछे कट्टर पंथी ताकतों का हाथ था, जिनका न तो कोई धर्म होता है और न ही कोई जाती .
लेकिन 1984 में देश की राजधानी दिल्ली में हुए सिखों के खुले आम कत्ल , लुट, बलात्कार का जिम्मेदार सिर्फ कांग्रेस पार्टी और उस पार्टी के चमचे ही शामिल थे. ये बात भी पुरे भारत के लोगो को पता है,
लेकिन उसके बाद भी ये हमारे देश के चुरकुट , हरामी , और बेईमान , और निक्कमे नेता इस बात को भूल करके , आम आदमी, गरीब इन्सान , और साथ मैं भोले भाले देशवाशियों को फंसाते रहते हैं, और इस देश के कुछ बेवकूफ लोग जाती वाद , पार्टी वाद मैं फंस करके , इस देश का बेडा गर्ग करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं .
पुरे हिंदुस्तान के लोगो को ये बात पता है की गुजरात दंगो की शुरुवात , अयोध्या से कार सेवा कर के लौट रहे कार सेवको को गोधरा मैं ट्रेन की पूरी बोगी को को चारो तरफ से बंद करके जिन्दा जला देने के बाद शुरू हुई .
इस भीषण हत्या कांड के पीछे ना तो मोदी का हाथ है और न ही गुजरती हिन्दू या गुजरती मुसलमानों का, इस भीषण हत्या कांड के पीछे कट्टर पंथी ताकतों का हाथ था, जिनका न तो कोई धर्म होता है और न ही कोई जाती .
लेकिन 1984 में देश की राजधानी दिल्ली में हुए सिखों के खुले आम कत्ल , लुट, बलात्कार का जिम्मेदार सिर्फ कांग्रेस पार्टी और उस पार्टी के चमचे ही शामिल थे. ये बात भी पुरे भारत के लोगो को पता है,
लेकिन उसके बाद भी ये हमारे देश के चुरकुट , हरामी , और बेईमान , और निक्कमे नेता इस बात को भूल करके , आम आदमी, गरीब इन्सान , और साथ मैं भोले भाले देशवाशियों को फंसाते रहते हैं, और इस देश के कुछ बेवकूफ लोग जाती वाद , पार्टी वाद मैं फंस करके , इस देश का बेडा गर्ग करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं .
2 comments:
इसमें कोई शक नहीं कि गुजरात दंगा कट्टरपंथी हिंदू संगठनों की साजिश थी मुसलमानों के खिलाफ ।और दंगों के लिए कोई भी कारण कभी जायज नहीं हुआ करता।ये चाहे हिंदू करे या मुसलमान उसे सजा जरूर मिलनी चाहिए।लेकिन इतना जरूर कहूँगा कि इन दंगों पर बात चलने से खुद तथाकथित सेकुलर बुद्धिजीवियों की पोल जरूर खुल गई है।ये लोग अभी तक मुंबई धमाकों को स्वाभाविक मानते रहे हैं यह कहकर कि ये धमाके बाबरी मस्जिद गिराने की प्रतिक्रिया थे।पर गुजरात दंगों को वो गोधरा की प्रतिक्रिया बताने वालों को ये लोग कट्टरपंथी कह देते हैं।ये दोहरा मापदंड क्यों?
यही नहीं आज तक कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार और विस्थापन के मुद्दे को ये लोग यह कहकर हल्का करते रहे हैं कि उस दौरान कश्मीर में बहुत से मुस्लिम भी तो मारे गए थे।चलिए माना ।पर यही बात ये लोग गुजरात के संदर्भ में कैसे भूल जाते हैं क्योंकि वहाँ पर भी तो सैकड़ों हिंदू भी मारे गए थे?
पढकर अच्छा लगा कि कोई तो देश के बारे में सोच रहा है। पर हमारी आपकी समस्या यह है कि हम सोचते बहुत हैं पर कर कुछ नहीं पाते। हमारे आस-पास बहुत सा भ्रष्टाचार फैल चुका है। हम चाह कर भी उसे हटा नहीं सकते। क्योंकि बहुत हद तक हम भी अब भ्रष्टाचार में लिप्त हो चुके हैं। गुजरात के दंगे किसी ने भी किऍं हों, पर सिर्फ सरकार को दोष देने से क्या लाभ। और हम सभी सिर्फ अपनी जाती धर्म के लिए जीते हैं। क्या आज तक किसी भी पार्टी के सभा में बम फटा क्यों नहीं फटा क्या किसी ने सोचा। क्या यह मात्र संयोग है कि तीर्थ स्थलों पर पुजाओं में बाजारों में बम फटते हैं। जरा सोचिए..... मैं आपका अत्यंत आभारी रहूँगा अगर आप मेरा ब्लाग पढकर उस पर अपनी प्रतिक्रिया दें : http://blogs-in-blog.blogspot.in
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