Saturday, May 21, 2011

आदरणीय चाची जी नमस्कार.

आदरणीय चाची जी नमस्कार.

चाचा जी को स्वर्गलोक गये जमाना हो गया. हमारी सहानिभूति उनके और आपके साथ हैं. उनकी क़ुरबानी जन्म- जन्म याद रखी जाएगी . और चाची जी आज तो पूरा देश उनको सम्मान दे रहा हैं. जगह -जगह उनकी याद में समारोह आयोजित किये जा रहे हैं और लोग फूलो कि माला स्वर्गीय चाचा जी के फोटो पे लगा रहे हैं.

लेकिन चाची जी एक बात बहुत बुरी लगी. एक तो वैसे ही लोग आपको महंगाई कि देवी कहते हैं, दुसरे आप हैं कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही हैं. अरे चाचा जी के बलिदान दिवस का प्रचार करवाने के लिए आपने पुरे देश के अख़बार वालो के उपर करोडो रूपया फिर खर्च कर दिया.

अगर खाली आपकी पार्टी ने प्रचार करवाया होता तो ठीक लेकिन चाची जी आपने तो पुरे भारत देश के सभी मंत्रालय वालो को खुली छुट दे दी कि बेटा खाने का मौका हैं खा लो .क्योंकि मैंने सुना हैं कि जितने का विज्ञापन अखबार वालो को दिया जाता हैं उसका आधा तो विज्ञापन देने वाले ही खा जाते हैं. साथ ही साथ चाची जी आपकी सेवा में कुछ राज्य भी लगे हुए हैं. उन्होंने अलग से विज्ञापन का मजा लिया.

अब तो आप से येही विनती हैं कि अब और मत खावो मेरी चाची. कंही हाजमा ना ख़राब हो जाये.

4 comments:

DR. ANWER JAMAL said...

मेरे प्रिय अद्र्ध मित्र ! आपकी ससुराल में, जौनपूर में 6 फ़ुट की मूली पैदा होती है और इसीलिए आपके दिमाग़ में इतनी बड़ी-बड़ी बातें आती हैं।
आप लग गए हैं तो इस बार बीजेपी का जीतना तय है और वह पार्टी किसी चीज़ के दाम भी नहीं बढ़ाती।

कमाल का भाव और सुंदर प्रभाव !
धन्यवाद !

निन्दिया में आभासी दुनिया, कितनी सच्ची लगती है,
परियों की रसवन्ती बतियाँ, सबसे अच्छी लगती हैं,
जन्नत मृदुगन्ध हमारे, तन-मन को महकाती है।
तन्द्रिल आँखों में मधुरिम से, स्वप्न सलोने लाती हैं।
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M VERMA said...

भतीजे, चाची जी अभी उत्सव में हैं पत्र पढ़ने की फुर्सत नहीं है

Udan Tashtari said...

चाची जी हाजमोला भी खाती हैं.

Shah Nawaz said...

हा हा हा... बेहतरीन कटाक्ष...

हालाँकि इस बहाने राजीव जी के बारे में बहुत कुछ जानने का मौका मिला लेकिन फ़ालतू का पैसा लुटाने का हक किसी को नहीं होना चाहिए... अगर खर्च करना था तो पार्टी फंड से किया जाना चाहिए. जनता के पैसे को यूँ बहाना घटिया काम है.