जैसे जैसे होली नजदीक आती जा रही रही वैसे वैसे बचपन कि यादे भी आ रही हैं. वो दिन जब होलिका दहन के लिए उपले और लकड़ी चुरा-चुरा के इक्कठा करना, ईस बात कि होड़ लगी रहती थी कि किस गोंव कि होलिका कि आग सबसे उपर जाएगी.
होलिका दहन कि शाम को दादी और मेरी माता जी हम सब भाई बहनों को उबटन (कच्ची सरसों पीस कर ) कर के पुरे शरीर पर मालिश करती थी, और जो मैल शरीर से निकलती थी उसे होलिका में डाल दिया जाता था. उस समय तो ईस बात क मतलब पता नहीं था, मगर आज लगता हैं कि ठण्ड के मौसम में सही तरीके से शरीर कि सफाई नहीं हो पाती थी, इसलिए होली के (गर्मियों कि शुरुवात) मौसम में उबटन से मालिश कि जाती थी.
होलिका दहन से पहले भोजपुरी गीत गाती पुरे गाँव कि महिलाये और आग लगाते समय होलिका कि जय करते हुए गाँव के लोग , सोचता हूँ तो बस, सोच कर के ही आनंद आ जाता हैं.
आधी रात तक माता जी और दादी जी के साथ पकवान बनाना, और सुबह उठते ही बच्चो कि भीड़ में शामिल हो जाना और जोर से " कबीरा सा रा रा रा रा "
बाकि कल ...............................
11 comments:
aapne to mere man ki baat kah di yhi cheeje to aaj mujhe yaad rhee hai
kal ki post ka intzar
आपको होली की हार्दिक शुभकामनाये !
giti ji
purane dinon ki yad aap ne taza kar di. kabira sa... ra... ra... ra... holi ki hardik shubhkamnayen.
तारकेश्वर जी,
प्रेम और उल्लास भरे फागुन में मस्ती को याद दिलाती पोस्ट पढ़ना सुखद लगा। अरे..रे..रे रा...रा...रा... ऐसा ही कोई गीत हमरे पांड़े(पाण्डेय जी) महाराज भी धोती उठा के गाते रहे थे।
न जाने वो दिन कहाँ गये...
होली की आप सभी को रंगारंग मुबारकबाद........
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
खामोशी भी और तकल्लुम भी ,
हर अदा एक क़यामत है जी
@ आप कितना अच्छा लिखती हैं ?
मुबारक हो आपको रंग बिरंग की खुशियाँ .
हा हा हा sss हा हा हा हा ssss
http://shekhchillykabaap.blogspot.com/2011/03/blog-post.html
लगे रहो भाई। होली के मजे लो।
गांव की होली का आनन्द ही कुछ और होता है..
होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
गिरी साहब आपने बचपन की याद दिला दी. होली पर हार्दिक शुभकामनायें.
आप को होली की हार्दिक शुभकामनाएं । ठाकुरजी श्रीराधामुकुंदबिहारी आप के जीवन में अपनी कृपा का रंग हमेशा बरसाते रहें।
होली के इस रंगारंग पर्व की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ...
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