आज दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान पर (क्रिकेट विश्व कप -२०११) साउथ अफ्रीका और वेस्ट इंडीज के बीच मैच हुआ. जिसकी सुरक्षा में दिल्ली पुलिस आज सुबह से लगी हुई हैं, हर चौराहे पर हर गली में , और वो क्या कहते हैं , हाँ हर नुक्कड़ पर पुलिस कि चेकिंग जारी हैं कि कंही कोई आंतकवादी दिल्ली में ना घुस जाये.
लेकिन हुआ उल्टा , आतंकवादी तो घुसा नहीं, हाँ दिल्ली पुलिस ने लाखो जरुर अपने -अपने घरो में घुसा लिए.
अब आप पूछेंगे कि भाई गिरी जी वो कैसे , दिल्ली पुलिस का तो कर्त्तव्य हैं कि वो हर संदिघ्द इन्सान पर नज़र रखे और वो कर भी रहे हैं. तो इसमें लाखो कैसे कमा गये..........
तो हुआ ये कि बड़े दिनों से ऐसा कोई आयोजन तो हो नहीं रहा था , और वैसे भी दिल्ली में मंहगाई इटली से इम्पोर्ट हो रही हैं, तो बेचारी दिल्ली पुलिस भी अपने -अपने घर का बजट सँभालने के चक्कर में ईस शुभ अवसर का इंतजार कर रही थी, और जैसे ही आदेश मिला कि सावधान हर जगह सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दो और हर आने -जाने वालो पर कड़ी नज़र रखो .
फिर क्या दिल्ली वाले तो कभी भी अपनी गाड़ी में पूरा पेपर ( R.C., Insurance, Pollution Certificate and Driving License) तो रखते नहीं हैं, और दिल्ली पुलिस को भी ये बात अच्छी तरह से पता हैं .
अरे भाई साहेब फिर क्या ...... लोग अपना काम सौ -पचास में चलाने लगे और दिल्ली पुलिस ने लाखो कमा लिए.
एक बात और U.P. पुलिस भला क्यों पीछे रहती, उसने तो घर के बाहर निकलते ही हेलमेट के उपर चालान कि धमकी देनी शुरू कर दिया. अब कुछ भले आदमी जुगाड़ कर के बच गये और जो नहीं बचे वो बेचार दस-बीस रूपये दे करके निकल लिए . अब वो क्या हैं न कि उत्तर प्रदेश में अभी दिल्ली कि तरह मंहगाई नहीं हैं ना.............
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9 comments:
sab paise ki maya hai.
kisne kitne paise banaye scorboard bhi dijiye, vah hamara hidustan ...
bilkul sahi baat hai, main jab bhi punjab jaata hoon 2000-2500 to lag hee jaate hain un choron ki jebein bharne mein!
वेसे हम सभी कागजात साथ मे रखे तो अच्छा हे ना, कोई दिक्कत भी ना आये, ओर यह पैसे भी बचे,
भाई साहब! क्या आप भी जेब कटवा कर आये हैं क्या??? :-) :-) :-)
बहुत गुस्से में हैं....
कहाँ नही कमाती दिल्ली पोलिस? आभार।
पुलिस अपने स्वभाव से कैसे बिलग रह सकती है.
हा हा हा
क्या यह बेहतर नही होगा कि हम पूरे कागजात साथ मे रख कर चलें? कई लोग ऐसा करते हैं, हमे स्वयं गलती करके व्यव्स्था पर दोष देना उचित नही। हाँ यह ज़रूर है कि इतना होने पर भी अगर वो पैसे मांगे तो विरोध करने की हिम्मत भी दिखाईए, ब्लॉग पर गुस्सा उतारने से व्यवस्था नही बदलने वाली।
मैं भी ऐसी स्थितियों से दो चार हुआ हूँ, पर जब मैं नही झुका तो अंततः उन्हे मुझसे पैसा वसूलने का ख्वाब छोड़ना पड़ा।
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