Monday, February 21, 2011

फुरसत में कभी हो अगर -तारकेश्वर गिरी.

फुरसत में कभी हो अगर
तो दो पल हमें भी देना.
अपना प्यार.

हम तो यूँ ही बस
खाली-खाली से सोचते हैं
कौन हैं मेरा यार.

10 comments:

सोमेश सक्सेना said...

ऐसा भी क्या अकेलापन है जी?
मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहे जिस वक्त
मैं गया वक्त नहीं कि फिर आ भी न सकूँ

Taarkeshwar Giri said...

बहुत खूब लाइन लिखी हैं अपने , सोमेश जी.

DR. ANWER JAMAL said...

हे मेरे प्रगाढ़ अर्द्धमित्र ! अति NICE .

Sunil Kumar said...

इसे कहते है इंतजार की हद .......बहुत सुन्दर

राज भाटिय़ा said...

बहुत खुब, आप ने प्यार से पुकारा ओर आप का मित्र झट से हाजिर भी हो गया:)

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

प्यार मांगा जा रहा है... आजकल.... अपने जमाल साहब ने आपको अर्द्ध मित्र की श्रेणी में रखा है... इनके पास अवश्य कोई तरीका होगा..

मनोज कुमार said...

बिल्कुल फ़ुरसत में हैं जी .....!

Udan Tashtari said...

जब कहें जनाब!! उम्दा!

Taarkeshwar Giri said...

आप सभी का प्यार सर आँखों पर.

शिवा said...

बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.