जिंदगी तो सभी जीते हैं , जियो मगर थोड़ा हट के। अपना शौक है , घूमना और स्वादिस्ट भोजन।
ऐसा भी क्या अकेलापन है जी?मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहे जिस वक्तमैं गया वक्त नहीं कि फिर आ भी न सकूँ
बहुत खूब लाइन लिखी हैं अपने , सोमेश जी.
हे मेरे प्रगाढ़ अर्द्धमित्र ! अति NICE .
इसे कहते है इंतजार की हद .......बहुत सुन्दर
बहुत खुब, आप ने प्यार से पुकारा ओर आप का मित्र झट से हाजिर भी हो गया:)
प्यार मांगा जा रहा है... आजकल.... अपने जमाल साहब ने आपको अर्द्ध मित्र की श्रेणी में रखा है... इनके पास अवश्य कोई तरीका होगा..
बिल्कुल फ़ुरसत में हैं जी .....!
जब कहें जनाब!! उम्दा!
आप सभी का प्यार सर आँखों पर.
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
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10 comments:
ऐसा भी क्या अकेलापन है जी?
मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहे जिस वक्त
मैं गया वक्त नहीं कि फिर आ भी न सकूँ
बहुत खूब लाइन लिखी हैं अपने , सोमेश जी.
हे मेरे प्रगाढ़ अर्द्धमित्र ! अति NICE .
इसे कहते है इंतजार की हद .......बहुत सुन्दर
बहुत खुब, आप ने प्यार से पुकारा ओर आप का मित्र झट से हाजिर भी हो गया:)
प्यार मांगा जा रहा है... आजकल.... अपने जमाल साहब ने आपको अर्द्ध मित्र की श्रेणी में रखा है... इनके पास अवश्य कोई तरीका होगा..
बिल्कुल फ़ुरसत में हैं जी .....!
जब कहें जनाब!! उम्दा!
आप सभी का प्यार सर आँखों पर.
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
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