इंसानियत बड़ी हैं या मनुष्य का धर्म. पहले भी इस मुद्दे पर काफी बहस हो चुकी हैं. लेकिन फिर भी मैं चुप ना रह सका , क्योंकि अगर चुप रहे तो सब खो देंगे.
धर्म सदैव ही मनुष्य कि भलाई के लिए पैदा किये जाते हैं, ना कि समाज को लड़ाने के लिए. और धर्म कभी भी इतना कठोर नहीं होना चाहिए कि उसका पालन ना करने वालो को मौत कि सजा दे दी जाय. धर्म हमेशा सही राह दिखाने के लिए लाये जाते हैं, और समय के साथ -साथ धर्म ( समाज) में बदलाव भी जरुरी हैं.
एक ही समाज में रहने वाले बहुत से लोगो के लिए जरुरी नहीं हैं कि एक ही धर्म को माने. विपरीत धर्म के लोग भी एक समाज बना के रहते हैं और आपस में भाई -चारा कायम रखते हैं.
पाकिस्तान के एक गवर्नर श्रीमान तासीर कि हत्या सिर्फ इस लिए कर दी गई कि वो चाहते थे एक इसाई महिला को दी गई मौत कि सजा को कम करवा सके. लेकिन पाकिस्तान के अन्दर धर्म पर अंतकवाद हावी हो चूका हैं, और वंहा के धार्मिक नेता कभी भी इस तरह का बदलाव नहीं चाहते. नतीजा ये रहा कि उन्ही के सुरक्षा कर्मी ने गोलियों से भुन डाला. और आज पाकिस्तान के लोग उसे गाजी कहने लगे हैं.
और ये साफ संकेत हैं पाकिस्तान के लिए कि उसके समाज में धार्मिक अंतकवाद गहरी पैठ बना चूका हैं. और अगर इसी तरह रहा तो पाकिस्तान का समाज एक न एक दिन अपने आप ही इस्लामिक बम से ख़त्म हो जायेगा.
कभी - कभी तो ये सोच करके बहुत दुःख होता हैं कि क्या सचमुच इस्लामिक विचार -धारा में कभी भी बदलाव नहीं होगा.
3 comments:
हालाँकि मुझे इस खबर का स्त्रोत नहीं पता है, लेकिन लेख पढ़कर निहायत अफ़सोस हुआ की ऐसी विकृत मानसिकता के लोग अपने अधार्मिक कार्यों को भी धर्म का रूप दे देते हैं. बेहद अफ़सोस जनक खबर है
इंसानियत बड़ी हैं और धर्मांध होना एक पाप .
यहां ब्लागिंग में भी कुछ ताग़ूती ब्लागर्स नेकी की पीठ में छुरा भोंक रहे हैं । मेरे साथ ऐसा किया है और अब दूसरों के साथ भी कर रहे हैं ।
इसीलिए मैंने कहा है कि
अगर आप दोस्तों से होशियार रहेंगे तो दुश्मन कभी 'सक्सेज़' ना हो पाएगा क्योंकि वह दोस्ती का मुखौटा लगाकर भी आता है।
अच्छाई को दबाने के लिए क़त्ल करने वाले दारा सिहं और साध्वी प्रज्ञा जैसे ज़ालिमों का पाकिस्तान में पाया जाना यह बताता है कि वह आज भी जुर्म से पाक न हो सका , इसलाम पर पूरा न आ सका ।
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