Thursday, December 30, 2010

मुन्नी तो बदनाम हो चुकी लेकिन शीला कि जवानी के पीछे आज भी लोग लगे हैं- तारकेश्वर गिरी.

मुन्नी तो बदनाम हो करके के चली गई, और लोग भूल भी गये लेकिन शीला कि जवानी को लोग आज तक नहीं भूले . और भूले भी तो कैसे , ये रेडियो स्टेशन वाले भुलाने दे तब तो ना.

अब सोनिया कि जवानी (अरे बाप रे ये क्या लिख दिया) माफ़ी चाहूँगा.

हाँ तो भैया शीला कि जवानी के किस्से तो आज भी रेडिओ और टी वी पर जोर शोर से चल रहे हैं. इस चक्कर में दिल्ली में हुए महान राजनितिक घोटालो को लोग भूल चुके हैं.


अरुषि कि फाइल बंद हो गई, क्योंकि हत्यारा नहीं मिला. अब तो मीडिया वाले भी शोर नहीं मचा रहे हैं. लगता हैं कि अरुषि के माता -पिता ने उनको भी उनका हिस्सा दे ही दिया.

नीरा राडिया ने अपनी गिरफ्तारी दे करके गई लोगो कि पोल खुलने से बचा लिया हैं.

लेकिन ये भी तो सच हैं कि कलमाड़ी के बाद अब नंबर शीला कि ज.......................नी का होना चाहिए.

भैया आप तो इस लेख के बारे जो भी सोचे ये आप का काम हैं. टिप्पड़ी कर सके तो कर दें, अन्यथा आप कि मर्जी.

हम तो पुरे परिवार के साथ चले मसूरी घूमने..........................................

अब सोमवार को मिलेंगे...

15 comments:

Anonymous said...

शीला की जवानी के पीछे तो लोग पड़ेंगे ही पर असली मज़ा तो सच मे सोनिया की जवानी के राज खुलने के बाद आएगा।

राज भाटिय़ा said...

आप को यात्रा की शुभकामनाये जी, भाड मे जाये सोनिया, भाड मे जाये शीला

अविनाश वाचस्पति said...

मसूरी यूं ही घूम लेंगे
बिना नेट कनैक्‍शन के
एक हिन्‍दी ब्‍लॉगर जो बिल्‍कुल पसंद नहीं है

प्‍याजो की जवानी

संजय भास्‍कर said...

शीला की जवानी गाना तो बहुत ही अच्छा है

संजय भास्‍कर said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति.......
इश्वर से प्रार्थना है की आपका नववर्ष मंगलमय हो और आप इसी प्रकार हमें अपनी बेहतरीन कविताओं के माध्यम से मार्गदर्शन प्रदान करते रहें !!

Shah Nawaz said...

सही है मियां... हमें टिपण्णी के फेर में फंसा कर खुद चले गए नए साल का मज़ा लेने... गिरी जी आखिर आपने भी ब्लोगरगिरी दिखा ही दी... भय्या ब्लोगर जो ठहरे :-)

नए साल पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं!

आपका अख्तर खान अकेला said...

अब तो अपनी चवन्नी भी चलना बंद हो गयी यार
दोस्तों पहले कोटा में ही किया पुरे देश में अपनी चवन्नी चलती थी क्या अपुन की हाँ अपुन की चवन्नी चलती थी ,चवन्नी मतलब कानूनी रिकोर्ड में चलती थी लेकिन कभी दुकानों पर नहीं चली , चवन्नी यानी शिला की जवानी और मुन्नी बदनाम हो गयी की तरह बहुत बहुत खास बात थी और चवन्नी को बहुत इम्पोर्टेंट माना जाता था इसीलियें कहा जाता था के अपनी तो चवन्नी चल रही हे ।
लेकिन दोस्तों सरकार को अपनी चवन्नी चलना रास नहीं आया और इस बेदर्द सरकार ने सरकार के कानून याने इंडियन कोइनेज एक्ट से चवन्नी नाम का शब्द ही हटा दिया ३० जून २०११ से अपनी तो क्या सभी की चवन्नी चलना बंद हो जाएगी और जनाब अब सरकरी आंकड़ों में कोई भी हिसाब चवन्नी से नहीं होगा चवन्नी जिसे सवाया भी कहते हें जो एक रूपये के साथ जुड़ने के बाद उस रूपये का वजन बढ़ा देती थी , दोस्तों हकीकत तो यह हे के अपनी तो चवन्नी ही क्या अठन्नी भी नहीं चल रही हे फिर इस अठन्नी को सरकार कानून में क्यूँ ढो रही हे जनता और खुद को क्यूँ धोखा दे रही हे समझ की बात नहीं हे खेर इस २०१० में नही अपनी चवन्नी बंद होने का फरमान जारी हुआ हे जिसकी क्रियान्विति नये साल ३०११ में ३० जून से होना हे इसलियें नये साल में पुरे आधा साल यानि जून तक तो अपुन की चवन्नी चलेगी ही इसलियें दोस्तों नया साल बहुत बहुत मुबारक हो ।
नये साल में मेरे दोस्तों मेरी भाईयों
मेरे बुजुर्गों सभी को इज्जत मिले
सभी को धन मिले ,दोलत मिले ,इज्जत मिले
खुदा आपको इतना ताकतवर बनाये
के लोगों के हर काम आपके जरिये हों
आपको शोहरत मिले
लम्बी उम्र मिले सह्तयाबी हो
सुकून मिले सभी ख्वाहिशें पूरी हो
जो चाहो वोह मिले
और आप हम सब मिलकर
किताबों में लिखे
मेरे भारत महान के कथन को
हकीकत में पूरा करें इसी दुआ और इसी उम्मीद के साथ
आप सभी को नया साल मुबारक हो ॥ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कडुवासच said...

... bahut sundar ... shaandaar post ... shubhaa-shubh nav varsh - 2011 !!

Harshvardhan said...

nice post............

DR. ANWER JAMAL said...

@ भाई तारकेश्वर जी ! भारत की दुदर्शा में स्वहितचिँतक लोगों के समूह की निष्क्रियता का भी बड़ा योगदान है ।
समाज के व्यापक हितों से जुड़े लेख ये लोग अक्सर 'अमन के दमन' की खातिर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। जैसे कि
नामुराद बीमारी एड्स से मुक्ति के लिए लिखे गए मेरे लेख का हश्र देखकर आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि सामंती सोचक गुटबाज़ किस तरह सकारात्मक लेखन का वध किये जा रहे हैँ ?

ये ही लोग ज़िंदगी को मुन्नी और शीला के चर्चे में बेकार गंवाया करते हैं ।

बोलो , हमसे सहमत हो कि असहमत ?
@ अविनाश जी ! आपसे सादर सहमत हूं । मैं आपका लेख पढ़ने के लिए समय ज़रूर निकालूंगा , इंशा अल्लाह !

@ बहनो ! अब ब्लाग जगत में बहन कहने पर भी ऐतराज़ हो रहा है । आप विशेष तौर पर इसका संज्ञान लें ।
मैं अपनी ताज़ा और इस साल की आखिरी पोस्ट इसी विषय पर ला रहा हूं ख़ास आपके लिए !

उसकी भूमिका के तौर पर आप मेरे ब्लाग
अहसास की परतें
की सबसे ताज़ा 2 पोस्ट्स जरूर पढ़ लीजिए ।

DR. ANWER JAMAL said...

सभी भाई बहनों को सादर प्रणाम !
कृपया देखिये मेरा एक आर्टिकलतीन अलग अलग जगहों पर
'देशभक्ति का दावा और उसकी हकीक़त'
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/patriot.html

http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2010/12/patriot.html

http://blog-parliament.blogspot.com/2010/12/patriot.html

S.M.Masoom said...

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

मजे करिये

Rohit Singh said...

गीर साहब पता नहीं आपको क्या समस्या है। आप मनाली में जाकर मजे ले रहे हैं और यहां शीला की जवानी का लुत्फ(अमा गाने की बात कर रहा हूं) नहीं उठाने दे रहे हद कर दी आपने।

गिरी जी मीडिया को आरुषी मामले में तो फिलहाल बख्श दीजिए। इस बार सीबीआई की धज्जियां उड़ाने से पीछे नहीं रहा है मीडिय़ा।

Kailash said...

इस देश को तीन चीजों ने बर्बाद कर रखा है -
1॰ ओछी राजनीति
2॰ क्रिकेट
3॰ छिछोरी फिल्में
और रही सही कसर मुन्नी और शीला ने पूरी कर दी।
बुरा मत मानिएगा अगर मुन्नी, शीला, बिल्लो, गुलब्बो न हो तो न तो कोई फिल्म चल सकती है, न किसी नेता की रैली मे भीड़ एकट्ठी हो सकती है, न किसी मुहल्ले के नुक्कड़ पर कोई चौपाल लगेगी, न कालेजों मे लड़के इकट्ठे होगे। हा हा हा
सही है मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए!