Tuesday, August 31, 2010

सोचिये कि अगर ये कॉमन वेल्थ गेम किसी इस्लामिक देश में हो रहा होता तो क्या विदेशी सुवर के मांस कि डिमांड रखते - तारकेश्वर गिरी।






सोचिये कि अगर ये कॉमन वेल्थ गेम किसी इस्लामिक देश में हो रहा होता तो क्या ये विदेशी सुवर के मांस कि डिमांड रखते , और अगर रखते तो क्या वो लोग उनकी मांग को मान लेते।






और अगर चाइना या पूर्वी देशो के खिलाडी अगर ये कहते कि हम तो सिर्फ कुत्ते का ही मांस खायेंगे, तो क्या उनकी डिमांड पूरी हो जाती।






7 comments:

Taarkeshwar Giri said...

Ab Log deemand karenge ki Tanduri Kutta khana hai, Ya Freid chuha

Shah Nawaz said...

बहुत ही अफसोसजनक बात है..... विरोध होना ही चाहिए, बल्कि ऐसे कार्यों को रोकना चाहिए.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

रीढ़विहीन सत्ताधारियों के बीच राष्ट्रिय स्वाभिमान की बात बेमानी है.

Ayaz ahmad said...

लाजवाब पोस्ट मेरी नई पोस्ट भी देखें

ओशो रजनीश said...

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई ।

दुराचारी का कोई धर्म नहीं होता ....

कृपया एक बार पढ़कर टिपण्णी अवश्य दे
(आकाश से उत्पन्न किया जा सकता है गेहू ?!!)
http://oshotheone.blogspot.com/

Anonymous said...
This comment has been removed by the author.
Anonymous said...

पर गिरी साहब यह तो एक शर्म निरपेक्ष राष्ट्र है जहाँ के संसाधनो पर पहला हक मुस्लिमों का (जिन्होने इसके पहले ७०० वर्ष भारत पर राज्य किया फिर भी बेचारे शोषित हैं, अभी भी शोषण का शिकार हैं इसलिए porkistan मे जजिया की माँग अकसर होती है) और दूसरा मिशनरियों का है।