कंहा गई मेनका गाँधी और उनके लोग , जो अन्दर और बाहर अपनी रोटी पकाते फिरते हैं। कंहा गई वो दिल्ली के राम लीला मैदान कि भीड़ जिसने आधी दिल्ली में एक दिन गौ रक्षा के नाम पर जाम लगा दिया था।
आज जब ये तय हो चूका हैं कि मेहमान नवाजी गौ के मांस से होगी तो सारे गायब हैं, यंहा तक बड़े से बड़ा फेरबदल करने वाली सुप्रीम कोर्ट कि बेंच भी शांत हैं। वो मीडिया के लोग जो रात-दिन एक ही न्यूज़ लेकर के सर में दर्द कर देते हैं आज उनकी आवाज बंद क्यों हैं।
दिल्ली में तो गाय पहले से ही कट रही थी अब और कटेगी। पहले अपने लोगो के लिए कटती थी अब गैरो के लिए कटेगी।
चाहे कोई कितना भी चिल्ला ले कुछ नहीं होने वाला हैं। आखिर देश कि इज्जत दांव पे लगी हुई हैं,
दिल्ली बदनाम ही डार्लिंग तेरे लिए ,
दिल्ली तो झंडू बाम हुई डार्लिंग तेरे लिए।
अभी कल में इसी मुद्दे को लेकर के एक पोस्ट डाला था , अगर अपने नहीं पढ़ा हैं तो जरुर पढ़े...
http://taarkeshwargiri.blogspot.com/2010/08/blog-post_27.html
हजारो गाये कुर्बान हो जाएँगी -कॉमनवेल्थ गेम के नाम पर- तारकेश्वर गिरी।
हजारो गायों कि बलि दे दी जाएगी कॉमनवेल्थ गेम के नाम पर। और ये क़ुरबानी खुद दिल्ली कि सरकार देगी। क्योंकि विदेशी खिलाडियों ने और उनकी सरकार ने ये शर्त रखी हैं कि हमारे खिलाडियों को अगर दिल्ली सरकार रोज रात के खाने में अगर गाय का मांस देती हैं तो ठीक हैं , अन्यथा हमारे खिलाडी भारत में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम में हिस्सा नहीं लेंगे।
अब बताइए जरा हैं किसी के पास विरोध करने कि ताकत। कंहा हैं वो लोग जो लोग गाय के नाम पर राजनीती करते हैं, कंहा हैं वो लोग जो जीव हत्या का विरोध करते हैं।
दिल्ली सरकार भी क्या करे , उसकी मुखिया तो खुद भी गौ मांस भक्षक हैं।
9 comments:
भाड मै जाये यह देश ओर वहां के खिलाडी आना है तो हमारी शर्तो पर आओ, वरना.....किसी से झुक कर दब कर लेना अच्छा नही, काश हमारे देश मै यह बात कहने का दम होता
Aapne ek zabardast mudda uthaya hai. Kash sone wale aapki awaaz par jaag jaen...
sab jag kar ke bhi so rahe hain
बेहद शर्मनाक और अफसोसजनक लेकिन यहाँ पर एक बात कहना चाहूँगा ,हमें सिर्फ गायें के माँस पर ही नहीं बल्कि प्रत्येक जीव के माँस को खाए जाने की निंदा करनी चाहिए क्योंकि जितना दर्द गायें को होता है उतना ही दर्द प्रत्येक जीव को होता है चाहे वो बकरा हो,मुर्गा हो,सूअर हो या कोई भी हो ,इसलिए मांसाहार पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध होना चाहिए
और जो लोग गाये को अपनी माता मानते हैं उन्हें तो तभी छत्रपति शिवाजी की भाँती ऐसे लोगों के सर काट देने चाहियें थे जब हिन्दुस्तान में पहली गाय काटी गई थी ,अगर पहले ही ऐसा हो गया होता तो आज ये नौबत ना आती
@गिरी जी मुद्दे को उठाने के लिए आपका आभार
गिरी जी मेनका गाँधी को तो अपनी राजनीति चमकानी है और वह इसमें पशुओं का इस्तेमाल करती है इस संघर्ष मे आप जैसे निस्वार्थ लोगों का आगे आना ज़रूरी है
yaha vahi dekha jata hai aur tabhi dekha jata hai jab dekhane me bhalai ho...fir chahe menka ho ya media.....
yaha vahi dekha jata hai aur tabhi dekha jata hai jab dekhane me bhalai ho...fir chahe menka ho ya media.....
yaha vahi dekha jata hai aur tabhi dekha jata hai jab dekhane me bhalai ho...fir chahe menka ho ya media.....
...सब रोटी पकाने में व्यस्त हैं
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