Thursday, August 26, 2010

घुट -घुट कर के मौत का इंतजार कर रहा हैं वो, - तारकेश्वर गिरी.

घुट -घुट कर के मौत का इंतजार कर रहा हैं वो, आज में उससे मिला , उसने मुझे बताया कि सर में तो बस इंतजार कर रहा हूँ कि मेरी मौत कब आएगी।


आज सुबह में गुरु तेग बहादुर अस्पताल में आपने एक रिश्तेदार को दिखाने के लिए ले गया। वंहा पर डॉ ने खून कि जाँच करने के लिए कहा। में अपने रिश्तेदार को लेकर के जाँच करने के लिए जब लैब में पहुंचा तो वंहा लम्बी लाइन लगी हुई थी, में भी उसी लाइन में लग गया। मेरे आगे एक नौजवान लड़का खड़ा था, उसकी उम्र लगभग २२ साल के आस पास थी, थोड़ी देर में मेरी उस लड़के से बात चीत होने लगी। बातो - बातो में उसने बताया कि में एड्स से ग्रस्त हूँ -


मुझे जोर से झटका लगा कि , में जिस के सामने खड़ा हूँ क्या सचमुच वो एड्स का मरीज हैं। मुझे उस से दूर रहना चाहिए , लेकिन शायद नहीं, मुझे तुरंत इस बात का एह्शाश हुआ और मुझे इस से दूर नहीं होना चाहिए। आज कल मीडिया और खुद सरकारी तंत्र इस मामले में पूरी तरह से गंभीर हैं और समय - समय पर लोगो को ये जानकारी भी दी जाती हैं कि एड्स छूने या साथ खड़े होने से नहीं होता।

खैर मैंने फिर उसकी तरफ दया भरी दृष्टि से देखा और और पूछा कि आप को कब पता चला कि आप को एड्स हैं, उस नौजवान ने के कहा कि पिछले तीन महीने से । मैंने फिर पूछा कि क्या आपको पता हैं कि ये बीमारी आपको हुई कैसे। उसने घबराते हुए कहा कि हाँ वही जो नोर्मल वजह होती हैं एड्स के लिए। एक बात और जो उसने बताई वो ये कि अभी तक उसने अपने घर मैं किसी को भी इस बात कि जानकारी नहीं दी हैं। और सबसे अच्छी बात ये हैं कि वो नौजवान कुंवारा हैं।

में समझ गया था कि इसकी नोर्मल वजह क्या थी, बाद में उसने इस बात को मान भी लिया कि मुझे एड्स सिर्फ असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने से ही हुआ हैं।

खैर : सावधान

अगर किसी औरत या आदमी से यौन सम्बन्ध बनाना जरुरी हो तो सावधानी बरते और कोशिश करे कि अपने पत्नी या पति के प्रति वफादार ही रहे तो ज्यादे ही अच्छा होगा। रही बात कुंवारे लड़के और लड़कियों कि तो -घुट - घुट कर के मरने से तो अच्छा हैं कि इस तरफ ना ही जाएँ.


11 comments:

दीपक बाबा said...

बोले तो बिंदास.......... घुट - घुट कर के मरने से तो अच्छा हैं कि इस तरफ ना ही जाएँ

अविनाश वाचस्पति said...

बिल्‍कुल सही पोस्‍ट, इस तरह की बुराईयों से जागरूक करने के लिए ब्‍लॉगविद्या का प्रयोग अनुकरणीय है।

राज भाटिय़ा said...

भाई हम तो कभी भी *होटल* का खाना नही खाते, आप ने बहुत अच्छी शिक्षा की बात कही अपने लेख मै धन्यवाद

Ayaz ahmad said...

इस्लाम के आदर्श पर चलकर ही एडस जैसी बीमारियों बचा जा सकता है

Anonymous said...

@Dr. Ayaz Ahmad: कौन से इस्लामी आदर्श? polygamy (४ विवाह) अथवा मोताह? इस विषय मे सभी धर्म ग्रंथ एक ही बात कहते हैं --> संयम। भोगवाद किसी धर्म के गर्भ से नही आय है यह धन का दुष्प्रभाव है, Bible पढने पर मालूम पडता है कि ईसाइयत भी इसके विरुद्ध है, हिन्दु धर्म ग्रन्थ तो इसका विरोध करते ही हैं।

Anonymous said...

मोताह अथवा मिस्यार तो आप जानते ही होंगे --> इस्लाम मे स्वीकृत contract marriage.

Taarkeshwar Giri said...

Kyon Marte hain log , sab kuch jante hye bhi.

Taarkeshwar Giri said...

Thanks bhatiya Ji Aur Ayaz Ji

Taarkeshwar Giri said...

Sabko Thanks, Bahut Hi jaldt Ek aur post Dalunga Isi Subject Per

संजय @ मो सम कौन... said...

@ इस्लाम के आदर्श...:
बहुत अच्छा है आपका मजहब, हम भी मानते हैं। लेकिन हर बात में इसे लेकर चले आना जरूरी है क्या? शायद एड्स से मरने वालों में या फ़ैलाने के लिये जिम्मेदार लोगों में सभी गैर इस्लामी होते होंगे?

गिरी जी,अच्छी पोस्ट लिखी है आपने, लिखते रहिये सामाजिक विषयों पर।

Mahendra said...

Giri Ji,

Acha post ,prayas karte rahiye ,dusare post ka intjar rahega