Friday, April 2, 2010

एक पाकिस्तानी के बदले मैं १७ भारतीय।

एक पाकिस्तानी के बदले मैं १७ भारतीयपाकिस्तानी की मौत हुई ये बात तो सत्य है , वजह थी शराब बेचने की होड़क्या शारजाह पुलिश को इस बात की खबर नहीं थी, की उसके यंहा भारतीय और पाकिस्तानी दोनों मिलकर के शराब बेच रहे हैं

पाकिस्तानी की हत्या में पचास लोग गिरफ्तार किये गए , मगर उसमे से सिर्फ सत्रह हिंदुवो को ही दोषी पाया गया, क्योंकि बाकि सब पाकिस्तानी मुस्लमान थे

क्या कभी किसी ने ये सोचा है की उन सत्रह भारतीयों के परिवार वालो का क्या दोष है

क्या शरियत कानून में मौत की सजा के अलावा और कोई सजा नहीं है ? क्या ये सजा उम्र कैद में नहीं बदली जा सकती ?

भारत में तीन सौ लोगो की हत्या में शामिल कसाब अब रोज नए पैतरे बदल रहा हैहमारे ही देश के गद्दार वकील उसकी जान बचने में लगे हुए हैंरोज नए - नए साबुत पेश किये जाते हैंसंसद पर हमला करने वाले प्रमुख अभियुक्त को फांसी की सजा सुना दिए जाने के बाद भी सरकार उसे फांसी नहीं दे पा रही है

इसका मतलब ये नहीं की हमारा कानून कमजोर है , हमारे देश में माफ़ कर देने की परंपरा हैसुबह का भूला अगर शाम को घर वापस जाये तो उसे भूला नहीं कहते





7 comments:

Taarkeshwar Giri said...

क्या शरियत कानून में मौत की सजा के अलावा और कोई सजा नहीं है ? क्या ये सजा उम्र कैद में नहीं बदली जा सकती ?

Anonymous said...

इस्लाम की संवेदनशीलता कहाँ चली जाती है ऐसे में और ये कठमुल्ले जो इंसानियत की दुहाई देते हैं वो कहाँ छुप जाते हैं समझ में नहीं आता... मानवाधिकार आयोग क्यों मौन है .... ये सच है कि आज मुस्लिम देश बिना अंकुश के हाथी हो रहे हैं ... इनपर जल्द ही नियंत्रण न पाया गया तो ये इंसानियत के दुश्मन ही साबित होंगे ... मौत की सजा भी समझ में आती है किन्तु एक मौत के बदले सत्रह मौत??? ... ये निश्चय ही अनीति पूर्ण है और विद्वेष से भरा हुआ फैसला है ... इसकी दुनिया भर में जितनी भर्त्सना की जाय कम है ... इस युग में रह कर अपने हित के लिए आज की सारी सुविधाओं का उपभोग करने वाले मुस्लिम राष्ट्र अभी भी मज़हब का झूठा सहारा लेकर अपना हित साधने में ही लगे हुए हैं ... इंसानियत और भाईचारा सब ढोंग है
शर्म!शर्म!

प्रदीप said...

sahi uthya masla.

plz visit

http://rajkaj.blogspot.com/

राज भाटिय़ा said...

अभी तक आप के मित्र गण नही आये....:)

VICHAAR SHOONYA said...

इस खबर ने मेरा भी ध्यान आकर्षित किया था पर आजकल तो सिर्फ सानिया जी ही चारों तरफ छाई हुई हैं। अपने इस मुद्दे को ब्लॉग्गिंग की दुनिया में सबके सामने लाकर बहुत अच्छा कार्य किया है।

Urmi said...

सही मुद्दे लेकर आपने बहुत बढ़िया लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! मेरे ख्याल से १७ लोगों को मौत की सज़ा सुनाना नाइंसाफी है!
मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!

''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडल said...

aak lekhan