दुध की सफेदी काली पड़ने लगी है। क्योंकि दिन प्रतिदिन दुध के दामो मैं उछाल आ रहा है। दुध है की पानी -पानी होता जा रहा है और लोग कमा -कमा के काले हुए जा रहे हैं। अब लोग करे भी तो क्या करे । बिना दुध के काम भी तो नहीं चलने वाला है। सुबह उठते ही घर के बड़े चाय और बच्चे दुध की मांग शुरू कर देते हैं। दुध बेचने वाली कंपनिया मोटी काट रही है। क्योंकि उन्हें पता है की बिना दुध के काम तो चलने वाला नहीं है।
सरकार अपने आप में मस्त है उसे अभी फ़िलहाल कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। क्योंकि वो पूरी तरह से बहुमत में है। और चुनाव अभी बहुत दूर है। आखिर चुनाव के लिए चंदा तो येही कंपनिया ही देंगी ना। आखिर विरोध करे तो करे कौन।
शायद हम और आप मिल कर के इसका विरोध कर सकते हैं। सड़क पर खड़े हो कर के नारे लगाने की कोई जरुरत नहीं है और न ही कोई नई पार्टी बनाने की जरुरत है। इसका विरोध तो हम अपने -अपने घरो में बैठ कर के ही कर सकते हैं।
बस करना ये ही है की हमें हफ्ते में किसी भी एक दिन दुध का घर बैठे बहिष्कार करना होगा। उस दिन कोई भी चाय या कोफ़ी नहीं पिएगा। बच्चो को उस दिन दुध की जगह ताजे फलो का रस पिलाना होगा। फिर देखिये कैसे दुध बेचने वाली कंपनियों की आँखे खुलती है। अगर हमने मिलकर के सिर्फ हफ्ते में एक दिन दुध का बहिष्कार कर दिया तो इन कंपनियों की ऐसी की तैसी हो जाएगी।
और अब करना पड़ेगा। अगर आप सभी लोग चाहते हैं की महंगाई रुके तो।
सरकार अपने आप में मस्त है उसे अभी फ़िलहाल कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। क्योंकि वो पूरी तरह से बहुमत में है। और चुनाव अभी बहुत दूर है। आखिर चुनाव के लिए चंदा तो येही कंपनिया ही देंगी ना। आखिर विरोध करे तो करे कौन।
शायद हम और आप मिल कर के इसका विरोध कर सकते हैं। सड़क पर खड़े हो कर के नारे लगाने की कोई जरुरत नहीं है और न ही कोई नई पार्टी बनाने की जरुरत है। इसका विरोध तो हम अपने -अपने घरो में बैठ कर के ही कर सकते हैं।
बस करना ये ही है की हमें हफ्ते में किसी भी एक दिन दुध का घर बैठे बहिष्कार करना होगा। उस दिन कोई भी चाय या कोफ़ी नहीं पिएगा। बच्चो को उस दिन दुध की जगह ताजे फलो का रस पिलाना होगा। फिर देखिये कैसे दुध बेचने वाली कंपनियों की आँखे खुलती है। अगर हमने मिलकर के सिर्फ हफ्ते में एक दिन दुध का बहिष्कार कर दिया तो इन कंपनियों की ऐसी की तैसी हो जाएगी।
और अब करना पड़ेगा। अगर आप सभी लोग चाहते हैं की महंगाई रुके तो।
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