Wednesday, March 3, 2010

हिन्दू और मुस्लमान दोनों इस ग्रह के प्राणी नहीं हैं.

हिन्दू और मुस्लमान दोनों इस ग्रह के प्राणी नहीं हैंये दोनों तो किसी और ग्रह से इम्पोर्ट किये गए हैंहिन्दू किसी और ग्रह से टपके हुए हैं तो मुस्लमान किसी और ग्रह से आकर केदोनों मैं जरा सा भी समानता नहीं हैहिंदुवो के दो हाथ हैं तो मुसलमानों के चारमुस्लमान दो पैरो वालें प्राणी है तो हिंदुवो के पास तीन पैर हैहिन्दू और मुसलमानों के बीच ढेर सारी भिन्नतायें हैंएक पानी पिता है तो दूसरा जल पिता है, एक भोजन करता है तो दूसरा खाना खाता हैएक का खून लाल है तो दुसरे का खून महरूम है
कोई किसी को समझने की कोशिश नहीं करता , बस एक दुसरे की और ऊँगली उठाने पर लगे हुए हैंऔर मैं तो ये समझता हूँ की चाहे कितनी भी कोशिश कर ली जाय दो नो को समझाने के लिए कोई फायदा नहीं हैदोनों एक दुसरे की संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने मैं लगे हुए हैं
इसका एक ही आसन सा रास्ता है दोनों को वापस इनके -इनके ग्रहों पर भेज दिया जाय

4 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप का सुझाव अच्छा है।

Feeroj khan DEO, NREGA ZP DAMOH said...

dam hai bhai

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

तारकेश्वर जी, सच कहूँ तो ब्लागजगत में ये सब पढ पढ कर अब तो दिमाग भन्नाने लगा है। हैरानी होती है कि जो लोग अपने आप को पढा लिखा कहते हैं, वो भी इस प्रकार धर्मों की लडाई में लगे हुए हैं। इन लोगो को इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि धर्म न तो हिन्दू है, न इस्लाम, न जैन ओर न इसाई है---बल्कि धर्म तो एक आदर्श जीवन शैली है, सुख से जीने की पावन पद्धति है, शान्ति प्राप्त करने की विमल विद्या है, सर्वजन कल्याणी आचार संहिता है, जो सबके लिए है। बस सब आस्था और विश्वास की बात की बात है कि किसकी आस्था कहाँ जुडी हुई है....क्यूँ लोग किसी की आस्था से खिलवाड करके मनों में विद्वेष पैदा करने में लगे हुए हैं....मैं तो कहता हूँ कि लानत है इन लोगों के पढे लिखे होने पर...जो कि इनकी बुद्धि में इतनी भी समझ पैदा न कर सकी।

L.R.Gandhi said...

हर आदमी का अपना ही अलग धरम हो? सब झंझट ही ख़त्म हो जाये .