चाहे जो कर लो , आतंक वाद का सहारा लेकर कर के, जितने मर्जी मुसलमान मारो, नया मुसलमान रोज पैदा होगा.
ये कहना है श्रीमान डॉ जाकिर नाइक का।
Peace T. V. के एक प्रोग्राम मैं डॉ नाइक धर्म परिवर्तन करा रहे थे , जगह थी , Azam Campus , Pune. लेकिन क्या जाकिर साहेब ये बता सकते हैं की धर्म परिवर्तन इतना जरुरी क्यों है। और अगर इतना ही जरुरी है तो उन कट्टरपंथियों का दिमाग और दिल परिवर्तन क्यों नहीं करते जो की इस्लाम के नाम पर कलंक है। रोज सैकड़ो लोग मारे जा रहे है, शिया और सुन्नी के नाम रोजाना कत्ले आम किया जा रहा है. पर उनका दिल परिवर्तन क्यों नहीं करते। दो सिखों का सर कलम कर दिया , उनकी क्या गलती थी , क्या वो इन्सान नहीं थे। मुस्लमान अगर अपने धर्म का इतना ही कट्टर है तो क्या धर्म सिर्फ सजा देने के लिए होता है।
मुझे तो लगता है की डॉ नाइक के पूर्वजो ने डॉ नाइक को हिन्दू परिवार मैं पैदा कर के ही गलती की है। डॉ नाइक को भारत से कोई प्यार नहीं है उन्हें सिर्फ अपने धर्म से प्यार है। नाइक के अन्दर से देश भक्ति नहीं बल्कि गद्दारी की बू आती है। अपने ही संस्कार और अपनी ही संस्कृत बेच खाई है डॉ नाइक ने। डॉ नाइक, अगर अपने आप को इतना बड़ा विद्वान समझते है तो धर्म के साथ -साथ अपनी भारतीय संस्कृत का भी प्रचार करते। लेकिन नहीं उन्हें तो अरबियन संस्कृत से प्यार हो गया है।
ये कहना है श्रीमान डॉ जाकिर नाइक का।
Peace T. V. के एक प्रोग्राम मैं डॉ नाइक धर्म परिवर्तन करा रहे थे , जगह थी , Azam Campus , Pune. लेकिन क्या जाकिर साहेब ये बता सकते हैं की धर्म परिवर्तन इतना जरुरी क्यों है। और अगर इतना ही जरुरी है तो उन कट्टरपंथियों का दिमाग और दिल परिवर्तन क्यों नहीं करते जो की इस्लाम के नाम पर कलंक है। रोज सैकड़ो लोग मारे जा रहे है, शिया और सुन्नी के नाम रोजाना कत्ले आम किया जा रहा है. पर उनका दिल परिवर्तन क्यों नहीं करते। दो सिखों का सर कलम कर दिया , उनकी क्या गलती थी , क्या वो इन्सान नहीं थे। मुस्लमान अगर अपने धर्म का इतना ही कट्टर है तो क्या धर्म सिर्फ सजा देने के लिए होता है।
मुझे तो लगता है की डॉ नाइक के पूर्वजो ने डॉ नाइक को हिन्दू परिवार मैं पैदा कर के ही गलती की है। डॉ नाइक को भारत से कोई प्यार नहीं है उन्हें सिर्फ अपने धर्म से प्यार है। नाइक के अन्दर से देश भक्ति नहीं बल्कि गद्दारी की बू आती है। अपने ही संस्कार और अपनी ही संस्कृत बेच खाई है डॉ नाइक ने। डॉ नाइक, अगर अपने आप को इतना बड़ा विद्वान समझते है तो धर्म के साथ -साथ अपनी भारतीय संस्कृत का भी प्रचार करते। लेकिन नहीं उन्हें तो अरबियन संस्कृत से प्यार हो गया है।
3 comments:
गिरी भाई, घोर कलयुग है और इस कलयुग में आपको तो पता होगा ही कि दुष्ट आत्माए ही अधिक फलती फूलती है और चर्चा में रहती है !
राम चन्द्र कह गए सिया से ....................!!
JO RSS K NA HONGE MAARE JAAYENGE!!!
किसी पागल के बारे कोई चर्चा नही
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