एक जंगल ये भी जहाँ जानवरों के साथ साथ इन्सान भी रहते हैं, जानवरों के बीच में कोई भी खतरनाक जानवर नही है मगर इंसानों के बीच में हजारो की गिनती में खतरनाक जानवर मिलेंगे। सबसे ज्यादा इंसानी जानवर सरकारी मोहल्ले में पाए जाते हैं , जिनको अक्कल नाम की बिल्कुल भी कोई वस्तु उनके पास नही है। अगर अक्कल नाम की कोई चीज उनके पास होती तो शायद प्रकृति को बचाने में उसका योगदान जरुर करते।
बात दिल्ली की है, दिलशाद गार्डेन से कश्मीरी गेट तक, अक्षरधाम से गाजीपुर तक , गाजीपुर से दिलशाद गार्डेन तक, फ्लाई ओवर बनाने के चक्कर में ८० प्रतिशत तक पेड़ो को काट दिया गया है, अधिकारी चाहते और दिमाग से काम लेते तो तो शायद बड़ी मात्रा में पेड़ो को बचाया जा सकता था। आप लोग ख़ुद भी देख सकते हैं ऐसी -ऐसी जगह से पेड़ो को काटा गया हैं , जो निर्माण स्थल से काफी दूर हैं उन्हें भी रास्ते से हटा दिया गया है। दिलशाद गार्डेन से ले कर के गाज़ियाबाद के मोहन नगर के बीच में सैकड़ो की संख्या में बड़े और पुराने पेड़ो को काट दिया गया है,
आप में से कई लोग प्रतिदिन इन रास्तो से आते जातें होंगे , मगर क्या आप ने कभी सोचा की ये क्या हो रहा है।
बात दिल्ली की है, दिलशाद गार्डेन से कश्मीरी गेट तक, अक्षरधाम से गाजीपुर तक , गाजीपुर से दिलशाद गार्डेन तक, फ्लाई ओवर बनाने के चक्कर में ८० प्रतिशत तक पेड़ो को काट दिया गया है, अधिकारी चाहते और दिमाग से काम लेते तो तो शायद बड़ी मात्रा में पेड़ो को बचाया जा सकता था। आप लोग ख़ुद भी देख सकते हैं ऐसी -ऐसी जगह से पेड़ो को काटा गया हैं , जो निर्माण स्थल से काफी दूर हैं उन्हें भी रास्ते से हटा दिया गया है। दिलशाद गार्डेन से ले कर के गाज़ियाबाद के मोहन नगर के बीच में सैकड़ो की संख्या में बड़े और पुराने पेड़ो को काट दिया गया है,
आप में से कई लोग प्रतिदिन इन रास्तो से आते जातें होंगे , मगर क्या आप ने कभी सोचा की ये क्या हो रहा है।
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