अंग्रेजो के ज़माने का पुलिसिया ढांचा आखिर कैसे बदल सकता हैं, सरकार तानाशाह जो ठहरी. नागरिक सुरक्षा का नारा देने वाली दिल्ली पुलिस अब नागरिको के मौलिक अधिकारों का दमन करने से भी नहीं चूक रही हैं.
भारत कि केंद्रीय सरकार ईस हद तक भ्रस्टाचार में लिप्त हो चुकी हैं कि उसका बाहर निकलना अब तय होगया हैं. लेकिन खिसियानी बिल्ली खम्बा तो नोचेगी ही. दिल्ली पुलिस ये भूल जाती हैं कि उसका काम जनता कि सेवा करना और उसके अधिकारों का पालन करवाना हैं ना कि नेतावो और मंत्रियों कि चापलूसी करना.
आज दिल्ली में हालत इमेर्जेसी ( इंदिरा गाँधी के ज़माने ) वाली हो गई हैं. कोई भी नागरिक अपना विरोध प्रकट नहीं कर सकता नहीं तो लाठियों से पीटा जायेगा. वजह केंद्र सरकार ज्यादा से ज्यादा समय जनता को उलझाना चाहती हैं ताकि गाँधी परिवार और उनके भ्रष्ट करीबी चमचे अपने काले धन को छुपा सके.
भारत के इतिहास में जितनी विदेश यात्रा श्रीमती सोनिया गाँधी और उनके परिवार के लोगो ने कि हैं , उतनी यात्रा शायद ही कोई भारत का प्रधान मंत्री या विदेश मंत्री ने कि हो.
जिस तरीके से दिल्ली पुलिस ने अन्ना हजारे के सामने अनशन करने कि शर्त रखी हैं उसे तो येही लगता हैं कि अन्ना हजारे को भ्रस्टाचार के विरोध में अनशन नहीं बल्कि तीन दिन तक रोजा रखने कि सलाह दी गई हो. आज दिल्ली के अन्दर दिल्ली पुलिस ही सर्वोच्च अधिकार रखने वाली संस्था बन गई हैं. दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार सब दिल्ली पुलिस के सामने बेबस हैं.
मुझे तो डर लग रहा हैं कि गुप्ता जी अपने आप को दिल्ली का मुखिया ना घोषित कर दे.
2 comments:
kya ham vaastav me aajadi pa gaye hain..
Ji nahi. Gulami ka danda Angrejo se Congress ne apne hath main le liya hai.
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