Wednesday, April 27, 2011

तिहाड़ जेल - सपनो का आशियाना. ----------------------------तारकेश्वर गिरी.

एक ज़माने में लोग तिहाड़ जेल को बड़ी ही गन्दी नज़र से देखते थे. और तिहाड़ मोहल्ले से दूर ही रहना पसंद करते थे. जमाना बदलता गया और लोगो कि सोच भी .

पुराने ज़माने में बुधजिवी और अमीर वर्ग तिहाड़ को बड़ी गन्दी नज़र से देखता था, लेकिन आज उसका रूप बदल गया हैं, जबसे अदालत ने फ्लैट आवंटन का काम अपने जिम्मे लिया तब से केंद्र सरकार के मंत्री और अधिकारी के बीच में होड़ लग गई हैं , कि पहले आवो ओर पहले पावो.

वैसे तो सरकार लोगो के लिए काफी अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध करा रही हैं, जैसे कि अच्छा खाना-पानी, और भी बहुत कुछ.

अभी तो बहुत से हस्तियों के लिए जगह हैं, लेकिन थोडा समय लग रहा हैं क्यंकि साफ -सफाई का काम अभी बाकि हैं.

7 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

देखिये कौन कौन शोभा बढ़ाता है...

Shah Nawaz said...

:-)

Sushil Bakliwal said...

आवत जाओ ठंसी-ठंसी जाओ...

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

आपका भी जवाब नहीं।

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देखिए ब्‍लॉग समीक्षा की बारहवीं कड़ी।
अंधविश्‍वासी आज भी रत्‍नों की अंगूठी पहनते हैं।

राज भाटिय़ा said...

तिहाड जेल को किसी गंदे नाले के करीब होना चाहिये, ताकि इन लोगो को अहसास हो कि नर्क केसा होगा..

Anonymous said...

admision kaise lu,ab to jana hi hai mujhe

Udan Tashtari said...

जेल नहीं आश्रम हो गया है तिहाड़ किरण बेदी के जमाने से.....और यह सारे महानुभाव साधु बाबा!!