ये तो समय का तकाजा हैं मेरे साथियों कि आज में कमजोर हो गया हूँ, लोग गलत कहते हैं कि शेर कभी बुढा नहीं होता, में तो बुढा हो गया हूँ. अब मेरी कोई नहीं सुनता हैं. सब अपनी -अपनी रोटियां सकने में लगे हैं.
आज मुझे बहुत ही दुःख हो रहा कि मेरे अपने ही पराये हो गये हैं. कोई भी मेरा साथ नहीं दे रहा हैं. हर तरफ जनता चिल्ला रही रही , नेता और मंत्री लूट -लूट कर के अपना घर भरे जा रहे . कुछ तो इतने बड़े लुटेरे निकल कि वो तो देश का पैसा विदेशो में भी जा कर के जमा करवा रहे हैं.
अब तो में इस्तीफा देने जा रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ कि भारत में भी मिश्र कि तरह सत्ता परिवर्तन जरुर होगा.
धन्यवाद्.
आपका अपना मजबूर प्रधान मंत्री
मनमोहन सिंह.
7 comments:
बेचारे मनमोहन जी
अरे तार्केश्वेर जी मैं तो टाईटल देख देर गया की आप कैसे बूढ़े हो गए?
मनमोहन सिंह बूढ़े हुए तो कोई बात नहीं.
अजी ताकतवर कब थे? जब की भारत की सब से ताकतवर कुर्सी पर विराज मान रहे फ़िर भी... जी हजुरी... राज नीति मे ताकत कुर्सी से आती हे उम्र से नही.जाओ जी अमेरिका या इटली मे ही कोई मिल जाये आप को गले लगाने वाला, यहां तो जो आप ने जनता को दिया हे जनता आप को वापिस देगी ही...
कमजोरी की बात छोड़िए राज जी यह सिंह ही कब दिखे?
man mohan nahi hai.... bebus man hai..........
यह क्या कर डाला आपने..
बहुत जोर की चुटकी ली है।
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ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
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