Saturday, December 11, 2010

आजमगढ़ और महर्षि दुर्वासा- तारकेश्वर गिरी


महर्षि दुर्बासा का नाम तो लगभग हर भारतीय जनता हैं. और कुछ को उनकी कहानिया भी पता हैं. लेकिन इस महर्षि कि तपो भूमि कंहा हैं बहुत ही कम लोगो को पता हैं.


आजमगढ़ मुख्यालय से ४० किलोमीटर कि दुरी पर बसा हैं एक छोटा सा गाँव. जिसका नाम हैं दुर्वासा . तहसील और ब्लोंक फूलपुर हैं. फूलपुर से दुर्वासा कि दुरी लगभग ७ किलोमीटर हैं. ये वोही फूलपुर(फूलपुर क़स्बा अलग हैं, और तहसील और ब्लाक अलग हैं . जबकि फूलपुर रेलवे स्टेशन को खुरासान रोड के नाम से जाना जाता हैं.) जंहा के कैफ़ी आज़मी (कैफ़ी आज़मी जी के गाँव का नाम मेजवा हैं, जो कि खुरासान रोड [फूलपुर से ३ किलोमीटर कि दुरी पर हैं.]) साहेब और उनकी बेटी शबाना आज़मी जी हैं.

दुर्वासा गाँव टौंस और मगही नदी के संगम पर बसा हैं. एक तरफ भगवान शिव का मंदिर जिनको रिख्मुनी के नाम से स्थानिया लोग पुकारते हैं, तो नदी के पार महर्षि दुर्बासा जी का मंदिर या कह ले कि आश्रम. इस आश्रम में दुर्बासा जी तपस्या करते थे.


सप्त ऋषियों में से तीन ऋषियों कि तपो भूमि रही हैं ये जगह. और उसका उदहारण हैं टौंस नदी के किनारे तीन ऋषियों के आश्रम.


कार्तिक पूर्णिमा के दिन बहुत ही विशाल मेला लगता हैं. और बहुत ही दूर - दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने वाला मेला पुरे तीन दिन तक चलता हैं.

ऋषि अत्री और सती अनसुइया के पुत्र महर्षि दुर्वासा कि अपनी अलग ही पहचान थी. और ये अपने श्राप और क्रोध के लिए ज्यादे जाने जाते हैं.

उत्तर प्रदेश कि सरकार ने इस तीर्थ स्थल पार ध्यान न के बराबर दिया हैं. जिसकी वजह से ये तीर्थ स्थल लोगो कि जानकारी से बहुत दूर हैं.


दुर्बासा जी का एक आश्रम मथुरा में भी हैं.

10 comments:

सूबेदार said...

तारकेश्वर जी अपने एक बहुत अच्छी जानकारी दी है, ये तो हमें भी नहीं पता था ---बहुत-बहुत धन्यवाद .

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

अच्छी जानकारी..

Ayaz ahmad said...

good job .

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जानकारी,धन्यवाद

S.M.Masoom said...

ज्ञानवर्धक पोस्ट

अजय कुमार said...

अच्छी जानकारी , आभार

Taarkeshwar Giri said...

Janiye ki Azamgarh kitna sunder hai

Unknown said...

उत्तर प्रदेश कि सरकार ने इस तीर्थ स्थल पार ध्यान न के बराबर दिया हैं. जिसकी वजह से ये तीर्थ स्थल लोगो कि जानकारी से बहुत दूर हैं.
bahut sunder jankari.

KULDEEP NISHAD said...

काबिले-तारीफ आपके उठाये गए कदम!!
देखने, सुनने, पढ़ने को महाभारत,रामायण में ,
मगर यथार्थ भौतिक रूप से कहाँ रहते थे आदि
सिर्फ स्थानीय लोगों तक ही सीमित रह गया है, माहात्म्य तो दूर की बात है.....👌

Education india said...

Enter your comment...आप सभी से अनुरोध है यह जानकारी दूर-दूर तक पहुँचाये धन्यवाद