Friday, September 17, 2010

पूरा का पूरा ब्रहमांड सिर्फ तीन पर आधारित हैं।- तारकेश्वर गिरी.

पूरा का पूरा ब्रहमांड सिर्फ तीन पर आधारित हैं। श्रृष्टि के निर्माता ने जब श्रृष्टि कि रचना कि होगी तो उस समय इस ब्रहमांड में क्या रहा होगा, किसी को भी नहीं पता। लेकिन मेरा मानना हैं कि उसकी रचना के दौरान गिनती कि संख्या ३ जरुर महत्वपूर्ण रही होगी.

लेकिन हमारे हिंदुस्तान में संख्या ३ को अपशगुन मानते हैं , जैसे कि तीन जने एक साथ घर से साथ नहीं निकलना और वेगैरह - वेगैरह।

लेकिन में आपको कुछ ऐसे उदहारण दूंगा जिससे ये साबित होगा कि संख्या ३ जरुर कंही न कंही आपने आप में महत्वपूर्ण हैं। लेकिन उससे पहले एक और दो के बारे में भी बता दूँ।

१- ईश्वर एक हैं, और सिर्फ एक ही हैं।

२- + और - जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं, इस के बिना जीवन अधुरा हैं। ( नर और मादा)।

३-

  • हिन्दू धर्म के अन्दर ३ भगवान और तीन ही देवियाँ हैं [( ब्रम्हा , विष्णु और महेश- लक्ष्मी , सरस्वती और पार्वती)]।
  • हमारे शरीर के तीन हिस्से हैं , ( सर , धड और कमर के नीचे का हिस्सा)
  • हमारी अँगुलियों में भी तीन ही हिस्से हैं और फिर पुरे हाथ में भी तीन ही हिस्से हैं और उसी तरह हमारे पैर में भी।
  • पूरी दुनिया में पांच महादीप हैं लेकिन अफ्रीका , एशिया और यूरोप ये तीनो एक साथ जुड़े हुए हैं और इनको एक साथ जोड़ दिया जाय तो सिर्फ तीन ही महादीप कहलायेंगे - अमेरिका , आस्ट्रेलिया और यूरेशिया महादीप।
  • हिंदुस्तान तीन प्रमुख नदिया हैं - गंगा , जमुना और सरस्वती ( सरस्वती विलुप्त हो चुकी हैं और यमुना होने वाली हैं उसके बाद गंगा भी विलुप्त हो जाएँगी)।
  • भारत तीन तरफ समुद्रो से घिरा हुआ हैं और तीन समुद्रो से घिरा हैं ( हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल कि खाड़ी )।
  • भारत में तीन प्रमुख धर्म हैं - हिन्दू , मुस्लिम और इसाई (सिख , बौध और जैन हिन्दू धर्म के ही हिस्से हैं)
  • भारत में हिन्दू धर्म से भी तीन धर्म निकले हुए हैं - बौध, जैन और सिख.
  • पूरी दुनिया में तीन प्रमुख धर्म हैं - इसाई, बौध और इस्लाम।

पोस्ट काफी लम्बी हो रही हैं , इस लिए इस कड़ी को इसी जगह पर रोक रहा हूँ अगर आप सबको पसंद आएगी तो अगली कड़ी लिखूंगा ................

36 comments:

सुज्ञ said...

भारत में हिन्दू धर्म से भी तीन धर्म निकले हुए हैं - बौध, जैन और इसाई। ?

वीना श्रीवास्तव said...

मन को बहलाने की बातें हैं जिन लोगों को तीन नम्बर से परहेज होगा उसके लिए उनके पास तर्क भी होंगे लेकिन आपने पूरी कोशिश की है समझाने की...अच्छा लिखा है...

Saleem Khan said...

sugy ki sugyta shuny hai lagta hai...!!!

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

मानसिक स्वच्छता की आवश्यकता है कुछ लोगों को.. वीना जी सही कह रही हैं...

Taarkeshwar Giri said...

MERA MATLAB ANDHVISHWASH KO DUR KARNA HAI

Taarkeshwar Giri said...

aur 3 no. ki importency ko dikhana

अन्तर सोहिल said...

सुज्ञ जी की सवाल सही है जी
इसाई, हिन्दू से नहीं निकला है। ठीक कर लें।

अन्तर सोहिल said...

किसी भी अंक या शब्द को लेकर जब हम विचार करने लगते हैं तो हमारा दिमाग बहुत जोड सकता है। देखें -

दे ताली

अंक अजूबा सात

अन्तर सोहिल said...

लेकिन लेख आपका पसन्द आया
बढिया चर्चा की है आपने, आगे भी लिखियेगा।

विज्ञान (भौतिक/बाहर) की खोज अंतिम तीन पर जाकर ठहर गई। पदार्थ>अणु>परमाणु के बाद इलैक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन पर जाकर समाप्त हो गई।

धर्म (आत्मिक/अंतर)की खोज भी तीन पर जाकर ठहर गई। ब्रह्मा, विष्णु, महेश

पूरब ने धर्म की खोज की और पश्चिम ने विज्ञान की

ब्रह्मा, विष्णु, महेश का कार्य है जन्म, पालन और संहार

इलैक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का भी यही कार्य है।

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अन्तर सोहिल said...

राष्ट्रध्वज में भी तीन ही रंग हैं।
मृत्योपरांत भी तीन कपडे ही पहनाये जाते हैं।
आमतौर पर तीन ही लोक कहे जाते हैं।
स्वर्ग-नरक-पाताल
समय के तीन आयाम हैं। वर्तमान, भूत, भविष्य

साल-महिने-दिन या
घंटे-मिनट-सैकिण्ड
राष्ट्रचिन्ह में तीन शेर ही दिखते हैं।

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Taarkeshwar Giri said...

Sohil Ji Thanks for example and suggesion

Taarkeshwar Giri said...

Meri post ka balance masala aap hi dal denge kya

अन्तर सोहिल said...

बेसिक रंग तीन होते हैं
लाल, पीला, हरा

अन्तर सोहिल said...

ठोस-द्रव-गैस
चेतन-अचेतन-अवचेतन

सुज्ञ said...

धन्यवाद,तार्केश्वर जी, कर लिये गये सुधार के लिये।
धन्यवाद,अन्तर सोहिल जी मेरे प्रश्न पर ध्या्नाकृषण के लिये।
सलीम खान साहब ने क्या कहा पता न चला।

अन्तर सोहिल said...

क्या सुज्ञ जी!
आप ऐसी टिप्पणियां भी पढ जाते हो?
हा-हा-हा

प्रणाम

अन्तर सोहिल said...

@ तारकेश्वर गिरि जी

बन्धु, अगर हो सके तो काला बैकग्राऊण्ड बदल दें। आभार होगा
काला बैकग्राऊण्ड आंखों पर बहुत जोर डालता है। मुझे तो पढने में परेशानी होती है, क्या किसी और पाठक को भी हो रही है?

प्रणाम

Taarkeshwar Giri said...

Anter Sohil ji ke vinamra nivedan ki wajah se colour change kar diya hai hamne

सुज्ञ said...

धन्यवाद, अन्तर सोहिल जी,निरपेक्षता निर्देश के लिये।

तारकेश्वर जी, रंग अभी भी काला ही है,कदाचित टेम्पलेट का बेकग्राउण्ड काला है।

हमारी तो तीन टिप्पणियां पूर्ण हुई।

अन्तर सोहिल said...

यहां तो अब भी काला ही है, गिरि जी
क्या बदला आपने?

Shah Nawaz said...

वाह क्या बात है! तीन की महिमा.......

वैसे इसाई भी ट्रिनिटी ( God, Jesus Christ & Holy Spirit) में विश्वास रखते हैं.

हमारीवाणी said...
This comment has been removed by the author.
हमारीवाणी said...

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टीम हमारीवाणी


हमारीवाणी पर ब्लॉग पंजीकृत करने की विधि

हमारीवाणी said...

तारकेश्वर गिरी जी,

आपके ब्लॉग पर लगा हमारीवाणी का कोड ठीक नहीं है, कृपया अपने ब्लॉग के पते में से www हटा दो. ब्लॉग के पते में www नहीं होता है.

Ayaz ahmad said...

अच्छा है ! गिरी जी लगे रहो ।

Unknown said...

आपने बड़ी मेहनत की प्रभुजी !
फिर भी बहुत कुछ छूट गया है...........

मैं इसलिए नहीं लिख रहा क्योंकि इस पूरे शब्द-विलास का श्रेय आपको ही मिलना चाहिए......

आपकी अन्तिम प्रस्तुति के बाद भी कुछ छूट गया तो, मैं ज़रूर सूचित करूँगा....

धन्यवाद !

ZEAL said...

.

त्रिदेव-ब्रम्हा, विष्णु महेश
त्रिगुण- सत्व , रज , तम
त्रिकाल -भुत , भविष्य , वर्तमान
त्रिदोष -वाट, पित्त , कफ
त्रि-एषणा- प्राण एषणा , धन-एषणा , परलोक-एषणा
त्रिस्तंभ -आहार , निद्रा , ब्रम्हचर्य

सुन्दर लेख...आभार..आगे का इंतज़ार रहेगा।

..

ZEAL said...

कृपया वाट को वात पढ़ा जाए।

Udan Tashtari said...

काफी विमर्श चल रहा है यहाँ तो. :)

Anonymous said...

एक नया विषय पिछली post से एक दम हत कर। गिरी जी आप हमेशा गुगली डलते हो, बढिया है, कोई नही अनुमान लगा सकता कि आपका अगला विषय क्या होगा।

मस्त|

Taarkeshwar Giri said...

agli post shaam ko

S.M.Masoom said...

त्रिदेव के साथ साथ त्रिलोक भी है.

S.M.Masoom said...

सुज्ञ जी कहीं से कुछ भी निकाल देते हैं क्या भाई ?.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

और पूरी दुनिया में सिर्फ तीन चीज़ें ही आजकल हो रही हैं.... लड़ाई, झगडा और क़त्ले-आम.... वैसे यह तीन का तिगाड़ा बहोत दूर की कौड़ी लाये हैं आप खोज कर.... जिनपर जल्दी किसी का ध्यान नहीं जाता है...

संगीता पुरी said...

बहुत मेहनत की है आपने .. अंतर सोहिल जी और दिब्‍या श्रीवास्‍तव जी ने इस सुंदर लेख में और कई विंदू जोड दिए .. बढिया रहा !!

Unknown said...

हमें तो आज पता चला कि कुछ लोग 3 को बुरा मानते हैं।