प्रेम कि हद क्या होती है, आज सुबह - सुबह जब सो कर के उठा तो पता नहीं कंहा से अचानक ख्याल आया कि आखिर किस हद तक किया जा सकता ही प्यार। प्यार एक ऐसा शब्द जिसको बोलने मात्र से सुखद आनंद कि प्राप्ति हो जाती है।
प्रभु से प्यार, माता - पिता से प्यार, भाई-बहन से प्यार , पत्नी से प्यार, प्रेयशी से प्यार, बच्चो से प्यार, रिश्तेदारों से प्यार, दोस्तों से प्यार , जानवरों से प्यार, प्रकृति से प्यार - और ना जाने किस -किस से प्यार।
लेकिन मतलब तो देखिये हर प्यार का मतलब अलग- अलग होता है। कई जगह तो प्यार सिर्फ मतलब के लिए किया जाता है, तो कई जगह जानबूझ कर के दिखावे के लिए किया जाता है प्यार।
प्रभु का प्यार आनंद कि प्राप्ति करवाता है। माता-पिता , भाई-बहन, पत्नी, बच्चो, रिश्तेदारों और दोस्तों का प्यार सामाजिक बन्धनों में जकड़े रहने कि अनिवार्यता दर्शाता हैं जानवरों और प्रकृति का प्यार सबको साथ ले कर के चलने कि दिशा दिखता है। मगर प्रेयशी का प्यार क्या कहलाता है ।
क्योंकि आज के ज़माने में जंहा भी प्यार शब्द का इस्तेमाल हुआ , कुछ लोग तो बस येही कहेंगे कि बेटा तू तो गया काम से । प्रेयशी के प्यार ने अगर आगे चल कर के किसी रिश्ते का रूप ले लिया तो ठीक नहीं तो उसका क्या होता है। बेचारे दो प्रेमी।
एक छोटी सी घटना का जिक्र कर रहा हूँ :- मेरे एक मित्र हैं जो कि शादी शुदा हैं, उनकी दोस्ती एक लड़की से पिछले १० सालो से चल रही है। दोस्ती का मतलब सिर्फ दोस्ती ही है। और मुझे भी इतना पक्का पता है कि दोनों कि दोस्ती में सचमुच एक ऐसा प्रेम झलकता है जिसकी कल्पना भी नहीं कि जा सकती। क्योंकि दिल्ली जैसे शहर में अगर कोई लड़का या आदमी किसी लड़की से दोस्ती या प्रेम करता है तो उसका मतलब सिर्फ प्रेम ही नहीं बल्कि शारीरिक संबंधो से भी होता है। मगर ये मेरे परम मित्र महोदय आज भी शारीरिक संबंधो से दूर दोस्ती के संबंधो को निभा रहे हैं। उनकी ये दोस्ती भी काफी पुरानी होने कि वजह से काफी मजबूत है ।
ऐसे रिस्तो को क्या नाम देंगे , क्या ये सही है।
प्रभु से प्यार, माता - पिता से प्यार, भाई-बहन से प्यार , पत्नी से प्यार, प्रेयशी से प्यार, बच्चो से प्यार, रिश्तेदारों से प्यार, दोस्तों से प्यार , जानवरों से प्यार, प्रकृति से प्यार - और ना जाने किस -किस से प्यार।
लेकिन मतलब तो देखिये हर प्यार का मतलब अलग- अलग होता है। कई जगह तो प्यार सिर्फ मतलब के लिए किया जाता है, तो कई जगह जानबूझ कर के दिखावे के लिए किया जाता है प्यार।
प्रभु का प्यार आनंद कि प्राप्ति करवाता है। माता-पिता , भाई-बहन, पत्नी, बच्चो, रिश्तेदारों और दोस्तों का प्यार सामाजिक बन्धनों में जकड़े रहने कि अनिवार्यता दर्शाता हैं जानवरों और प्रकृति का प्यार सबको साथ ले कर के चलने कि दिशा दिखता है। मगर प्रेयशी का प्यार क्या कहलाता है ।
क्योंकि आज के ज़माने में जंहा भी प्यार शब्द का इस्तेमाल हुआ , कुछ लोग तो बस येही कहेंगे कि बेटा तू तो गया काम से । प्रेयशी के प्यार ने अगर आगे चल कर के किसी रिश्ते का रूप ले लिया तो ठीक नहीं तो उसका क्या होता है। बेचारे दो प्रेमी।
एक छोटी सी घटना का जिक्र कर रहा हूँ :- मेरे एक मित्र हैं जो कि शादी शुदा हैं, उनकी दोस्ती एक लड़की से पिछले १० सालो से चल रही है। दोस्ती का मतलब सिर्फ दोस्ती ही है। और मुझे भी इतना पक्का पता है कि दोनों कि दोस्ती में सचमुच एक ऐसा प्रेम झलकता है जिसकी कल्पना भी नहीं कि जा सकती। क्योंकि दिल्ली जैसे शहर में अगर कोई लड़का या आदमी किसी लड़की से दोस्ती या प्रेम करता है तो उसका मतलब सिर्फ प्रेम ही नहीं बल्कि शारीरिक संबंधो से भी होता है। मगर ये मेरे परम मित्र महोदय आज भी शारीरिक संबंधो से दूर दोस्ती के संबंधो को निभा रहे हैं। उनकी ये दोस्ती भी काफी पुरानी होने कि वजह से काफी मजबूत है ।
ऐसे रिस्तो को क्या नाम देंगे , क्या ये सही है।
18 comments:
गिरी साहब नमस्कार,
एक नए और विचारोत्तेजक विषय पर लिखने के लिए बधाई. मैं इस विषय पर बोलूँगा तो लोग बोलेंगे कि बोलता है पर क्या है कि मैं फिर भी बोलूँगा. मुझे कोई शर्म नहीं अपने मन कि बात कहने में. तो बड़े भाई मेरी समझ से स्त्री व पुरुष में केवल मित्रता जैसी कोई चीज नहीं हो सकती. धीरे धीरे उनके बीच कोई ना कोई रिश्ता जरुर पनप जाता है और अक्सर वो रिश्ता अवैध ही होता है. स्त्री व पुरुष के बीच (काम मुक्त) मित्रता वाले सम्बन्ध बनाते ही नहीं. अब जरुरत है मित्रता को परिभाषित करने कि. पहले हम मित्रता को परिभाषित करे फिर देखे कि क्या एक स्त्री और एक पुरुष उन शर्तों को पूरा करते हैं जिन्हें किसी भी सांसारिक मित्रता को मित्रता मानाने के लिए जरुरी समझा जाता है.
यार छोडो मैं क्या कहना चाहता हूँ खुद ही नहीं समझ पा रहा अतः आम तौर पर जैसा सभी लोग लिखते हैं वैसा ही लिख कर अपना कमेन्ट ख़त्म करता हूँ.
बेहतरीन प्रस्तुति, nice, बढ़िया पोस्ट. इत्यादि इत्यादि........
शानदार लेखन की एक मिसाल आपका लेख
giri uncle,, pranam,,
aap bejod likhte hain,, hardik badhai,, main wahi hun jise aapne llikha tha rishron ki maa behen mat karo---- sproutsk.blogspot.com
आप अच्छा लिख रहे थे , और आपसे अनुरोध करता हूँ कि इस विषय पर और लिखे. ये मुद्दा कैसा है सबको बताएं . और अपनी राय दे .... खुलकर के .
एजाज भाई सिर्फ इतने से काम नहीं चलेगा . मुदा गरम है पूरी राय चाहिए.
प्रिय बहुत अच्छा है कि आपको रिश्तो कि बात याद है, और बताएं आप कैसे हैं.
बेहद शानदार और विचारणीय लेख
भाई प्यार तो सिर्फ़ प्यार होता है, वो चाहे किसी से भी हो, ओर उस मै कोई मतलब, या लालच नही होता, ओर जिस जगह पर यह शव्द आ जाये वो प्यार नही कहलाता, अगर सच्ची दोस्ती है ओर उस मै कोई लालच या मान सम्मान क चक्कर नही तो वो भी प्यार हो सकता है.
Namesty Giriji,
Aapka blog pada..... Jisme Aapke dost ke dosti ke vicharo ke serhana karna... kabile tarifai hai. Aise log es kalyug ke duniya mai bhut kam milte hai.. aur mai yeh manti bhi hu ke... rishtye sirf pyar, achhi soch aur samjh ke sath nibhaye tao... zindge bhar chalte hai. Payar aur vishwas eshwar ke dein h.. Jis tarha agar hum sachi bhawna aur dil se eshwar ke aradhna kare tao.. hmara vishwas us parmatma par atal ho jata hai...matlab insaan zindge se harne lge.. tab bhe uska vishwas eshwar par bana rehta hai..kabhi nhi tuttaa.. Payar tao kan kan mai bsa hai.. lekin soch smajh kar rishty nibhane ka toffa rab ne sirf insan ko diya hai... aur insan ne is payar ko alag-alag baant kar rakh diya hai.. es insaan ne hi pyar ke rishte ko achha aur bura bnaya... ek ladka aur ladki ke rishto ko sirf ek hi nazar se dekhna.. meri samjh se galt h... jab ek insan eshwar ko jis roop mai dekhna chahega.. tao eshwar bhi use usee roop mein nazar aayega... waise hi..jab insaan jis roop mein reshtoo ko dekhna chahega tao use reshte bhe use nazar se dekhege... akhir mein... meri dua hai appke dost ke dosti ke liye ke yeh dosti unke umar bhar chalti rhyee....
गिरी साहब आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूं। काफी मुश्किल होता है ऐसे रिश्तों को निभाना, पर असंभव नहीं।
तारकेश्वर जी सम्भव क्यों नहि है ऐसे रिश्तों को निभाना? पर हाँ हम ही अपनी सुविधा के लिये इन रिश्तों को सामाजिक रिश्तों की डोर में बांध देते हैं। आज के nuclear family युग मे सगे एवं अन्य रिश्तों के भाइयों बहनों की अपेक्षा मुँहबोले भाइयों की संख्या कहीं ज्यादा मिलती है, अब आप ही सोचिये क्या उनमें से अधिकतर पाक साफ नहीं हैं (कुछ को छोड़ दीजीए)। अब कोइ यह बताए कि इन्हे किसने मज़बूर किया भाई बहन के रिश्ते में बंधने को? अगर ये न मानें तो? वस्तुतः तो वो भाई बहन नहीं ही हैं न, फिर भी पूरी इमानदारी से निभाते हैं भाई का फर्ज पर वो होते ज्यादा मित्र ही हैं न कि भाई। तो बिना किसी गलत भावना से भी मित्रता रह सकती है।
ऐसे रिश्ते ही हैं जो प्रेम और वासना के फर्क को दूर करते हैं ...जो दुर्लभ भी होते हैं ...!
Sushil Gangwar -
मुझे वह दिन आज भी याद है जब मेरे घर संघी लोगो का ताता लगा रहता था। कभी तहसील प्रचारक , जिला प्रचारक और प्रान्त प्रचारक आते जाते रहते थे। आख खुली तो पापा को खाकी नेकर पहना देखा था। R.S.S का बुखार जोर पर था । मै भी थोडा सा बड़ा हुआ तो पापा की ऊँगली पकड़ कर शाखा में जाने लगा । फिर स्कूल पढने की बारी आई तो R.S.S स्कूल दाखिला करा दिया । R.S.S के लोगो को करीव से जाना और पहचाना । एक बार हमारे घर में एक प्रॉब्लम हो गयी तो संघी दूर खड़े थे । मैंने अपना खाकी नेकर जो मेरे बड़े भाई का था .हमेशा के लिए संदूक में बंद करके रख दिया । किसी ने सच कहा है संघी भाई किसके , खाय पीये खिसके ?
jab mai RSS or BJP ki kowi news padta hu to mujhe apna bachpan yaad aa jata hai. RSS or BJP ka choli daman ka sath hai. Sach kaha jaye to RSS maa hai to BJP beta hai. RSS ke kuchh Pracharak kushal neta ban jaate hai kuchh ghar bapas chale jaate hai. Mai shuru se RSS se juda raha hu. Mere dil dimag me RSS ke prati samman hai. Hamare ghar me RSS pracharako ka ana jana rahta tha. Kabi kabhi subha or sham khana hamare ghar par karte the.. Ek din Hamare ghar Pranta Pracharak ji aaye to mujhse puchha ki bete kis class me Padte ho . Hamare papa bole , Bhai saheb maine apne bachho ko hindi medium me pada raha hu. Es par tapaak se Prachark ji bole .. Gangwar ji aapne theek kiya . Agar ye log English medium se padege to esaai ban jayege . Hamari nasho me easaai or musalmano ke khilaf dharm ka teekha jahar bhara jaa raha tha.jise dharma ke thekedaar bakhubi apna kaam karna jante the. Bachpan me sarri baate samjh se pare thi. Jo prachaarak Enlgish medium school ka viroad karte the . unke ghar ke bachhe English school me padte the. Mai ek ese sanghi ko janta, hu jo padaee ke sath tution padya karta tha. Uska chakkar ek sanghi parivaar ki ladki se chal gaya . Dono ne bhagkar shadi kar li or English medium school chala raha hai. Mai bhi esaai or Muslim se dur rahne laga . Etna dur ki baat bhi nahi karta tha. jab mai class 8th me aaya to meri mulakaat muslim boy se huee. Uska mijaaj hindu boy jaisa tha. Dheere dheere usse dosti ho gayee . Mujhe mahsus huaa are ye RSS ke log to dharam ke naam par logo ko bhadka rahe hai. Aaj bhi vah muslim boy mera achaa dost hai.Mai vachpan se hi RSS ki shakha me jaata tha . Unke kuchh shivir attend kiya par mujhe maja nahi aaya . RSS ke pracharak shuru se hi neta banne ka sapna pal lete hai .RSS ke kitne prachark kushal neta hai. Jo musalmano or esaai se dur rahne ki baat karte the vah Apna vote bank badane ke liye musalmano or esaai se samjhota kar lete hai. Us samya Hindu dharma ko taak par rakhkar bhul jaate hai ki kabhi RSS ke Pracharak the. Ramlala ki jai jaikaar karne vali RSS - BJP mandir mudda bhul chuki hai . Hamare mama ne apne baal nahi katwaye , Vah RSS ki dhara me bah kar bole , bhanje ye baal tab tak nahi katege .jab tak Ram mandir nahi ban jayega. Mama ke sar ke baal udh gaye, magar mandir nahi bana . Har paach saal vaad BJP ka Candidate vote ki bheek magne pahuch jata hai. vah RSS or Ram mandir ki duhaai deta hai . Hinduoo ke sapne adhure hai. kya Ram mandir ban payega ?
@सभी सम्मानित एवं आदरणीय सदस्यों
आप सबके अपने blog " blog parliament " ( जिसका की नाम अब " ब्लॉग संसद - आओ ढूंढे देश की सभी समस्याओं का निदान और करें एक सही व्यवस्था का निर्माण " कर दिया गया है ) पर पहला प्रस्ताव ब्लॉगर सुज्ञ जी के द्वारा प्रस्तुत किया गया है , अब इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर बहस शुरू हो चुकी है
कृपया कर आप भी बहस में हिस्सा लें और इसके समर्थन या विरोध में अपनी महत्वपूर्ण राय प्रस्तुत करें ताकि एक सही अथवा गलत बिल को स्वीकार अथवा अस्वीकार किया जा सके
धन्यवाद
महक
@सभी सम्मानित एवं आदरणीय सदस्यों
आप सबके अपने blog " blog parliament " ( जिसका की नाम अब " ब्लॉग संसद - आओ ढूंढे देश की सभी समस्याओं का निदान और करें एक सही व्यवस्था का निर्माण " कर दिया गया है ) पर पहला प्रस्ताव ब्लॉगर सुज्ञ जी के द्वारा प्रस्तुत किया गया है , अब इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर बहस शुरू हो चुकी है
कृपया कर आप भी बहस में हिस्सा लें और इसके समर्थन या विरोध में अपनी महत्वपूर्ण राय प्रस्तुत करें ताकि एक सही अथवा गलत बिल को स्वीकार अथवा अस्वीकार किया जा सके
धन्यवाद
महक
@सभी सम्मानित एवं आदरणीय सदस्यों
आप सबके अपने blog " blog parliament " ( जिसका की नाम अब " ब्लॉग संसद - आओ ढूंढे देश की सभी समस्याओं का निदान और करें एक सही व्यवस्था का निर्माण " कर दिया गया है ) पर पहला प्रस्ताव ब्लॉगर सुज्ञ जी के द्वारा प्रस्तुत किया गया है , अब इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर बहस शुरू हो चुकी है
कृपया कर आप भी बहस में हिस्सा लें और इसके समर्थन या विरोध में अपनी महत्वपूर्ण राय प्रस्तुत करें ताकि एक सही अथवा गलत बिल को स्वीकार अथवा अस्वीकार किया जा सके
धन्यवाद
महक
प्रेम की हद तो कोई प्रेमरोगी ही बता सकता है।
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महिला खिलाड़ियों का ही क्यों होता है लिंग परीक्षण?
प्रेम की हद तो प्रेमी जाने।
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