Friday, June 25, 2010

तेल और गैस के धुएं में डूबा हिंदुस्तान - तारकेश्वर गिरी.

पूरा का पूरा हिंदुस्तान तेल और गैस के धुएं में डूब गया है, चारो तरफ हाहाकार मच गया है। किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा की क्या करे किधर को जाय. सरकार फेल हो चुकी है. मंत्री देश में प्रधान मंत्री विदेश में छुट्टियाँ मना रहे है. विरोधी दल सड़को पर आ कर के अपनी बारी का लोमड़ियों की तरह इंतजार कर रहे हैं।


हिंदुस्तान में हालत चिंता जनक लेकिन स्थिति नियंत्रण में है ,क्योंकि हिंदुस्तान भगवान भरोसे चलता है। महंगाई ने लोगो पैंट गीली कर रखी है.


आज फिर पेट्रोल, डिजेल और खाना बनाने वाली गैस के दाम बढ़ा दिए गए. अब तक लोगो ने ये सोचा की चलो झेल लेते हैं , मगर अब कितना झेले , अब तो हद ही हो गई. मंत्री हो या प्रधान मंत्री, इनका क्या ना तो इनको अपनी गाड़ी में पेट्रोल या डीजल भरवाने के टेंशन और नहीं ही घर में खाना बनाने की चिंता . इन्हें क्या पता की गरीब और मध्य वर्गीय परिवार की रोटी कैसे बनती है. गरीब बेचारे तो फिर भी उपले और लकड़ियों पर खाना पका लेते हैं मगर उनका क्या जो दिखावे में जीते हैं.

भाई अब तो लगता है की साईकिल और तांगा का जमाना फिर वापस आने वाला है. खाना घर के बाहर उपले या लकड़ी पर ही पका करेगा, आखिर उपले पर पके हुए खाने का स्वाद भी तो निराला ही है.

अब तो आजमगढ़ पहुँचते ही माता जी को बोलूँगा की उपले की रोटी ही खिलाये.

17 comments:

VICHAAR SHOONYA said...

गिरी साहब आप तो आजमगढ़ में उपले की रोटी खा लेंगें पर वापस दिल्ली आकर क्या करेंगें? यहाँ तो शुद्ध गोबर भी उपलब्ध नहीं है जो उपले बनाये जाएँ. महंगाई की आग में तो जलना ही पड़ेगा.

सुज्ञ said...

गांव में उपले पर पकी राजस्थानी 'बाटी'खाकर देखियेगा,मझा आ जायेगा।

राज भाटिय़ा said...

चलिये अगली बार फ़िर से इसी काग्रेस को वोट देगे.... बहुत अच्छी है त्याग करने वाली देवी, फ़िर यह ऊपले भी गायब हो जायेगे जी

Unknown said...

आम आदमी की सरकार है भाई लोगों ने त्याग की देवी को चुना है।

HAKEEM SAUD ANWAR KHAN said...

मौला करीम है ! आप उसकी महरको पाने वाले हों , आपके विचार अच्छे हैं लेकिन लोग आखिर करें क्या ? आपको हल भी बताना चाहिए था .

सत्य गौतम said...

तुम पाखंडी!
इतने निस्पृह अनासक्त थे तो
सीता भू-प्रवेश के बाद
लक्ष्मण को क्यों त्याग दिए?
स्वयं आत्महत्या कर गए
सरयू में छलांग लगा
कैसी कसौटी थी वह राम ?
मुझे हैरानी होती है
कोई तुम्हारी आत्महत्या की बात क्यों नहीं करता?

देवेन्द्र पाण्डेय said...

आज का आखबार पढ़ कर तो मुझे भी बहुत निराशा हाथ लगी. सबसे खतरनाक बात तो यह है कि भविष्य में तेल की कीमतों का निर्धारण बाजार करेगी...! यह सम्पूर्ण बाजारीकरण का प्रयास है. ग़रीबों का दर्द समझने वाला कोई नहीं है.

Amit Sharma said...

गांव में उपले पर पकी राजस्थानी 'बाटी'खाकर देखियेगा,मझा आ जायेगा।

kabhi aiye barish ke mausam men fir khayenge dal bati churma or kahenge ham bharat ke surma

Amit Sharma said...

सबसे खतरनाक बात तो यह है कि भविष्य में तेल की कीमतों का निर्धारण बाजार करेगी...!

Anonymous said...

गरीब की कमर तोड़ डाली
तेल के दाम बढे तो भाडा बढेगा, भाड़ा बढेगा तो आवश्यक खाने-पीने की वस्तुओं के दाम जो पहले से आसमान छूं रहे है और महंगे हो जायेंगे . कहीं आना जाना और महंगा हो जाएगा , घर में रसोई जलाना महँगा हो जाएगा यानी सब तरफ से मार गरीब पर जो पहले से ही अधमरा पडा है. हे भगवान्, हे अल्लाह , हे इश्वर , हे वाहे गुरु रहम कर इस देश के गरीब पर और श्त्यानाश कर इन सत्ता में बैठ भ्रष्ट देश के धुश्मनो का, सत्यानाश हो इस बेशर्म मनमोहन और नेहरु खानदान का, सत्यानाश हो उनका जो इन्हें वोट देकर इस तरह गरीबों पर अत्याचार करने की छूट देते हो, सत्यानाश हो इन कांग्रेसियों का जो फूट डालकर अपनी रोटिया सकने में लगे है , सत्यानाश हो इन भाजपा वालों को जो साले ढोंगी पहले खुद थूकते है और फिर खुद ही चाटते भी है, सत्यानाश हो इन वामपंथियों का जो ये पाखंडी सर्वहारा वर्ग के हितैषी बनते है मगर आज तक इन गद्दारों ने एक भी उस अमीर का घर नहीं लूटा जिसने गरीब का पैंसा मारकर अमीर बना , सत्यानाश हो इन समाजवादियों का और इन दलितों के मसीहों का . गरीब की हाय इनको जरूर लगे, यही ऊपर वाले से प्रार्थना है .

सत्य गौतम said...

जय भीम क्या आपने बाबा साहब का साहित्य पढ़ा है

सुज्ञ said...

यहां एक विस्तृत टिप्पणी की दरकार है।
http://shrut-sugya.blogspot.com/2010/06/blog-post_29.html

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

गरीब मर जाये बस...

S.M.Masoom said...

सरकार कोई भी हो, हाल यही रहेगा. पून्जिपतियीं का राज है...ग़रीब का जेब खली कर के अमीरों का जेब भरो,

Shah Nawaz said...

बात तो ठीक है.... लेकिन हल क्या है??? क्या केबल सरकार बदलने से हल निकल सकता है???? विपक्ष भी केवल हड़ताल और बंद की बात कर रहा है... लेकिन हल किसी के पास नहीं है.... अगर है तो उसे जनता के सामने पेश करना चाहिए....

बंद से तो बचा-कूचा चूल्हा भी बंद हो जाएगा.

Shah Nawaz said...

ज़रा हमारा आज का व्यंग्य भी पढ़ लीजिये ;-)

"बहार राजनैतिक मानसून की"

Shah Nawaz said...

बाहर मानसून का मौसम है,
लेकिन हरिभूमि पर
हमारा राजनैतिक मानसून
बरस रहा है।
आज का दिन वैसे भी खास है,
बंद का दिन है और हर नेता
इसी मानसून के लिए
तरस रहा है।

मानसून का मूंड है इसलिए
इसकी बरसात हमने
अपने ब्लॉग
"प्रेम रस"
पर भी कर दी है।
राजनैतिक गर्मी का मज़ा लेना
इसे पढ़ कर यह मत सोचना
कि आज सर्दी है!

बहार राजनैतिक मानसून की