Friday, June 25, 2010

में तो चला आजमगढ़.- तारकेश्वर गिरी

पुरे एक साल बाद मौका मिला है अपने गाँव जाने का, दिल्ली की व्यस्त जिंदगी में कब एक साल गुजर गया पता ही नहीं चला। हर महीने अपनी माता जी और पिताजी को आस्वाशन देता था की फ़ला तारीख को आजमगढ़ आ रहा हूँ।
खैर, अब वो दिन आ ही गया , ट्रेन में आरक्षण तो मिला नहीं, बस अफ़सोस ये है की पुरे चौबीस घंटे बस से सफ़र करना पड़ेगा। आज शाम को आनंद विहार से लखनऊ के लिए स्लीपर कोच की बस पकडूँगा और कल सुबह लखनऊ । लखनऊ से लगभग २६५ किलोमीटर और पूरब, पुरे दिन की थका देने वाली यात्रा के बाद आएगा मेरा अपना प्यारा आजमगढ़। आजमगढ़ से लगभग १२ किलोमीटर की दुरी पर मेरा प्यारा सा गाँव। मेरे गाँव के मेरे अपने सगे- सम्बन्धी, मेरे बचपन के दोस्त, मेरे रिश्तेदार। सबसे मिलने का प्यारा सा मौका।
बस तो शाम को पकडूँगा मगर जैसे अभी ये लग रहा है की में- ये sssssssss - पहुंचा अपने गाँव।

10 comments:

अन्तर सोहिल said...

यात्रा मंगलमय हो
पहुंच कर वहां के बारे में भी लिखते रहियेगा जी

प्रणाम

Taarkeshwar Giri said...

श्रीमान अंतर जी , समय -समय पर पूरा विवरण देता रहूँगा, मजा आएगा.

राज भाटिय़ा said...

शुभकामनाये जी....
आजमगढ़ !!!! नाम सुन कर सरसरी दोड जाती है शरीर मै...

Mohammed Umar Kairanvi said...

भाई आज़मगढ से भी हमसे जुडे रहिये, उधर की शबाना आज़मी से तो हम जुड न सके आपसे तो जुडे रहेंगे

Shah Nawaz said...

गिरी जी, आजमगढ़ जाना बहुत-बहुत मुबारक हो! अपना गाँव और अपनों के साथ से बढ़कर और कोई बात हो ही नहीं सकती है.

Taarkeshwar Giri said...

भाटिया जी नमस्कार , घबराने की जरुरत नहीं. सप्त ऋषियों में से तीन ऋषियों की तपो भूमि है आजमगढ़, जिनमे दुर्वाषा ऋषि प्रमुख हैं. हरिऔध उपाध्या, राहुल संस्कृत्यां की कर्म भूमि रही है ये.
उमर जी शबाना आज़मी ही क्यों.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

आहा अच्छी मौन्सुनी खबर है ये... लौटते ही ढेर साड़ी खबर लायिएगा अपने अपनों की.

सुज्ञ said...

अच्छा!! अब पता चला आजमगढ गर्म ही क्यों रहता है। दुर्वाषा ऋषि की तपो भूमि जो ठहरी!!

HAKEEM SAUD ANWAR KHAN said...

मौला करीम है ! आप उसकी महरको पाने वाले हों , आप सुरक्षित लौटें .आपके विचार अच्छे हैं.

Ayaz ahmad said...

गिरी जी आपको देखकर ही पता चलता है कि आज़मगढ़ महान लोगो की जन्म भूमि है और कर्म भूमि है