दिल्ली से मात्र ३०० किलीमीटर की दुरी पर है धनौल्टी । एक खुबसूरत जगह। जंहा हमेश ठण्ड का अनुभव होता रहता है। मसूरी से जैसे ही धनौल्टी के लिए आगे बढ़ेंगे तो पुरे रस्ते आपको ऐसे ही फूलो के नज़ारे देखने को मिल जायेंगे। फूल भी इतने खुबसूरत की बस पूछिए मत , खुद ही देखिये जैसे इसके अन्दर हीरे रखे हुए हो। थोडा और आगे जाने पर आपका सामना बदलो से भी होने लगेगा और ठण्ड का जोरदार अहसास । इस तरह के फूल सिर्फ जुलाई से लेकर करके सितम्बर तक ही मिलते हैं.
बादलो की खूबसूरती मन को मोहा लेती है, ऐसे लगता है की जैसे हम असमान के बीचो -बीच खुम रहे हो.
साथ में मौसम की हरियाली भी मन को मोह लेती है।
थोडा और आगे जाने पर कद्दुखाल नाम का एक गाँव आता है जो की माता सुरकुंडा देवी जाने के लिए बेस है। कदुखाल से लगभग १.५ किलोमीटर की चढाई करके माता के दर्शन किया जा सकता है.
बाकि विवरण अगली पोस्ट में , इंतजार कीजियेगा, अभी बहुत से सुन्दर - सुन्दर चित्र लेकर के आऊंगा , जिस से आप का दिल प्रसन्न हो जायेगा। और खुद ही बोल बैठेंगे की वाह! किसी ने सही कहा की उत्तरखंड देवो की भूमि है।
(सबसे आगे में खुद , मेरे पीछे मेरे मित्र श्रीमान विनय जी और उनके पीछे श्रीमान उत्तम सिंह जी.)
9 comments:
सुन्दर व रोचक
भूमिका ही इतनी मनभावन है तो सम्पूर्ण विवरण कितना मोहक होगा आपकी अगली पोस्ट का बेसब्री से इंतजार रहेगा
http://buddhambedkar.blogspot.com/2010/06/aryon-se-yuddha-karne-wale-kaun.html
गिरी जी ! आप किस प्रोफेशन में हैं कि आपको घूमने के लिये समय मिल जाता है , हमें तो घोड़ी पर चढ़ने का भी समय नहीं मिल पा रहा है।
... और घोड़ी भी अपनी ही है कोई किराये की नहीं है।
मनभावन पोस्ट
बहुत ही सुंदर चित्र, लगता है आप चढाई चढते चढते थक गये थे, चित्र से तो यही लग रहा है
कहां है अगली पोस्ट?
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