Sunday, June 6, 2010

मुस्लिम युवक ने -जलाये हिन्दू धर्म ग्रन्थ

मुस्लिम युवक ने -जलाये हिन्दू धर्म ग्रन्थ :-
एक मुस्लिम युवक ने अपनी सभ्यता का परिचय देते हुए , ( की जो हम खाते हैं वो ही हम सोचते हैं, दुसरे समुदाय के प्रति।) कुछ धार्मिक प्रतिलिपियाँ उसने लाजपत नगर, साहिबाबाद, गाज़ियाबाद में जलाते हुए अपने समाज का नाम रोशन किया।
एक तरफ तो कुछ मुस्लिम बुद्जीवी अपने समाज को सुधारने की बात करते हैं? और दूसरी तरफ ये हाल है ?

18 comments:

सच का बोलबाला, झूठ का मुँह काला said...

इस्लाम अय्याशी और आतंक का पाठ पढाता है. सभी मुसलमान आतंकी नही, पर अधिकतर ब्लोगर कितने गद्दार हैं उनकी पोस्टो से पता चल जाता है. इस्लाम अय्याशों का धर्म है. घर में चार-चार औरतों के साथ अय्याशी. बहनों के साथ अय्याशी. पुत्रवधुओं के साथ अय्याशी. ये कितने ...... हैं, इसका उदाहरन असलम कासमी, अनवर जमाल, सलीम खान, एजाज़ अहमद, जीशान, अयाज अहमद, शाहनवाज (उसे अपने लोगो की गंदी करतूतें नहीं दिखती, हमेशा अपनी बहन के बुरके में घुसा रहता है) समय-समय पर अपनी पोस्टों और टिप्पणियों से देते रहते हैं. इनकी सामूहिक चेली अंजुम शेख भी इस्लाम की गंदी बातो पर बुरके में मुंह छिपा लेती है, इस्लाम की प्रशंसा का, अगर कोई मुस्लमान हिन्दू धर्म की प्रशंसा कर दे तो इनके पिछवाड़े सुलगने लगते हैं. वो कैरान्वी अलग-अलग नामों का बुरका पहन कर आता होगा. एक लेख लिखो की बुरका मुस्लिम (ना)मर्दों के लिए कितना जरुरी है

सच का बोलबाला, झूठ का मुँह काला said...

सही कहा- इनका धर्म जो सिखाता है, वही तो किया है- ये कोई नयी बात है?

... said...

islam धर्म जो सिखाता है, वही तो किया है- ये कोई नयी बात है?

Unknown said...

जिहादी मुसलमान वही है जो उसी पतर में छेद करे जिसमें उसे रोटी मिलती है।
हम लाख कोशिस कर लें इनकी छवि सुधारने की लगता है नमक हरामी और गद्दारी ही इनकी रग-रग में बस गयी है।
अब ये गद्दार वही सब करने लग पड़े हैं जो इनके पूर्वजों ने 1930 के आस-पास सुरू किया था मतलब जगह-जगह हिन्दूओं व हिन्दूओं के आस्था केन्द्रों पर हमला .
लगता है इनसे निपटने की तैयारी पूरे जोर सोर से करनी पड़ेगी क्योंकि ये वो हिंसक जानबर हैं जो किसी का भी खून कहगीं भी वहा सकते हैं।

Unknown said...

जागो हिन्दू जागो अपनी रक्षा की तैयारी में जुट जाओ।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

सहिष्णुता का नितान्त अभाव और मानसिक दीवालियापन...

aarya said...

सादर वन्दे |
बिलकुल! उन्हें यही शिक्षा दी जाती है जो इस्लाम का नहीं है उसे नष्ट करो, उसने भी यही किया | इतिहास की वह घटना कौन नहीं जानता जब भारत की पुस्तकालयों को जलाया गया | यह लाइन तब भी थी और आज भी है, क्योंकि इस्लाम में कुछ नहीं बदलता |
रत्नेश त्रिपाठी

Mrityunjay Kumar Rai said...

very irresponsible post. you should not post such petty/communal in the blog. be responsible.

your little carelessness can create communal tension. this petty things can happen in any soceity, but we should not give much importance to this.

we all Hindu, Muslim,Sikh & Christian are indian and must be united.

tilak relan said...

एक अँगरेज़ की औलाद ने अपनी राय दी है की हमें ऐसा कुछ नहीं लिखना चाहिए जिससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो क्या वो हमारे धर्म ग्रंथों का अपमान करने उन्हें जलने का अपराध करने वालों को ऐसी राय दे सकते हैं! या हमें सत्य लिखने से रोका जायेगा, इन अपराधियों को संरक्षण दिया जायेगा! पहले यह कम जयचंद करते थे अब सेकुलरवादी करते हैं! सच्चाई रोकने का एक ही बहाना है इसे साम्प्रदायिकता का नाम दिया जाये,और सेकुलरवाद के नाम पर खुला देशद्रोह करने की छूट, यही कारण है 63 वर्षों से हर कुत्ता बिल्ली इस देश पर भौंक सकता है! बंगलादेश,कंगलादेश आस्ट्रेलिया में हिन्दू किस स्थिति में हैं उसकी चिंता नहीं, यहाँ जिन्हें सब अधिकार हैं वह फिर भी असंतुष्ट हैं या होने का ढोंग करते हैं तो इन जैसे गद्दार उनके लिए छाती पीटने लगते हैं!यह दोगलापन नहीं तो और क्या है? इन दोगलों के कारण देश के शत्रु इतना दुस्साहस कर पाते हैं व काबू नहीं आते! लिखता है we all are indians, वो(सभी नहीं किन्तु कुछ जो हैं) तो अपने आप को पाकिस्तानी मानते हैं, भारतीय ध्वज जला कर पाक का नापाक झंडा लगाते हैं, उनका सत्य दिखाने से भी इन्हें मिर्ची लगती हैं? वो तो इस देश के नहीं,किन्तु तुम तो इस देश के होकर ऐसा करते हो इसलिए तुम उनसे अधिक नीच प्रकार के देशद्रोही हो? यह तुम्हारी मैकालेवादी शिक्षा का दुष्प्रभाव ही है! हिन्दूहित राष्ट्रहित का ही पर्याय है! सादर वन्दे

Pramendra Pratap Singh said...

ऐसे लोगो के कारण दंगा भड़कता है, क्‍यो नही ऐसे लोगो को दंण्डित किया जाता ?

शर्मनाक घटना

Unknown said...

aap ki soch hindu dharm ka pratibimb hai, Giriji

kunwarji's said...

@mrityunjay kumar rai-भाई साहब आप बहुत संतुलीय सोचते है....पर अफ़सोस वो कुकृत्य करने वाले आप से भी सहमत नहीं होंगे...कभी भी!

मेरी तो ये समझ नहीं आता कि वो अधर्मी वो सब कर सकता है हम उसे किसी को बता नहीं सकते...अपनी विपता किसी को सुना नहीं सकते क्योकि ये गलत होगा समाज के लिए...जैसे जो हो गया वो तो स्वास्थ्यवर्धक था इस समाज के लिए....

कम से कम गलत को गलत कहने तक तो किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए....

कुंवर जी,

Unknown said...

sarvasamaachaardarpan व कुंबर जी से सहमत इन सेकुलर गद्दारों को इनकी औकात बताई ही जानी चाहिए।

सौरभ आत्रेय said...
This comment has been removed by the author.
सौरभ आत्रेय said...

सज्जन लोगो ! कृपया करके इस्लाम को धर्म की संज्ञा मत दीजिए क्योंकि ये धर्म ही नहीं है.

जानिये कि क्यों नहीं है --
धर्म और विज्ञान तथा धर्म और राष्ट्र में कौन बड़ा

सच का बोलबाला, झूठ का मुँह काला said...

-Islam = Sex+Terrorism

-इस्लाम अय्याशी (चार निकाह, जन्नत में 72 हूरें) और आतंक (जिहाद) का पाठ पढाता है

-ये लोग अपनी बहनो को भी नहीं छोडते, उनसे निकाह करके बिस्तर में ले जाते हैं

-कोई मुसलमान हिन्दू धर्म की प्रशंसा कर दे तो उसे मजहब से निकाल देते हैं

-हिन्दू धर्म ग्रथों को जलाना, मन्दिरों को तोडना, देवी-देवताओं के अश्लील चित्र बनाना, उनके बारे में अपशब्द बोलना इनकी घृणित मानसिकता का प्रमाण है

- हिन्दुओं को मिटाने या मुसलमान बनाने पर इनको जन्नत रूपी अय्याशी का अड्डा मिलता है

-मुसलमान (ना)मर्दों को बुरका बहुत भाता है, क्योंकी बुरके में छिपकर ये "बहुत कुछ" करते हैं

- मुसलमान फर्जी नामों का बुरका पहनकर भौंकते फिरते रहते हैं

-कुल मिलाकर इस्लाम (ना)मर्दों का मजहब है

S.M.Masoom said...

सबसे पहले तोह में यह कहना चाहुगा यह जिसने हिन्दू धर्म ग्रन्थ" जलाए मुस्लिम नहीं हो सकता क्यूंकि एक बार मोहम्मद (स.अ.व) के ज़माने में कुछ मुसलमानों ने एक गिर्जघेर को तोड़ डाला और रसूल इ खुदा मुहम्मद (स.अ.व) के सामने इनाम पाने की कोशिश करने लगे. रसूल इ खुदा मुहम्मद (स.अ.व) को वाकेया सुन ने के बाद गुस्सा आ गया और हुक्म दिया फ़ौरन जा के उस गिरजा घेर को फिर से बनाओ और तब मेरे पास आओ. दूसरों को दुःख पहुँचाना, बेईज्ज़ती दुसरे के धर्म की मुसलाम का काम नहीं हो सकता.

... said...

@Voice Of The People said...
इस्लाम की नींव ही विध्वंस पर परखी गयी थी. रसूल ने मूर्तियाँ खंडित करवायीं. बाबर ने मन्दिर तोड़े. औरंगजेब ने हिदुओं का खून बहाया. क्या ये मुस्लमान नही थे?????????????????