मैं तो सिर्फ हसूंगा ........................ हा ! हा ! हा ! , ही ! ही ! ही ! , हु हु हु , हे हे हे, हो हो हो यार अब तो हद हो गई .
अल्लाह ने जन्नत मैं भी पूरा इंतजाम कर रखा है। मुझे तो सिर्फ हंसी आ रही । ये लेख फिरदौश जी के ब्लॉग से उठाया है मैंने, फिरदौश जी ke ब्लॉग पर कुछ मुसलमान ब्लोगेर बंधू लोगो ने इस बात को स्वीकार है :-
"…जमात में तो यह बताया गया होगा की गैर-मुस्लिम को मुसलमान बनाने में दस हज का सवाब मिलता है…"...यह बात "बहुत कुछ" बयान करती है… (मंसूबे भी, नीयत भी…)
हम उन्हें 'कलमा' पढ़ा लेंगे... इससे हमें दस हज का सवाब मिलेगा... और मरने के बाद जन्नत...जन्नत में 72 हूरें मिलेंगी, जन्नती शराब मिलेगी...
मैं तो सिर्फ हसूंगा ........................ हा ! हा ! हा ! , ही ! ही ! ही ! , हु हु हु , हे हे हे।
जो कहना hai आप लोग कहिये................................................
21 comments:
हम भी हंस रहे हैं.
मुझे शक है की वर्तमान में जिस किताब को पवित्र कुरआन कहा जाता है, वही असल कुरान है, जिसे परमेश्वर ने श्रीमोहम्मद साहब पे नाजिल किया था. क्योंकि श्रीमोहम्मद साहब की जीवनी पढते हुए उल्लेख मिलता है की श्रीमोहम्मद साहब के जनाजे में काफी कम लोग शामिल हुए थे. क्योंकि उनके अनुयायी खलीफा पद की लड़ाई में उलझ गए थे. अब बताइए की जो अनुयायी आज तक उनके ऊपर शांति होने की प्रार्थना करते है, वो उनकी पार्थिव देह को भी शांति से नहीं सुपुर्दे-खाक ना कर सके. तो जो लोग अपने मसीहा की लाश को भी उचित सम्मान नहीं दे पाए और सत्ता के लिए लड़ने लगे हों,क्या उन्होंने सत्ता के लिए श्रीमोहम्मद साहब की शिक्षाओं की की हत्या करके कुरआन में सत्ता प्राप्ति की सहायक आयतों का समावेश नहीं किया होगा.
श्रीमोहम्मद साहब ने तत्कालीन अरब में फैली बर्बर कबीलाई परम्पराओं को तोड़ते हुए शुद्ध वैदिक धर्म की महिमा का पुनर्स्थापन किया था. जिसे उनके अनुयायियों ने अपनी वासनाओं,और हैवानियत की राह में रोड़ा मानते हुए, पवित्र कुरआन में बर्बर और अनर्गल आयातों का समावेश कर दिया, जिससे की उन्हें खलीफा पद के रूप में कौम की बादशाहत, और लुटेरों के रूप में दुनिया की बेशुमार दौलत प्राप्त हो सकें.
ha ha ha 72 sunder- sunder ladkiya. aur jannti sharab.
यही तो कठमुल्लाओं की समझ में नहीं आता और महफूज जी, फिरदौस जी के पीछे हाथ धोकर पड़ जाते हैं. इन पढ़े लिखे और अनपढ़ों में कोई फर्क नहीं है... फर्क है तो महफूज जी, फिरदौस जी और इन बाकियों के बीच..
हा ! हा ! हा ! , ही ! ही ! ही ! , हु हु हु , हे हे हे, हो हो हो
हा ! हा ! हा ! , ही ! ही ! ही ! , हु हु हु , हे हे हे, हो हो हो
सादर वन्दे !
हंसी तो हमें भी आ रही है, लेकिन कल की बीभत्स तस्वीर हँसने की जगह सोचने पर ज्यादा मजबूर कर रही है!
रत्नेश त्रिपाठी
log kehte hai ki bewkoof paida nhi hotw..mai kehta hu..muslim chalte firte bewkoof hai
आदमखोर जिहादी अल्हा को मानने वाले यह ब्याखया करते हैं पर फिरदौस व महफूज जैसे सोचने पर मजबूर करते हैं कि अल्लहा कोई सुफी सन्त रहा होगा . वरना तो भारतीय संस्कृति को हर वक्त गाली निकालने वालों के कर्मों से तो ऐसा ही लगता है कि उनका अल्हा जरूर आदमखोर रहा होगा ।
'जंगली' लोगों से जूझती राष्ट्रवाद की नायिका एक महिला पत्रकार की पीड़ा उन्हीं के शब्दों में
अब बर्दाश्त से बाहर हो गया है... इसलिए पोस्ट से पहले इस सूचना को लिख रहे हैं, ताकि पढ़ने वाले जान लें कि इस्लाम के ये 'प्रचारक' किस तरह 'वेद-क़ुरआन' के नाम पर गंदा खेल रहे हैं...
सलीम जी! क्या यही 'मुसल्मानियत' है आपकी मंडली की...???
सलीम जी! आप दुनिया को तो 'संदेश' देते फिर रहे हैं... क्या यही 'मुसल्मानियत' है आपकी मंडली की...???... एक फ़र्ज़ी नाम से फ़र्ज़ी टिप्पणियां करो... आपकी एक पोस्ट में firdosh khan के नाम पर क्लिक करने पर 'वेद कुरआन' ब्लॉग खुलता है...
इस तरह पीठ पर वार तो सिर्फ़ 'ग़द्दार' ही कर सकते हैं...
Jannti Sharab...........
Ha! Ha! Ha!, Hu Hu Hu
giri ji jyada kuch nahi kahunga,
par fark dekhiye ek akela banda islami kutarkiyon ka badi shaleenta se samna kar raha hai, or aap jaise dhurandar uske samarthan men ek shabd bhi na kah paarahe h,jabki unke blog pe kai kai log ek saath murcha sambhale huye hai
लेकिन अल्ला तो शराब पिनेसे मना करता है तो जन्नत मैं शराब कैसे
लेकिन अल्ला तो शराब पिनेसे मना करता है तो जन्नत मैं शराब कैसे
islaam hai ji, mera mtlb salaan hai ji alaah ki is kathit kaargujaari ko!
apne aatankwaadi bhai sahaab oe vaid lkmaan ali khan sahaab nahi aaye abhi tak!lagta hai ghabra gaye hai!
kunwar ji,
jannti sharab . ye sab pite hain. bus batate nahi hai.
भाइयों, सूफी संतों ने भी लोगों को मुसलमान बनाया. उनके बारे में आपके क्या विचार हैं?
zaidi saheb kya sachmuch kuran main jannti sharab ke bare me likha hia.................... ha ! ha ! ha ! ha 1
kya sachmuch 72 sundariya miltai hain .
Zaidi saheb wapas aa jawo aur insaniyat ki jindagi jiwo.
@ तारकेश्वर भाई, आपने कहा "wapas aa jawo aur insaniyat ki jindagi jiwo". तो अभी मेरी ज़िन्दगी किस तरह की है?
मैं अपना सवाल फिर दोहराता हूँ, "सूफी संतों ने भी लोगों को मुसलमान बनाया. उनके बारे में आपके क्या विचार हैं? उन्होंने सही किया या गलत?"
आप निश्चिन्त रहें, मेरा इरादा किसी को मुसलमान बनाने का नहीं है.
kya haridwar haridwar ki rat lagaye ho us mula ke paas, haridwar bula ke kya uski puchee loge, pehle to unke dharam ke bare men ulta pulta likhte hopir jab wo hindu ki maa bhen karta h tab haa huu hee karte firte ho sharam karo bujhne ki takat na ho to kamse kam aag to mat lagao
koi dhangka zawab bhi nahi derhe usko or ha ha ha 72 sunder- sunder ladkiya. aur jannti sharab.
na jane kya kya khakar uksaye ja rahe ho fir wo bolta hai to dhangka zawab bhi do ha ha hi hi mat karte firo
jannati sharaab aur 72 Sundariyan.....
Dil lubhane ko, ye khayal achha hai Galib.
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