Friday, March 26, 2010

मुसलमानों -तुम उनकी गर्दने मारो और पोर -पोर पर चोट लगावो.





30 comments:

zeashan haider zaidi said...

War ke samay ki aayaten shaanti samay men kyon padh rahe hain?

दिनेशराय द्विवेदी said...

ये कैसा अल्लाह है जो दूसरों के कंधे पर बंदूक रख कर कत्ल करता है?
वह अल्लाह नहीं हो सकता।

दिनेशराय द्विवेदी said...

@zeashan zaidi
मेरे मंतव्य में ईश्वर की वाणी तो वही हो सकती है जिस का बिना संदर्भ भी गलत अर्थ न निकाला जा सके।

zeashan haider zaidi said...

ज़रा यहाँ मुलाहिजा फरमाएं :
"जो लोग तुमसे तुम्हारे दीन के बारे में नहीं लड़े भिड़े और न तुम्हें घरों से निकाले उन लोगों के साथ एहसान करने और उनके साथ इन्साफ़ से पेश आने से अल्लाह तुम्हें मना नहीं करता बेशक अल्लाह इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है." (कुरआन 60:8)

zeashan haider zaidi said...

द्विवेदी जी, आप वकील हैं, क्या आप बिना सन्दर्भ सबको फांसी देने या सबको बरी करने की वकालत करते हैं?

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

धर्म के मुद्दे पर पढ़ पढ़ कर उकता चुका हूँ....मैं अपने कल के पोस्ट पर ऐसे सारे पोस्टों के लिए अपना पक्ष रखूंगा.....
.....
http://laddoospeaks.blogspot.com

Taarkeshwar Giri said...

Zaidi saheb, bilkul sahi kaha hai aapne. ye aayaten 1400 sal purani bato ko kah rahi hain , inka matlab aaj kuch nahi nikalata. Aur ye bate Arab ke liye hain.

Aur main bhi bar -bar yehi kahta hun ki aap log Arbiyan Sanskrit ko pakde huye hain, aur Bhartiya sanskrit ko galat sabit karne main lage huye han.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

@ zeashan zaidi ,

Com'on Bhai, saaree hee aayaate waar ke samay likhi gai thee phir ye..... mulle inhe aaj kyon logo par thopnaa chahte hai !

Please try to be fair, and then argue.

Taarkeshwar Giri said...

Aaj Dr Anwar Jamal Saheb Nazar nahi aa rahe hain.

kya bat hai.

Dr saheb aap bhi aaiye aur kuch salah dijiye.

DR. ANWER JAMAL said...

इन्द्र ने कृष्ण की गर्भवती स्त्रियों की हत्या की ? cruel murders in vedic era and after that
इसलाम का अर्थ है ‘ ‘शान्ति ‘ ,ईश्वर का आज्ञापालन , ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण । जो आदमी इस मौलिक गुण से युक्त हो वह मुसलिम कहलाता है ।
पवित्र हदीस के मुताबिक़ मुसलिम वह होता है जिसके ‘शर से अन्य लोग सुरक्षित हों ।
वर्ण व्यवस्था के अत्याचार से त्रस्त बहूत से लोगों ने राहत पाने के लिए हिन्दू संस्कृति का त्याग किया और जिसको जहां ख़ैरियत नज़र आयी वहीं चला गया । गोरखपुर के राजा ने भी जैन मत अपना लिया था क्योंकि वेदवादी पण्डों ने उससे यज्ञ कराया और यज्ञ के नाम पर उसकी रानी का सहवास घोड़े से करवा दिया । बेचारी कोमल रानी इतना बड़ा पुण्य झेल न सकी और मर गयी । राजा ने वैदिक धर्म को त्याग दिया । इस घटना को दयानन्द जी ने सत्यार्थ प्रकाश में बयान किया है ।
बहरहाल बहुत से कारणों से लोगों ने अन्य मत ग्रहण किये । इन्हीं लोगों में इसलाम ग्रहण करने वाले भी थे ।
पूर्ण ‘शान्ति के लिए ‘शान्तिस्वरूप परमेश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण दरकार है और अधिसंख्य मुसलमानों में इसका अभाव स्पष्ट है । पूर्ण समर्पण का यही अभाव मुसलिम दुनिया में सारे फ़साद की जड़ है । अन्यायपूर्वक किसी को सताना या उसकी जान ले लेना एक मुसलमान के लिए हराम है ।
ऐसे जुर्म के अपराधी को उस मालिक ने पवित्र कुरआन में लोक परलोक में भयानक दण्ड की चेतावनी दी है । ज़ुल्म इसलाम की प्रकृति के खि़लाफ़ है । यह हर काल में निन्दनीय रहा है और आज भी है ।
वर्णवादी हिन्दू ग्राहम स्टेंस को उसके बच्चों के साथ ज़िन्दा जला देते हैं और कहीं ये लोग ईसाई नन्स को अपनी हवस का निशाना बनाते रहते हैं।
ज़ुल्म करने वाले हरेक आदमी की चाहे वह वर्णवादी हो या मुसलमान , मैं निन्दा करता हूं । जो लोग लंका दहन को सच मानते हैं उनसे मैं इस घटना की निन्दा का अनुरोध करता हूं । किस तरह औरतें अपनी छाती से अपने मासूम बच्चे चिपका कर उस आग में जलीं ? रामायण में स्पष्ट लिखा है ।
परशुराम द्वारा अकारण अपनी मां रेणुका को और तत्पश्चात करोड़ों क्षत्रियों को मार डालने की बात को मैं विश्वसनीय नहीं मानता लेकिन जो लोग इन बातों को सच मानते हैं उनपर इनकी निन्दा वाजिब है ।
अकारण हुए महाभारत के युद्ध में मरने वाले एक अरब छियासठ करोड़ मृतकों के प्रति कौन ‘शोक व्यक्त करेगा ?
उनकी विधवाओं और उनके अनाथ बच्चों की दुदर्शा का ज़िम्मेदार किसे माना जाएगा ?
लेकिन हिंसा का इतिहास तो और भी ज़्यादा पुराना है । पवित्र कुरआन में युद्ध के नियमों में हिंसा तलाशने वाले संकीर्णवृत्ति लोगों के ज्ञानवर्धन के लिए वेद से कुछ अंश उद्धृत हैं -

कृष्णगर्भा निरहन्नृजिश्वना
अर्थात इंद्र ने ऋजिश्वा राजा के साथ मिलकर कृष्ण नाम के असुर की गर्भवती स्त्रियों को मारा था। { ऋगवेद 1/101/1 }

यो वर्चिनः शतमिंद्रः सहस्रमपावपद्
अर्थात इंद्र ने वर्ची के सौ हज़ार पुत्रों को भूमि पर सुला दिया अर्थात मार दिया । { ऋगवेद 2/14/6 }
मुसलिम ‘शासकों द्वारा किये गये अपेक्षाकृत न्यून रक्तपात को लेकर आये दिन इसलाम और मुसलमानों के प्रति अपनी दुर्भावना प्रकट करने वाले अपने खू़नी इतिहास पर ‘शर्मिन्दा होना आख़िर कब सीखेंगे ?
आदरणीय चिपलूनकर जी ,यहां आकर पुकार लगाने से पहले क़त्ल आतंकवाद और लुचाप्पन के आरोपों में गिरफ़तार ‘शंकराचार्य पुरोहित साध्वी बापू और बाबाओं की निन्दा में आज तक आपने कुल कितनी पोस्ट क्रिएट कीं ?
आपने हमें जिस आशा के साथ पुकारा था हमने उसे पूरा करने की हद भर कोशिश की है ।
हम भी आपसे उपरोक्त वर्णित घटनाओं की निन्दा की आशा करते हैं।?आखि़र आपका यह तथाकथित राष्ट्रवाद है किस काम का ?
कम से कम आप मेरी तरह रामायण के ऐसे असुविधाजनक प्रसंगों की सत्यता को तो नकार ही dete.
@ Bhai Tarkeshwar ji , Aap pyar se bulayen aur hum na ayen ?
Aap naam lekar awaaz na lagate to shayad hum na aate .
Fil hal to jo stock men tha hazir kar diya . Pasand na aaye to Bilkul Taaze mantras apni LOrd shiva series ke baad gift karunga.
aur sunao haridwar kab chal rahe ho . Aaap ke is sahyog ke liye Dhanyawad .
Kripya is series ko jari rakhen .
Logon ki jigyasa banaye rakhen .
Sach hum batayenge .
Final result pehle se tai hai.
Satyamev jayte.

Taarkeshwar Giri said...

Anwar Saheb 2 april ko Haridwar ka program final hai . Aap bataiye kab aur kanha milenge.

Taarkeshwar Giri said...

Aur ye kya purana basi mal utha laye.

Ye sab purani bate hain. Hua hoga us jamane main , lekin hamne apne aap ko badal liya hai . aap bhi apne aap ko badalo aur chain ki sans lo Hindustan ki khuli hava main.

DR. ANWER JAMAL said...

2 april , noted. i will answer u later frnd.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

जय अल्लाह!
भई अल्लाह के आगे जय लगाने में किसी को कोई एतराज हो तो बता दें, मैं अपनी टिप्पणी वापिस ले सकता हूँ। जय इसलिए लगाया क्यों कि मुझे "जय" के समतुल्य उर्दु के किसी शब्द की जानकारी नहीं है :-)

Unknown said...

godiyal sahab aap dusro k blog par to tippani bahut karte hain.....parantu jab koi aapke blog par apne vichaar rakhta hai to delete kyon kar dete hain??

अजित वडनेरकर said...

अद्भुत है पढ़े-लिखे लोगों का नशा नामक तत्व जिसे प्रकारान्तर से धर्म भी कहते हैं, किया जा रहा यह प्रलाप।
इससे क्या हासिल होगा मित्रों?

Taarkeshwar Giri said...

Ajit ji sahi kah rahe hain. Main khud bhi nahi chahta hun ki is tarah ki vahas kari jaye, magar kya kare log hamari sanskrit ko tod marod kar ke pesh karne par tule huye hain.

gadar said...

चमन में होने दो बुलबुल को फूल के सदके
बलिहारी जाऊँ मै तो अपने रसूल के सदके

सदा बहार सजीला है रसूल मेरा
हो लाखपीर रसीला है रसूल मेरा
जहे जमाल छबीला है रसूल मेरा
रहीने इश्क रंगीला है रसूल मेरा

चमन में होने दो बुलबुल को फूल के सदके
बलिहारी जाऊँ मै तो अपने रसूल के सदके

किसी की बिगड़ी बनाना है ब्याह कर लेंगे
बुझा चिराग जलाना है ब्याह कर लेंगे
किसी का रूप सुहाना है ब्याह कर लेंगे
किसी के पास खजाना है ब्याह कर लेंगे

चमन में होने दो बुलबुल को फूल के सदके
बलिहारीजाऊँ मै तो अपने रसूल के सदके
चमुपति

Unknown said...

तारकेश्वर जी से सहमत हूं, वेदों को प्रसंग और तथ्यों से काटकर कुछ मूर्ख लोग इधर-उधर गंदगी फ़ैला रहे हैं, उसका यही सही जवाब है…। देखा नहीं कैसी शानदार मिर्ची लगी है :)

सन्दर्भ से काटकर पेश किया जाये तो आज के युग में सभी धर्मग्रन्थों में से कई प्रसंग मूर्खतापूर्ण, बकवास या क्रूरतम लग सकते हैं, लेकिन इस्लाम के प्रचार (यानी वेदों को तोड़मरोड़ कर पेश करना) के नाम पर फ़ैलाई जा रही गंदगी का जवाब दिया जाना जरूरी है, वह भी "अपने ब्लॉग" पर। खाड़ी देशों के पैसे पर चलने वाले ब्लॉग्स पर जाकर, टिप्पणी करने की बजाय यह तरीका बेहतर है… :)

गिरी जी से आशा है कि, आप "शान्ति के धर्म" (Religion of Peace) की ऐसी विसंगतियों को पेश करते रहेंगे…

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...
This comment has been removed by the author.
kunwarji's said...

keh do ki ye jhooth hai!
kahin koi doctor beemaar na ho jaayen...

kunwar ji,

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहन फिरदौस के लेख पर द्विवेदी साहब ने एक बहुत सुन्दर टिपण्णी दी है जो बहुत कुछ कह जाते है ! बहन फिरदौस ने इन धर्म के चैम्पियनो से कुछ सवाल किये , मगर जैसा कि अमूमन देखा गया है ! ये लोग फिजूल की बाते तो दुनिया भर की कर जाते है लेकिन असल मुद्दे पर इनकी घिघी बंद जाती है! ऐसे ही कई सवालों पर आदरणीय द्विवेदी साहब ने अपनी टिपण्णी में लिखा है कि "फिर तो भारत में एक भी मुसलमान नहीं है" कहने का आशय उनका यह है कि अगर जी मापदंड एक सच्चे मुसलमान के लिए पैगम्बर ने तय किये थे, उनपर आज एक भी तथाकथित मुसलमान खरा नहीं उतरता ! फिर ये किस बात के मुस्लमान, किस बात का इस्लाम ?

जैसा कि मैंने कई बार कहा कि जिस तरह गड़े मुर्दे उखड आप लोग किसी दुसरे की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हो तो आजकल नेट पर दुनिया भर की सामग्री एक क्लिक में उपलब्ध रहती है, वही सब कुछ हम भी कर सकते है, जो आप कर रहे है !

जितना वक्त इन फालतू की धर्म की घिसी पिटी बातों पर जाया करते हो, उसे अगर हम समाज में मौजूद आज की बुराइयों को उजागर करने और उन्हें दूर करने में लगाए, तो बेहतर होगा ! हमारी कल की पीढी एक अच्छी जनरेशन बन सकेगी !

उम्दा सोच said...

अनवर साहब 52 देशो के सारे आपके भाई है,तो ओसामा,मुश्र्रफ़,कसाब भी आप के भाई है ज़रा सम्हलियेगा आप के भाई आप से भी कही आर डी एक्स धर के ना फ़ुडवा दे !!!
वैसे भी आप बतौले के आतंकवादी तो बन ही चुके है,क्योकि आप जो लिखते है उससे कोई सौहार्द थोडे ही न फ़ैलता है !

SANJEEV RANA said...

सबसे पहले तो धर्म के नाम पर लड़ने वालो कि जय (अगर वो ऐसा ना करे तो उन्हें कौन पूछे यहाँ ).
आप सभी ऐसे मुद्दों को क्यों उठाते हो ?
ऐसे मुद्दों पर बात करने के लिये और उन पर रोटिया सक्ने के लिये तो देश के राजनीतिक दल ही काफी थे भाइयो .
इन सब बातों से किसी को क्या हांसिल हुआ हैं? कोई तो मुझे बता दो कृपा करके.
धर्म के नाम पे जितने भी मसले उठे हैं उनसे काफी जनहानि हो चुकी हैं पहले ही, पर कभी किसी धार्मिक अवसाद से उत्पन माहोल से पीड़ित लोगो से बात करके देखो कि वो क्या कहते हैं.
वो किसी धर्म को नही सिर्फ अपनों के दर्द को समझते हैं और मेरे ख्याल से मानव धर्म सबसे बड़ा हैं. जो दुसरो का कष्ट महसूस करे वो सबसे बड़ा धरमपुरुष हैं.
इसलिए अगर बढ़ाना हैं तो सोहार्द बढाइये. बस इतना ही निवेदन हैं.
वो सब पहले वाली बातें थी आज के दौर में अगर जीना हैं तो ऐसी सोच बदलनी पड़ेगी.
संजीव राणा
हिन्दुस्तानी

drdhabhai said...

मेरे कुछ सैक्यूलर भाईयों को ये धर्म की बातें सुन सुनकर बङी उकताहट होती है....पर उनकी ये टिप्पणियां दूसरी जगहों पर नहीं छपती जहां गाहे बगाहे बिना सिर पैर की बाते छपती रहती हैं...हिंदु धर्म के बारें मैं.....

अवधिया चाचा said...

@पं.डी.के.शर्मा"वत्स" जी, झूठ बोलना तो कोई आपसे सीखे "जय" के समतुल्य उर्दु के शब्द जिन्‍दाबाद होता है या इस पर भारी है सोचकर बताना

हो सके तो कहना ''अवधिया चाचा जिन्‍दाबाद''

vedvyathit said...

bhai aap ne yh to bhut chota sa udahrn diya hai jb ki sara islami sahity to isi pr tika hai pr is ke bad bhi dr. anvr ise hi shi btayenge ab ksoor un ke dimag ka hai ya kitab ka yeto ve btaen
islam me to dhokha v loot do cheejen bdi ahm hai jin pr islam tika hai aur bhai chare ki bat bhi ye thode hi smy krte hai kshmir is ka udahrn hai ye dr. anvr sahb jra kshmir ja kr kuchh sdbhavna ka path to pdha kr aaye
in hone kuchh hindoon ke glt logon ka udahrmn diya hai pr hindu dhrm unhe maf nhi krta unhe dnd ka prvdhan krta hai jb ki islam me to swsur dwara bhu ko apvitr krne pr us ke ghrvale ke liye hi use najayj krar kr diya kyon ki dhrm me likha haipr kuchh tathakthit hindu hi in sb glt kamon ke pkshdhr hain asli ksoor var to ve hai jo bina islam jane aur pdhe smrthn krte hai jb ki anvr bhai jaise ts se ms hone ko taiyar nhi hain
dr.ved vyathit

Taarkeshwar Giri said...

Ved ji Namashkar, Chinta na kare, inhone Hindu Dharm Grantho ke sath jo khel khelana shuru kiya tha na uska jabab inko milata rahega.

Aur jis Sabhi Musalaman Sahi tarike se Kuran Ko samaj lenge us din dekhana. ............ kya hota hai

satish aliya said...

dharyti iti dhrmah.ye pribhasha hai dhram ki. arthat jo krne yogy hai vah krna dharm aur jo nhi krne yogy hai voh adharm. ky krne yogy hai aur kya nhi,ye kon ty krega.na kuran na ved.humhe khud hi ty krna hoga. kaise hoga ye. vivek se. matlab ye sab manege ki kisi ki ninda galt hai. kisi ki htya galat hai.bltkar galt hai. ye dharm ya majhab ke naam pe ho to krne wala galat hai majhb ya dharm nhi. isi tarh dharm aur majhb smanarthi nhi hain. islam majhb hai.hindu ya vaidik majhb nhi dharm hai. sartk bat aur bhs kro bhai.

विवेक रस्तोगी said...

संस्कृत संपूर्ण व्याकरण के साथ सीखने के लिये पूरे १२ वर्ष लगते हैं और फ़िर वैदिक खगोल और ज्योतिष का भी ज्ञान होना चाहिये

सुबह की सैर, श्रीमद्भागवदम और गीता जी का ज्ञान …