वैदिक -वेद और विज्ञानं , आज जरुरत है तो इन विषयों पर गहन अध्यन की । आज पूरी दुनिया वेदों की उपयोगिता पर जोर दे रही है। हिटलर ने द्वितीय विश्व युध से पहले हमारे चारो वेदों का जर्मन भाषा मैं अनुवाद कराया था। आज पूरी दुनिया मैं जो अविष्कार हो रहे है वो कंही न कंही वेदों पर आधारित फोर्मुले पर टिके है। चाँद और सूरज की पृथ्वी से दुरी हो या मौषम की जानकारी, शुन्य का मतलब हो या मैथ के फोर्मुले। गंगा जल की उपयोगिता हो या पीपल, तुलसी, नीम जैसे चमत्कारी पौधों का विवरण हो या गाय की उपयोगिता। हमें समझाना चाहिए जिंदगी जीने का मकसद क्या है, योग के बारे मैं जानकारी हो या इन्द्रियौं को वश मैं क्यों करते थे ऋषि मुनि इसका जबाब जानने के पढना चाहिए हमें वेद या हमारे धार्मिक ग्रन्थ।
5 comments:
सहमत !!
क्योंकि हमारे वेद और गरंथ जानकारियों से भरे है, इसी लिए तो हम हिन्दुस्तानी उसे पढ़ना नहीं चाहते !
इसी बात का तो अफशोस है की हम सब कुछ जानते हुए भी अनजान बन कर रह जाते है.
@ तारकेश्वर गिरी
अनजान बनना
बराबर सोने की
ये सोना स्वर्ण नहीं है
ये वो सोना है
जिसके बारे में
महात्मा गांधी ने कहा
सोते हुए तो
जगाया जा सकता है
पर जो कर रहा हो
सोने का बहाना
उसे असंभव है जगाना।
बहुत बढ़िया
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