Pages

Sunday, November 21, 2010

मुझे अपना धर्म बदलना हैं, -तारकेश्वर गिरी.

जी सही कह रहा हूँ , और अपने पुरे होशो हवाश में हूँ, घर वालो से भी राय ले चूका हूँ वो सब मेरा साथ देंगे. मैं भी क्या करता , परेशान हो गया हूँ, आखिर हूँ तो इन्सान ही ना. और हाँ अपनी मर्जी और अपनी पसंद से कोई दबाव नहीं..


अब जब धर्म परिवर्तन के लिए तैयार होही गया हूँ तो सबसे पहले सभी धर्मो के बारे में जानकारी भी लेनी चाहिए कि सबसे उत्तम धर्म हैं कौन सा . इस्लाम, इसाई, सिख, जैन, बौध, पारसी या कोई और जो भी सबसे उत्तम हो.


लेकिन आप सबसे मैं मदद चाहता हूँ कि आप लोग बताएँ कि सर्वोतम धर्म कौन सा हैं. और जिसमे निम्नलिखित बुराई भी ना हो.


  1. वो धर्म जिसमे लोग झूठ ना बोलते हों.
  2. वो धर्म जिसमे लोग बेईमान ना हो.
  3. वो धर्म जिसमे लोग सिर्फ इज्जतदार हो.
  4. वो धर्म जिसमे लोग किसी कि हत्या ना करते हो , किसी को अनाथ ना करते हो.
  5. वो धर्म जिसमे कोई चोर या डकैत न हो.
  6. वो धर्म जिसमे कोई बलात्कारी न हो.
  7. वो धर्म जिसमे कोई ठग या घुसखोर न हो.
  8. वो धर्म जिसमे कोई घोटाले बाज न हो.
  9. वो धर्म जिसमे कोई बाहुबली न हो.
  10. वो धर्म जिसमे सिर्फ और सिर्फ इंसानियत हो.

अतः आप सब लोगो से मेरे विनम्र अनुरोध हैं कि कृपया मुझे जल्दी बताएं.


एक बात और , अगर ये सब हर धर्म के लोगो में हो तो फिर फायदा क्या, फिर में अपनी जगह सही हूँ अपने आप को उपरोक्त ९ बिमारियों से दूर रखने कि कोशिश करता रहूँगा. कम से कम ये कह सकूँगा कि मैं एक हिन्दुस्तानी हूँ या एक हिन्दू हूँ. (ध्यान रहे मेरे हिन्दू शब्द के इस्तेमाल का मतलब ये हैं कि, मेरा खुद का मानना हैं कि हिंदुस्तान मैं रहने वाले सभी लोगो को हिन्दू कह सकते हैं.)


और शायद इसके बाद कोई भी अपने धर्म को अच्छा कहने वाला भी नहीं बचेगा. इसलिए मैं सबसे विनती करता हूँ कि सबसे पहले खुद को सुधारिए फिर अपने -अपने समाज को , जिससे कि एक अच्छे देश का निर्माण हो सके.

40 comments:

  1. डा०साब से राय ले लो, सबसे अच्छे वाले वही हैं :)

    ReplyDelete
  2. धर्म तो सभी यही कहते है,
    इससे भी ज्यादा गुण रहते है।
    इन्सानियत की दुहाई देकर इन्सान,
    बस सारे ही बुरे काम किया करते है।
    लडते है बस अपने अहकार के कारण,
    धर्म को खाली-पीली बदनाम किया करते है॥

    सुंदर चिंतन प्रस्तूत किया, तार्केश्वर जी॥

    ReplyDelete
  3. फिर तो आपको तुरन्त इस्लाम कबूल कर लेना चाहिए :)

    ReplyDelete
  4. आज के समय में सभी धर्मों में कुछ न कुछ बुराई कभी न कभी देखने को मिल ही जाती है .... वैसे अपना धर्म बदलना कदाचित उचित नहीं है .... आभार

    ReplyDelete
  5. shi khaa mere dost hindu or muslmaan dhrm nhin he dhrm snaatn or islaam he sbhi dhrmon emn jiyo or jine do ka siddhaant prmukh he to jnaam dhrm koi bhi ho dhrm ke siddhaanto pr chlo khud hi dhrm jivn sudhar degaa. akhtar khan akela kota rajsthan

    ReplyDelete
  6. बदल चुके धर्म आप तब तो ...

    ReplyDelete
  7. आखिर लौट के (बुद्धिमान) घर को आये |

    ReplyDelete
  8. यह अंदाज पसन्द आया :)

    ReplyDelete
  9. बुरे काम हम स्वम करते हैं और बदनाम होता है बुराई करने वाले का धर्म.तारकेश्वर गिरी जी धर्म बदलना कोई इलाज नहीं ,ज़रुरत है खुद को बदलने की. हाँ यदि कोई धर्म आप की बताई बुराईयों (झूट बोने की , बे इमानी की ,नफरत फैलाने की ,अपने जैसे इंसानों पे ज़ुल्म की); की इजाज़त देता हो, तो यकीनन उस धर्म को त्याग देना चाइये, क्यों की वोह धर्म नहीं अधर्म है .
    अमन; के पैग़ाम को आगे हर धर्म के मानने वाले; हर उस इंसान ने बढाया है , जो इन बुराईयों का ग़ुलाम नहीं. जो इन आत्मा की इन बुराईयों का ग़ुलाम है वोह शांति सन्देश का भी दुश्मन है और यही इंसानियत का भी दुश्मन है.
    " मज़हब नहीं सीखाता आपस मैं बैर रखना" यह बचपन से सुना. तो कौन सीखाता है आपस मैं बैर रखना?
    जो सीखाता है हम सबको चाहिए  की उसको त्याग दें. धर्म बदल ने की आवश्यकता ही नहीं होगी.
    समाज को आज़ाद इंसान बनाया करते हैं. हम सब को चाइये की आज़ाद हो जाएं अपनी आत्मा की इन बुराईयों से.

    ReplyDelete
  10. आप बेधर्मी हो जाइये।

    ReplyDelete
  11. अगर ऐसा नहीं हैं तो लोग क्यों अपना धर्म त्याग करके दूसरा धर्म अपना लेते हैं, क्यों इसाई मिसन लोगो को पैसे का लालच देता हैं, क्यों डॉ जाकिर नाइक अपने सम्मलेन मैं रोज नए लोगो को मुस्लमान बनाते हैं और क्यों लोग रोज बनते हैं.

    ReplyDelete
  12. आप बेधर्मी हो जाइये।

    ReplyDelete
  13. आप बेधर्मी हो जाइये।

    ReplyDelete
  14. शायद अविनाश जी सही कह रहे हैं. ये सही रहेगा.

    ReplyDelete
  15. Tarkeshwar Giri jee,यदि पैसे की लालच मैं लोग धर्म बदल देते हैं तो यह साबित करता है पेट की भूख कुछ भी करवा सकती है. ऐसे लोग धर्म नहीं बदलते केवल पैसे ले के चलते बनते हैं. कम से कम इस्लाम मैं ऐसे मुसलमानों को मुनाफ़िक़ कहा जाता है, जो दुनिया की किसी लालच मैं इस्लाम कुबूल कर लें.
    तब भी लालच देके कोई धर्म परिवर्तन करता या करवाता है तो ग़लत है

    ReplyDelete
  16. बहुत सुन्दर आप बधाई के पात्र है

    ReplyDelete
  17. 1, भारतीय नागरिक जी से पूरी तरह सहमत ।
    2, कमी कभी धर्म नहीं होती इसीलिए धर्म में कभी कमी नहीं होती । कमी होती है इनसान में जो धर्म के बजाए अपने मन की इच्छा पर या परंपरा पर चलता है और लोगों को देखकर जब चाहे जैसे चाहे अपनी मान्यताएँ खुद ही बदलता रहता है ।
    3, जिसके पास धर्म होगा वह न अपने मन की इच्छा पर चलेगा और न ही परंपरा पर , वह चलेगा अपने मालिक के हुक्म पर , जिसके हुक्म पर चले हमारे पूर्वज ।
    4, धर्म बदला नहीं जा सकता क्योंकि यह कोई कपड़ा नहीं है ।
    5, जो बदलता है उस पर धर्म वास्तव में होता ही नहीं है ।
    6, अब आप बताइए कि नृत्य और हर पल आप उस मालिक के आदेश पर चलते हैं या अपनी इच्छाओं पर ?
    तब पता चलेगा कि वास्तव में आपके पास धर्म है भी कि नहीं ?

    ReplyDelete
  18. गिरी जी आप धर्म को मानने वालो को क्यों घसीट रहे है ? अगर आप को प्रश्न पूछना है तो इस तरह से क्यों नहीं पूछते है कि :-
    1. वो धर्म जिसमे लोगो को झूठ ना सिखाता हो.
    2. वो धर्म जिसमे ईमान हो.
    3. वो धर्म जिसमे सबकी इज्जत हो.
    4. वो धर्म जो किसी को हत्या करने कि इजाजत नहीं देता है.
    5. वो धर्म जिसमे चोरी डकैती कि शिक्षा न हो.
    6. वो धर्म जिसमे कोई बलात्कार न हो.
    7. वो धर्म जिसमे कोई ठग या घुसखोर न सिखाता हो.

    ८. वो धर्म जिसमे सिर्फ और सिर्फ इंसानियत हो.


    तो मै यही कहूँगा कि आप सही धर्म में पैसा हुए है और आप को और धर्मो को स्वीकार करने के बारे में छोड़ देना चाहिए| अपने पुण्य कर्मो को आगे बढ़ाते रहे और इश्वर से प्रार्थना करे कि जब भी मानव रूप में आप का पुनर्जन्म हो तो आप एक हिंदु के रूप में ही जन्म ले |

    धन्यबाद|

    ReplyDelete

  19. सर्वोच्च ईश्वरीय सत्ता में आस्था रखते हुये,
    पल प्रतिपल अपनी मानवीयता का ध्यान रखिये,
    रात में सोने से पहले अपने अन्तर्मन से अपने कृत्यों की ज़वाबदेही पेश करिये,
    आपको किसी धर्म की आवश्यकता ही न पड़ेगी, जब मैल नहीं तो साबुन की खोज क्यों ?
    धर्म आपसे बना है, जिसे उसके स्वयँभू ठेकेदार चला रहे हैं... पर आप स्वयँ किसी धर्म की देन नहीं हैं, यह तो एक सँयोग मात्र है ।

    ReplyDelete

  20. अरे.. आपने मॉडरेशन तक नहीं लगाया ?
    आख़िर कैसे टुटपुँजिया ब्लॉगर हैं, आप ?
    यह तो मुफ़्त में लग जाता है,
    और हमारा भाव बढ़ जाता है ।

    ReplyDelete
  21. :-)

    उपरोक्त सारी अच्छाइयाँ हर धर्म में हैं, किन्तु किसी भी धर्म के अनुयाइयो में पूर्णत: नहीं हैं.


    वैसे गिरी साहब सिर्फ किसी धर्म का लेबल लगा लेने भर से कोई उस धर्म का मानने वाला नहीं हो जाता. आज के समय आप किसी भी धर्म के धार्मिक व्यक्ति को देखकर उसके धर्म के बारे में राय नहीं बना सकते हैं.

    प्रेमरस.कॉम

    ReplyDelete
  22. @ जनाब गिरी साहब ! आपके लिए एक छोटा सा इल्मी तोहफा है मेरे ब्लाग पर ।

    देखें -
    ahsaskiparten.blogspot.com

    ReplyDelete
  23. धर्म पूछ रहे हैं या सम्प्रदाय?
    ब्लॉगर का धर्म है ब्लॉगिंग करना
    माँ-बाप के लिये पुत्र धर्म का पालन करें
    बच्चों के लिये पितृधर्म का पालन करें
    पत्नि के लिये पति धर्म का पालन करें
    इन्सानियत के लिये मानवधर्म का पालन करें
    आपका धर्म आप खुद हैं
    जन्म से किसी सम्प्रदाय में फेंक दिये जाने को धर्म नहीं कह सकते।
    हाँ जिस सम्प्रदाय का मार्ग आपको रुचिकर लगे उस पर चलें। हर संप्रदाय के अपने नियम हैं, अपने तरीके हैं जीवन को जीने के।

    प्रणाम

    ReplyDelete
  24. सच का मार्ग सदैव एक होता है , इश्वर भी एक होता है , उसी इश्वर के तलाश में सदैव हमें रहना चाहिए ,
    अगर एक व्यक्ति माल चुरा कर दान करें तो उसका कोई महत्व नहीं है , क्यों की वो चोरी का माल है ,
    उसी प्रकार हम जब तक सत्य के धर्म पर न हों तो हमारे किसी भी अच्छे कार्य का कोई महत्व नहीं ,
    इस लिए हमें सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए
    dabirnews.blogspot.com

    ReplyDelete
  25. समस्या का समाधान तब तक सम्भव नहीं जब तक कि धर्म का विकल्प धर्म को समझना बंद न किया जाए।

    ReplyDelete
  26. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि 'स्वधर्मे निधन श्रेय परधर्मो भयावह।' अतः आपको अपना धर्म नहीं बदलना चाहिए इसके विपरित हिन्दु धर्म पर जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रहार हो रहे है उनके प्रति समाज के लोगो को जाग्रत करना चाहिए

    ReplyDelete
  27. गिरि भाई, कमियां किसी भी धर्म में नहीं होतीं, उसे मानने वाले लोगों में होती हैं। पर यही बात लोगों को समझ में नहीं आती।

    ---------
    ग्राम, पौंड, औंस का झमेला। <
    विश्‍व की दो तिहाई जनता मांसाहार को अभिशप्‍त है।

    ReplyDelete
  28. गिरी भाई मुझे
    ऐसा खाना खाना है जिसके खाने से लेट्रिंग न आती हो
    ऐसी पोस्‍ट पढनी है जो किसी भाषा में न लिखी गयी हो
    मुझे ऐसी फिल्‍म देखनी है जिसमें कोई हीरो हिरोईन न हो
    ऐसा गाना सुनना है जिसमें कोई गीत न हो
    ऐसे घर में रहना है जिसमें घरवाली न

    ReplyDelete
  29. ब्लॉग युद्ध - अमित बनाम अनवर जमाल

    ये ब्लॉग युद्ध लड़ा जा रहा है उस देश में जहाँ 45 लाख का एक बकरा बिकता है, बकरों का 3-4 लाख में बिकना भी यहाँ कोई बड़ी बात नहीं है, ध्यान दीजिये उस देश में जहाँ आज भी हर दूसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है !

    पात्र परिचय -


    हिंदी ब्लॉग एक आसमान पर चमकते हुए एक सितारे का नाम है डा. अनवर जमाल !

    http://meradeshmeradharm.blogspot.com/2010/11/blog-post.html
    22 November 2010 5:47 PM
    मेरा देश मेरा धर्म said...
    Read full post @

    http://meradeshmeradharm.blogspot.com/2010/11/blog-post.html
    22 November 2010 5:48 PM

    ReplyDelete
  30. अरे यहाँ तो पूरी 'धर्म संसद लगी हुई है...... हमको तो पूर्वीय ब्लॉग से मालूम हुवा..


    मैं भी कुछ कहना चाहता हूं... :)
    मेरा मानना ये है की आपने कई धर्मो का उल्लेख किया... पहले आपको धर्म की परिभाषा बतानी चाहिए अगर, अगर आप 'हिंदू' को धर्म कहते हो... आप नहीं कहते - ये पोस्ट के अंत में आपने लिख दिया.
    दूसरी बात, आप बात कर रहे हैं, पूजा पद्धति या फिर पंथ की.....
    ये भारत वर्ष के सभी नागरिकों का वैक्तियक मामला है कि वो किस पद्धति से पूजा पाठ करते हैं.

    और जहाँ तक मेरा मसला है....... मैं भी बदलने के तैयार हूं अपनी पूजा पद्धति : पर शर्त एक है की 'कुर्बानी' के दिन कुत्तों की कुबानी दी जाए.......
    क्या है की हिन्दुस्तान में कुत्तों ने बहुत गद्दर मचा रखा है - रात को सोने नहीं देते ... भोंकते रहते हैं :)

    ReplyDelete
  31. एक धर्म है एसा पशु धर्म ,जहा कुछ गड़बड़ नही है

    क्या कोई जानवर ये सोचता है कि ये जो सामने जानवर है किस धर्म का है ,इसने वेद या कुरान पड़े है कि नही
    यहाँ लोग अपने घर की अंधरी की चिंता छोड़ दुसरे के घरो में उजाले की चिंता में है
    कमाल के और महान लोग है ये जो हिन्दू धर्म को रास्ता दिखा रहे है ???????

    ReplyDelete
  32. बढ़िया है ...मेरे धर्म में आ जाओ ...सबसे अच्छा है

    ReplyDelete
  33. भाई किस चक्कर में पड रहे हो? एक चक्कर कुल्लू-मनाली का लगाकर आओ। वापस आकर पल-पल का धारावाहिक छापो। जब दो-तीन महीने बाद धारावाहिक खत्म होने लगे तो एक चक्कर कहीं का फिर लगा दो। और फिर धारावाहिक।
    बस, लगे रहो, लगे रहो।
    यही उत्तम धर्म है- घुमक्कडी धर्म। सभी नौ की नौ बुराइयां दूर हैं घुमक्कडी धर्म में।

    ReplyDelete
  34. Neeraj ji kaisi rahi apki Badri Nath Ki yartra

    ReplyDelete
  35. क्यूँ न ये तथाकथित धर्म छोड़ दिया जाये ... आप ने जो भी लिखा है वो सब एक ही धर्म में मिलेंगे ... इंसानियत !

    ReplyDelete
  36. चाँद है जेरे कदम सूरज खिलौना हो गया
    हां , मगर इस दौर में किरदार बौना हो गया .

    यह शेर आज पहले से बढ़कर सार्थक है .

    * हम तो सबके ब्लाग पर हाजिरी देते हैं और कमेंट भी परंतु ...

    ReplyDelete
  37. bhai phle dhrm ko smjh to lo bina bat kuchh bhi munh utha kr kah dene se kam ni chlta bap to bap hi rhega hr kisi ko bap kaise khte fir skte hain bhla
    dhrm aur mt me bahut bda antr hai sb se pahle is bhed ko jan le aap ke pita shri ne bhi bahut koshish ki hogi ki aap poorn roopen srv smrth bne pr koi bhi apne bap ke kahne me poori trh nhi chlta to vh us ka beta nhi rhta aisa nhi hai aur n hi aisa krne us ka bap bdl jata hai
    jra aap hi bta den ki vastvik dhrm kya hai mere vichar me manviyta se bda dhrm koi nhi hai aur yh hi bhartiy yani hindoo vichar dhra hai baki kisi bhi mt me aisa nhi hai main yh dave se kah rha hoon ho to aap bta den main aap ka anuyayi ho jaunga
    hm apne dosh n dekh kr auron ke dosh dekh kr apne dosh hi bdha rhe hain is se adhik kuchh nhi hai

    ReplyDelete