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Saturday, November 20, 2010

मानवता के दुश्मनों- क्यों लडाना चाहते हो सबको आपस में- तारकेश्वर गिरी.

दिल तो कर रहा हैं कि जोर-जोर से गाली दूँ, उन सबको जो धर्म के साथ मजाक करते हैं। लेकिन मुझे अपनी मर्यादा को ध्यान हैं। बकरा ईद क्या आई लग गये सब के सब एक दुसरे को सिखाने। कुछ ब्लोगेर ने सम्मानित तरीके से बकरा ईद का विरोद किया तो कुछ ने धार्मिक आस्था कि बात कह करके मामला को ताल दिया।
लेकिन डॉ अनवर जमाल और उनकी टीम जब भी आग उगलेगी तो किसी ना किसी हिन्दू देवी- देवता को बदनाम जरुर करेगी । आज अनवर जमाल जी और उनकी टीम भगवान राम जी को मांस का सेवन करने कि बात कर रही हैं।
श्रीमान अनवर जमाल जी और आपकी टीम : आप अपने धर्म कि तारीफ करें , लेकिन दुसरे धर्म कि बुराई नहीं। कंही ऐसा ना हो कि आपसी विवाद इतना बढ़ जाये कि एक भाई दुसरे भाई के खून का प्यासा हो जाये। क्यों कि इस तरह से आप और आपकी टीम सिर्फ नफरत फैला रही हैं । एक तरफ आप बात करते हैं कि इस्लाम शांति का सन्देश देती हैं लेकिन एक तरफ आप धर्म विशेष का मजाक उड़ाते हैं।
हाँ एक बात और अगर कोई ब्लोगेर इस्लाम कि बुराई करता हैं तो आप उसका विरोध करें ना कि पुरे हिन्दू समाज का। आपके बहुत से मित्र हिन्दू होंगे और हमारे बहुत से मित्र मुस्लमान हैं।
आप हिन्दू शब्द कि सच्चाई कि बात करते हैं , शायद आप भूल गये कि आपने अपने लेख में खुद लिख था कि में हिन्दू हूँ। फिर कैसी सफाई मांग रहे हैं , कैसा विरोध भाष दीखता हैं आपको हिन्दू धर्म में।
जाते -जाते आपको ये बता दूँ कि हिन्दू एक परम्परा हैं जो सदियों से चली आ रही हैं, और इसमें जब भी बदलाव कि जरुरत महसूस हुई ,लोगो ने , समाज ने मिलकर के बदलाव किया हैं.

21 comments:

  1. ये सब हिन्दुओं पर कीचड़ उछालने में लगे हैं और हिन्दू वहां जाकर befitted reply देने की जगह चमचागिरी करते रहते हैं...

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  2. हमारा देश भारतवर्ष अनेकता में एकता, सर्वधर्म समभाव तथा सांप्रदायिक एकता व सद्भाव के लिए अपनी पहचान रखने वाले दुनिया के कुछ प्रमुख देशों में अपना सर्वोच्च स्थान रखता है, परंतु दुर्भाग्यवश इसी देश में वैमनस्य फैलाने वाली तथा विभाजक प्रवृति की तमाम शक्तियां ऐसी भी सक्रिय हैं जिन्हें हमारे देश का यह धर्मनिरपेक्ष एवं उदारवादी स्वरूप नहीं भाता. .अवश्य पढ़ें
    धर्म के नाम पे झगडे क्यों हुआ करते हैं ?
    हिंदी ब्लॉगजगत मैं मेरी पहली ईद ,इंसानियत शहीद
    हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है

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  3. सर्वप्रथम आप लोग मिलबैठ कर एक मत होकर वोटिंग करा लो की आप हिन्दू धर्म को मानते हो या या अपने पूर्वज या बाप दादा की इसको एक परम्परा मान कर आप भी इसको अपना रहे हो ,
    ये विरोधाभाषी पहले आप समाप्त कर लो की धर्म है या परम्परा ,

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  4. Taushif saheb hame mat samjhaiye ki ham Dharm mannte hain ya parampara. Aap pahle apne dharm ko dhekne usko sahi tarah se jane.

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  5. शीर्षक को ठीक करें भैया !

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  6. बड़े भाई को नमस्कार, कर दिया हैं

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  7. पहन फकीरों जैसे कपडे
    परम ज्ञान की बात करें
    वेद क़ुरान,उपनिषद ऊपर
    रोज नए व्याख्यान करें,
    गिरगिट को शर्मिंदा करते , हुनर मिला चतुराई का !
    बड़ी भयानक शक्ल छिपाए रचते ढोंग फकीरी का

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  8. ये इस्लाम का बहुत पारपरिक तरीका है अपने धर्म प्रचार करने का

    हिन्दू धर्म गुरु गौतम बुधा , विवेकानंद ,शंकराचार्य ,कबीर आदि ने हिन्दू धर्म की अच्छाई या बुराई बताई और
    अपने में सुधार की बात की ,सनातन धर्म के प्रचार के लिए कभी दुसरे धर्म की बुराई नही की

    पर ये इस्लाम ही है जो दुसरो में कमी बताकर अपनी पीठ ठोकता है इसलिए इसमें सुधार की जगह कमिया और कट्टरता आई

    आज जो इस दुनिया में इस्लाम के नाम पर गलत हो रह है ,बचे मुसलमान उसको सही बताकर अपने जड़े खोदने में लगे है
    आने वाले समय में इसके नतीजे इनके आने वाली पीडी भुगतेगी

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  9. दो पैमानों से नापना छोड़ना होगा
    @ भाई तारकेश्वर जी ! आपकी विनती मेरे लिए बहुत अहमियत रखती है।
    1. आप मेरे लिखे शब्दों पर ध्यान दें तो आप पाएंगे कि मैंने हिन्दू देवी देवताओं का उदाहरण दिया है लेकिन मैंने यह नहीं लिखा है कि मांस खाकर उन्होंने कोई ग़लत काम किया है। मुझे उनका उदाहरण देने का कोई शौक़ नहीं है, मजबूरी में देना पड़ा उनका उदाहरण।
    2. भाई अमित जी और बहन दिव्या जी ने हज़रत इबराहीम अलैहिस्सलाम की कुरबानी की मिसाल दी और कहा कि जो पशुबलि करते हैं वे अधम पापी और राक्षस हैं, वे अमन का पैग़ाम दे ही नहीं सकते, वे इंसान ही नहीं हैं। इसी तरह की बहुत सी बेहूदा बातें कीं और नहीं जानते थे कि जिस मांसाहार को वे अधर्म बता रहे हैं। वही मांसाहार उन प्राचीन आर्यों का मुख्य भोजन था जिन्हें धर्म की स्थापना के लिए अवतरित हुआ बताते हैं। इसी प्रसंग में प्रमाण के तौर पर मुझे श्री रामचन्द्र जी व अन्य हिन्दू महापुरूषों का आचरण सामने लाना पड़ा।
    मांस मुसलमानों का पवित्र धार्मिक भोजन है
    3. आपने मुझे तो टोक दिया लेकिन आपने अमित जी और दिव्या बहन जी व अन्य ब्लागर्स को एक बार भी न कहा कि आप मुस्लिम महापुरूषों का उदाहरण न दें, ऐसा क्यों ? जवाब दीजिए। यह तो ठीक नहीं है कि ब्लागर्स इस्लाम के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाते रहें और आप उन्हें बिल्कुल भी न टोकें और जब मैं उनके भ्रम का निवारण करूं तो आप मुझे समझाने के बहाने चुप करने चले आएं ?
    4. आप मुझे रोक रहे हैं और खुद मांस की तुलना मदिरा से कर रहे हैं ?
    जबकि इस्लाम में मांस एक पवित्र भोजन है और मदिरा व अन्य किसी भी प्रकार का नशा पाप और वर्जित है। खुद मुसलमानों के भोजन की तुलना एक गंदी और नापाक चीज़ से करें और फिर यह उम्मीद भी रखें कि सामने वाला ख़ामोश रहे, यह तरीक़ा ग़लत है।
    5. आप देख लीजिए, मेरे जितने भी लेख हैं वे सभी जवाबी हैं। जब भी कोई आदमी इस्लाम के बारे में ग़लत बात फैलाकर लोगों में अज्ञान और नफ़रत के बीज बोएगा तो सही बात बताना मेरा फ़र्ज़ है क्योंकि मैं सही बात जानता हूं। अगर किसी को मेरी बात ग़लत लगती है तो वह सिद्ध कर दे। मैं उसे वापस ले लूंगा, अपनी ही बात के लिए हठ और आग्रह बिल्कुल नहीं करूंगा लेकिन सत्य के लिए आग्रह ज़रूर करूंगा। मैं सत्याग्रह ज़रूर करूंगा हालांकि मैं गांधीवादी नहीं हूं।
    शांति के लिए मेरी तरफ़ से एक बेहतरीन आफ़र
    मैंने पहले भी कहा था और आज फिर कहता हूं कि मेरे ब्लाग की जिस पोस्ट पर ऐतराज़ हो उसे डिलीट करवा दीजिए लेकिन पहले आप लोग भी इस्लाम के खि़लाफ़ दुर्भावनापूर्ण पोस्ट डिलीट कर दें।
    अब आप बताइये कि मेरी कौन सी बात ग़लत है और आपकी कौन सी बात सही है ?
    क्यों है न काम की बातें ?
    अब नवाज़ देवबंदी साहब का एक शेर अर्ज़ है-
    तेरे पैमाने में कुछ है और मेरे पैमाने में कुछ
    देख साक़ी हो न जाए तेरे मैख़ाने में कुछ

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  10. anwer sahab mai aapka samarthan karya hu

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  11. anwer sahab mai aapka samarthan karta hu

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  12. @ भाई साहब गिरी जी , ॐ शांति ,
    भाई रात गुजर गई लेकिन आपने मेरे सवालों के जवाब अभी तक नहीं दिए ?

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  13. श्रीमान अनवर साहेब , अमित जी ने और दिव्या जी लिखा था कि (हजुर साहेब अपने बच्चे कि क़ुरबानी देने जा रहे थे , वो थो फरिस्ते ने बच्चे कि जगह भेड रख दिया था, और आप लोग भी ऐसा करे).
    कुछ शब्दों को छोड़ दे तो ये बाते सत्य हैं. सनातन धर्म (जिसे लोग हिन्दू कहते हैं ) में भी एक घटना का जिक्र मिलता हैं :- माँ दुर्गा अपने एक भक्त के घर उसकी परीक्षा लेने जाती हैं , जंहा कुछ ऐसी शर्त होती हैं कि भक्त को अपने बच्चे कि बलि दे कर के उसका मांस माँ दुर्गा के वाहन शेर को खिलाना पड़ता हैं , लेकिन थोड़ी देर बाद भक्त का बच्चा बाहर से खेलता हुआ वापस आ जाता हैं. जिसे आज कल माता रानी के जागरण में बताया -तारा रानी कि कहानी.

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  14. वंही दूसरी तरफ अमित शर्मा जी ने अपने एक ब्लॉग में दो विडिओ जोड़ रखा हैं, एक विडिओ में ऊंट कि बलि दी जा रही हैं तो दूसरी बलि में माँ कामख्या देवी जी के मंदिर में बलि चढ़ रही हैं. अमित ने और सभी टिप्पड़ी करने वालो ने दोनों धर्मो के विडिओ का विरोध किया हैं. लेकिन आप हैं कि सिर्फ आपको हम ही गलत नज़र आ रहें हैं.

    एक भंडा फोडू को छोड़कर के दूसरा कोई भी ब्लोगेर सीधे तौर पर इस्लाम पर अंगुली नहीं उठता, और भंडा फोडू का हम सब भी विरोध करते हैं.

    लेकिन आप का शौक हैं कि हमेशा और हर लेख में कोई न कोई उदहारण जोड़ देंगे जिसका उस लेख से चाहे भले ही कोई मतलब ना हो.

    आप का शीर्षक कुछ और कहता हैं, लेख कि भाषा कुछ और ही होती हैं,

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  15. रही बात सीधे तौर पर शांति फ़ैलाने कि तो ये आपके लेख शांति कि जगह अशांति ही फैला रहे हैं . और अगर आप ये कहते हैं कि मैंने सिर्फ आप को ही क्यों रोका तो उसका जबाब खुद आप ही हैं.

    आपको ध्यान होगा कि आपके साथ मैं एक बार मौलाना वहिउद्दीन खान साहेब के पास गया था, जाते समय मेरे दिमाग जो भी ख्याल (बुरे ख्याल ) इस्लाम के बारे मैं थे , वो सब मौलाना जी के शुद्ध विचारो से दूर हो गये . लेकिन अफ़सोस तो तब हुआ कि जिस मौलाना के पास मैं एक बार गया और मेरे विचार इस्लाम के प्रति नरम होगये , आप के विचार क्यों नहीं , आप तो बार-बार जाते हैं. आप क्यों नहीं अपने जीवन मैं उनके विचारो को अपनाते हैं.

    अगर मैं श्रीमान मौलाना जी को आपका और अमित शर्मा जी का ब्लॉग पढने को दू तो पता हैं , मौलाना जी किसको गलत कहेंगे ::::::::::: श्रीमान अनवर जमाल जी आप को.

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  16. तार्केश्वर जी,

    सीधी सच्ची सामान्य सी बात।
    सभी होंगे इस सच्चाई के साथ॥

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  17. Tarkeshwar Giri जी : आज ऐसा लग रहा है की अपना बच्चा सबको अच्छा लगता है. वैसे आप तो हमारे अमन के पैग़ाम का हमेशा साथ देते रहे हैं.
    क्या ईद मैं जो भी क़ुरबानी देता है "शांति सन्देश नहीं दे सकता". यदि हाँ तो इसका साफ़ मतलब है कोई भी मुसलमान शांति का सदेश नहीं दे सकता.
    ऐसा कहने वाले समाज मैं अशांति और नफरत फैलाते हैं. यह हर एक शांति की बात करने वाले के खिलाफ बोलते हैं और उसके लिए कोई ना कोई बहाना तलाश ही लेते हैं.
    क्या आप ऐसे लोगों का साथ देंगे?

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  18. मुझे तो यही लोग राक्षस लगते हैं जो बलि देने वाले महापुरुषों को नीच और अधर्मी कहते हैं ।
    @ भाई गिरी जी ! आपने माना है कि अमित जी हिंदू मुस्लिम दोनों के महापुरुषों की परंपरा को बुरा कहते हैं ?
    यही तो मेरी शिकायत है ।
    1- क्यों कहते हैं वे दोनों को बुरा ?
    2- क्या उन्हें बुरा कहने का अधिकार है ?
    3- जबकि मैं तो दोनों के ही महापुरुषों को बुरा नहीं कहता . कहीं बुरा कहा हो तो मुझे दिखाएँ मैं उस गलती को ऐलान के साथ मान लूंगा और सुधार भी लूंगा ।
    अमित जी में और मुझमें यह मूल अंतर है लेकिन फिर भी आपको शिकायत मुझसे है महापुरुषों को राक्षस कहने वालों से नहीं ।
    मुझे तो यही लोग राक्षस लगते हैं जो बलि देने वाले महापुरुषों को नीच और अधर्मी कहते हैं ।
    आपका क्या कहना है ?

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  19. Anwar Ji jabab ko dubara thik se padhe aur fir uttar de

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  20. .

    @-ये सब हिन्दुओं पर कीचड़ उछालने में लगे हैं और हिन्दू वहां जाकर befitted reply देने की जगह चमचागिरी करते रहते हैं...


    I completely agree with -Indian citizen ji.

    .

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  21. तारकेश्वर जी क्षमा चाहता हूँ बहुत दिनो से net से दूर था अतः आपका यह लेख आज ही देखा, (कल से ही net access मिला)। आपका कथन सत्य है, यह जमालगोटा एवं इसकी टीम सदैव ही दुराव भरी बातें करती है। अभी यहाँ बहुत ही शरीफ बन कर बातें कर रहा है पर अपने ब्लोग पर किसी न किसी प्रकार हिन्दुओं को नीचा दिखाने के लिए मनगढ़ंत बातें बनाता फिरता है और कहता है कि यह हिन्दु शास्त्रों से लिया है या किसी हिन्दु ने ऐसा कहा है या किसी भाष्यकार ने ऐसा लिखा है। कोई उससे पूछे कि जो कुछ इस्लाम के नाम पर हो रहा है तो उस पर बोलता है कि वो इस्लाम सच्चा नही, अगर ऐसा इस्लाम सच्चा नही तो जो कुछ वो बकता है वो कैसे सच्चा हिन्दुत्व हो गया।

    यह बोलता है कि "यही तो मेरी शिकायत है- 1- क्यों कहते हैं वे दोनों को बुरा ?2- क्या उन्हें बुरा कहने का अधिकार है ?" तो कोई इससे पूछे कि हिन्दु बच्चों को पापी बोलना, हमारे देवताओं को बलात्कारी बोलना क्या बुरा कहना नही है?

    खैर मैं भी व्यर्थ ही इतना कह रहा हूँ, और आप भी वहाँ कहाँ कीचड़ मे झांकने जाते हैं, मैने तो वहाँ थूकना भी छोड दिया। सुज्ञ जी और मैने इसको समझाने की बहुत कोशिश की, फिर सुज्ञ जी ने मुझे कहा कि यहां कोइ समझने के लिए नही सिर्फ कुतर्क करने के लिए बैठे हैं सब। सच है इसने तो जब गलत काम का ही बीड़ा उठाया हुआ है तो उस पर कैसे समझेगा? आखिर इसके लिए तो झूठी कहानियां भी गढ़नी पडे तो उसके लिए भी तैयार है, पर जबाब मिलता है तो मिर्च लग जाती है इसे। यह हमारे देवताओं को गलत बोलता था, जब मैने मुहम्मद को बलात्कारी बोल दिया तो इसे मिर्च लग गई। इसी प्रकार की झूठी बाते सही साबित करने के लिए झूठ मूठ श्रीमद्भागवत का नाम लेता है, समझता है कि जैसे अनेक दूसरे इसके हिन्दु अनुगामी अनभिग्य हैं मैं भी इस पुराण से अनभिग्य होऊगां, पर मैने तो इसे एक बार नही कई बार पढी है। और इसने एक बार भी नही पढी, यह खुलासा तब हो गया जब इसने भौमासुर और नरकासुर को दो अलग अलग राक्षस बता दिया। इतनी छोटी बात नही जानने वाला श्रीमद्भागवत पढने का दावा करता है। मूलतः यह सब १०० रुपए सैकडा की किताबें पढ़ कर ब्लोग लिखते हैं जो कि जामा मस्जिद के सामने मिलती है (कीडानवी ने खुद माना था कि १०० रुपए सैकडा मिलती हैं किताबे जहाँ से उद्ध्रण दिए हैं) अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि इस टोली की बौद्धिक क्षमता भी १०० रुपये सैकडा के हिसाब से ही होगी।

    मेरा भी आपसे निवेदन है कि इन पर ध्यान मत दें कुत्तों को भौंकने दें।

    Zeal जी और Indian citizen जी - आप सही कह रहे हैं, पर वहां पर सभी हिन्दु नामों को हिन्दु मत समझ लेना आप। विश्व गौरव, कमीनादर्शी, दिव्या और कुछ नामों से यह गैंग ही टिप्पणी करता है। इन सब का प्रणेता कीडानवी है। सलीम ने ऐसे ही एक फर्जी नाम से खुद को धमकी दे कर उस पर पूरा ब्लोग डाल दिया, लोगो ने पकड लिया तो वापस भी ले लिया (बेशर्म)। रहे कुछ जैसे महक, तो इनका कुछ नही हो सकता। मैने तो महक को दो तीन बार समझाना भी चाहा, पर समझ गया कि भैंस के आगे बीन बजाना और भैंस खडी पगुराय। यह हिन्दु शास्त्रों से संबंधित प्रश्न भी उनसे ही पूछ कर समझता है, य्ह नही कि किसी प्रामाणिक ग्रन्थ से मदद ले। और यह गैंग तो अरबी भी नही जानता - दो बार तो मैने इनका अरबी के ज्ञान का पोलापन देखा। चुंकि मैं खाडी देश कतर और ओमान मे काम कर चुका हूँ अतः कुछ शब्द जानता हूँ जिसके आस्तित्व से यह इंकार कर रहे थे अर्थात इन्हे तो अरबी भी नही आती ऐसे मे यह न तो हमारे ग्रन्थ (जो संस्कृत मे हैं) समझने का दावा कर सकते हैं न ही अपने कुरान को (जो अरबी मे है), फिर भी अपने वाक् चातुर्य से यह गुरुजी बने बैठे हैं।

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