और कितना इंतजार करूँ ,
किस हद तक डूब जावूँ
तेरा प्यार पाने के लिए.
आज भी याद हैं वो पल
जब मिले थे पहली बार,
तेरे इंतजार में , सड़क पर.
लम्हा -लम्हा वक्त गुजर गया
हम चलते रहे साथ उनके,
बस उनके इंतजार में.
आज भी साथ हैं वो
मगर दूर से,
इंतजार में , मैं खड़ा.
वाह गिरी जी आप तो बड़े मस्त कवि निकले
ReplyDeleteरोमांटिक
वाह गिरी जी आप तो बड़े मस्त कवि निकले
ReplyDeleteरोमांटिक
Manbhawan Bhai Ki Sundar Kavita Dil ko Chhoo Rahi Hai.
ReplyDeleteAur
मेरे मन की गहराईयों से
ख़ुशियाँ
उभरती रहती हैं
पल पल , हर पल
सागर है मन मेरा
और दूध विचार
मंथन में मगन हैं
ख़ुद मेरे रौशन और तारीक जज़्बे
बस अब करीब है अमृत
और फिर मैं हो जाऊँगा मुक्त
हरेक दाह , प्रदाह से
ज़मीर की मौत से
और जी सकूंगा
एक इंसान की तरह
सत्य के परमाणु के साथ
जग को रौशन करता हुआ
मेरी रचनात्मक पोस्ट का बुरा हश्र
क्या बात है तारकेश्वर भाई... कमाल का लिख दिया यह तो....
ReplyDeleteलम्हा -लम्हा वक्त गुजर गया
ReplyDeleteहम चलते रहे साथ उनके,
बस उनके इंतजार में.
इसे कहते है इंतजार की हद , बहुत खूब
वाह गिरी जी आप ने तो मजंनू का रिकार्ड भी तोड दिया ...भाई अब बेठ भी जाओ:)
ReplyDeleteआज भी साथ हैं वो मगर दूर से, इंतजार में , मैं खड़ा.
गिरि भाई, बहुत खूब।
ReplyDeleteहोली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
जानिए धर्म की क्रान्तिकारी व्याiख्याo।
लम्हा -लम्हा वक्त गुजर गया
ReplyDeleteहम चलते रहे साथ उनके,
बस उनके इंतजार में.
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ati sunder