Pages

Tuesday, March 22, 2011

और कितना इंतजार करूँ. ------तारकेश्वर गिरी.

और कितना इंतजार करूँ ,
किस हद तक डूब जावूँ
तेरा प्यार पाने के लिए.

आज भी याद हैं वो पल
जब मिले थे पहली बार,
तेरे इंतजार में , सड़क पर.

लम्हा -लम्हा वक्त गुजर गया
हम चलते रहे साथ उनके,
बस उनके इंतजार में.

आज भी साथ हैं वो
मगर दूर से,
इंतजार में , मैं खड़ा.

8 comments:

  1. वाह गिरी जी आप तो बड़े मस्त कवि निकले
    रोमांटिक

    ReplyDelete
  2. वाह गिरी जी आप तो बड़े मस्त कवि निकले
    रोमांटिक

    ReplyDelete
  3. Manbhawan Bhai Ki Sundar Kavita Dil ko Chhoo Rahi Hai.

    Aur

    मेरे मन की गहराईयों से
    ख़ुशियाँ
    उभरती रहती हैं
    पल पल , हर पल

    सागर है मन मेरा
    और दूध विचार
    मंथन में मगन हैं
    ख़ुद मेरे रौशन और तारीक जज़्बे

    बस अब करीब है अमृत
    और फिर मैं हो जाऊँगा मुक्त
    हरेक दाह , प्रदाह से
    ज़मीर की मौत से
    और जी सकूंगा
    एक इंसान की तरह
    सत्य के परमाणु के साथ
    जग को रौशन करता हुआ

    मेरी रचनात्मक पोस्ट का बुरा हश्र

    ReplyDelete
  4. क्या बात है तारकेश्वर भाई... कमाल का लिख दिया यह तो....

    ReplyDelete
  5. लम्हा -लम्हा वक्त गुजर गया
    हम चलते रहे साथ उनके,
    बस उनके इंतजार में.
    इसे कहते है इंतजार की हद , बहुत खूब

    ReplyDelete
  6. वाह गिरी जी आप ने तो मजंनू का रिकार्ड भी तोड दिया ...भाई अब बेठ भी जाओ:)
    आज भी साथ हैं वो मगर दूर से, इंतजार में , मैं खड़ा.

    ReplyDelete
  7. गिरि भाई, बहुत खूब।

    होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
    जानिए धर्म की क्रान्तिकारी व्याiख्याo।

    ReplyDelete
  8. लम्हा -लम्हा वक्त गुजर गया
    हम चलते रहे साथ उनके,
    बस उनके इंतजार में.
    .
    ati sunder

    ReplyDelete