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Saturday, January 8, 2011

कमेन्ट माफिया .................तारकेश्वर गिरी.

आज कल हमारे ब्लॉग जगत पर एक अलग सा माफिया ग्रुप का कब्ज़ा हो गया। इस माफिया ग्रुप का नाम मैंने रखा हैं कमेन्ट माफिया या सी कंपनी भी कह सकते हैं।

कुछ लोगो का आपसी ग्रुप इतना मजबूत हो चूका हैं कि अगर किसी ब्लोगेर ने दादी कि सुनी हुई कहानी भी लिख दी तो ७०- ८० कमेन्ट तो मिल ही जाता हैं। और कुछ ब्लोगेर बंधू तो ऐसे हैं कि सिर्फ महिलावो के ब्लॉग पर ही टिप्पड़ी करेंगे। और कुछ कि तो बात ही अलग हैं।

कुछ बंधू तो nice लिख कर के चलते बनते हैं।

भाई लोग ऐसा क्यों करते हैं। मैंने बहुत से ऐसे ब्लॉग देखे हैं जिनमे बहुत सी अच्छी -अच्छी जानकारी दी गई, होती हैं, धर्म के उपर बहुत से ब्लॉग अच्छी जानकारी देते हैं। समाज के उपर हो या विज्ञानं के उपर लेकिन ऐसे लेख बिना पढ़े ही रह जाते हैं। आज कि राजनितिक हलचल हो या महंगाई , कोई नहीं जाता , बेचारा लिखने वाला भी सोचता हैं कि में क्या लिखू।

में अपनी बात ही कह दू, कि अगर मैं किसी कि बुराई करता नज़र आ जाऊ तो लोग दबा के टिप्पड़ी करेंगे लेकिन अगर कोई अच्छी बात लिखने लगु तो ऐसे लगता हैं कि साली टिप्पड़ी भी नासिक के प्याज के खेते से आ रही हैं।

खैर अब देखता हूँ।

8 comments:

  1. आप अच्छी तरह जानते है कि काम की बातें क्या हैं। सक्रियता और उसके मूल लक्ष्यों पर ही ध्यान केंन्द्रित किया जाना अच्छा है।

    शुक्रिया।

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  2. आरे गिरी गुरु बहुत ए बढ़िया कियो कि बता दियो, कि सब C कंपनी के माफिया लोग हैं. चलो एक काम करते हैं, अच्छे लेख वाले ब्लोगर का भी एक माफिया गँग बना लेते हैं. और इस का नाम TG कंपनी रखते हैं .
    वैसे तर्केश्वेर जी गुटबाजी हकीकत मैं अब बहुत हो गयी हैं और इस गुट का मकसद ब्लॉगजगत मैं अच्छे लेखकों को आने ना देना है. जाहिलों कि दूकान चाटुकारी से चलती हैं, ज्ञानी उन्हें पसंद नहीं और उनकी सेहत के लिया हानिकारक हैं....
    तुमहूँ लिखे जौनपुर का गदहा कि टांग कहे बांधी जात है और शामिल हो जाओ C कंपनी मा. मंहगाई और सामाजिक सरोकार पे लिखिओ तो बस दना दन फ़ोन मार के ईई माफिया वाले हमला कर देंगे और टिप्पणी बंद...

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  3. भाई साहब ! आपने बिल्कुल सही कहा है कि बुराई करने वाली पोस्ट पर तो लोग कमेँट करने ऐसे भागते हैं कि पोस्ट लिखने वाला भी हैरान रह जाता है और काम की बातों पर आते हुए ऐसे डरते हैं जैसे बंदर डरता है लंगूर से।
    अब तो इन्होंने आपकी उन पोस्ट्स पर भी आना छोड़ दिया जो आप पाकिस्तान के ख़िलाफ़ लिखते हो ।

    विदेशी ब्लागर्स की कुतिया बच्चे दे तो उनके फ़ोटो दिखाने वाले 80 कमेंट ऐसे हज़्म कर रहे हैं जैसे सरकारी इंजीनियर ठेकेदार से अपना हिस्सा वसूल करता है पूरे हक़ से ।

    देखिए मैं आपको ज़्यादा टिप्पणियां पाने के टोटके बताऊंगा जो ये C ग्रेड के ब्लागर्स यूज़ करते हैं ।

    तब तक आप इंसानियत छोड़कर आस्तीन का सांप बनना सीख लीजिए और विदेशी ब्लागर्स की ख़ुशामद करना भी ।

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  4. मैं अपने ब्लाग 'अहसास की परतें' पर सामाजिक मुद्दों पर लिखता रहा तो कोई नहीं आया और जब मैंने राष्ट्रबाला दिव्या जी की फ़ज़ीहत की तो गंदगी सूंघकर सब ऐसे भाग कर आए कि मेरे stats का ग्राफ़ ऊपर जा लगा ।
    ये बुद्धिजीवी बनते हैं लेकिन ये ढोंगी हैं । बूढ़ी औरतों के ब्लाग पर ये जाते नहीं और ...
    बस और क्या कहूँ ?
    मैंने अपनी पोस्ट में लिख ही दिया है काफ़ी कुछ ।

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  5. Giri bhai, BTW: ye naasik ke khet se aawaa jaahee me dikkat hotee hai kya ?:)

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  6. प्रिय बंधुवर तारकेश्वर गिरी जी

    सादर अभिवादन !

    आपने जो लिखा , उसमें दम है । … लेकिन बात वही है , टटपुंजिया लेखन का महत्व क्या है … चाहे वह ब्लॉग-पोस्ट्स में हो चाहे पत्र-पत्रिकाओं में ?
    प्रतिक्रियाएं / टिप्पणियां लॉबिंग से आना संभव है ; देख भी रहे हैं , लेकिन टिप्पणीकर्ता की औकात भी तो साथ ही नज़र आ जाती है ।

    बंधु ! हम तो बिना श्रेष्ठ लेखन के भी लोगों को बड़े-बड़े साहित्यिक पुरस्कार पाते देख-सह रहे हैं !

    इसलिए…
    टिप्पणियों का रंज़ तो मत कर मेरे मीत !
    बांट ज़माने को ख़ुशी, गा मस्ती के गीत !!


    आशा है, सहमत होंगे ।

    ~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  7. तारकेश्‍वर जी, काफी गहरी बातें कह दी आपने। हार्दिक बधाई।

    ---------
    पति को वश में करने का उपाय।

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