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Friday, November 26, 2010

बलात्कार का असली दोषी कौन. - तारकेश्वर गिरी.

परसों शाम को एक लड़की के साथ फिर वोही हुआ , जो नहीं होना चाहिए. हर तरफ उसकी चर्चा चल रही हैं. मीडिया लगातार दिल्ली पुलिस कि हवा निकाले जा रही हैं, और सारा का सारा दोष दिल्ली पुलिस पर मढ़े जा रही हैं.


क्या सचमुच इस घटना कि जिम्मेदार दिल्ली पुलिस ही हैं ? हाँ, लेकिन शायद पूरी तरह से नहीं. कंही ना कंही हमारा समाज भी दोषी हैं, और मेरे समझ से दिल्ली पुलिस से ज्यादा दोषी हैं.


विषय बहुत ही गंभीर हैं, अगर आप या हम चुप रहेंगे तो, कल किसी और के साथ भी इस तरह कि घटना हो सकती हैं, लेकिन करे क्या ?

आज दिल्ली में इस तरह कि घटनाये तो सामने आ जाती हैं, मगर दूर -दराज के गांवो में , छोटे -छोटे कस्बो में, इस तरह कि घटनाये रोज होती हैं, मगर लाज और शर्म कि वजह से एक औरत चुप-चाप शांत हो जाती हैं. समाज का चाहे कोई भी वर्ग हो या समाज का कोई भी धर्म हो , इस से अछूता नहीं हैं.


आज कि आधुनिक भाग -दौड़ कि जिंदगी में महिलावो को देर रात तक काम करना पड़ता हैं, सबसे पहले तो चाहिए कि नियोक्ता इस बात कि गारंटी महिला के परिवार को दे कि महिला को घर से सुरक्षित ले जाने कि और घर तक छोड़ने कि जिम्मेदारी उसकी हैं. दूसरी बात ये कि जिस वाहन से महिलाएं आती -जाती हैं, उसके चालक कि पूरी सुचना पुलिस और नियोक्ता के पास होनी चाहिए.


तीसरी और सबसे महत्त्वपूर्ण बात ये हैं कि हमें अपने-अपने समाज में ये बात लानी चाहिए कि लोग ऐसा करने से बचे.


साथ ही में उन महिला कर्मचारियों से विनम्र निवेदन करता हूँ कि , जिस कैब से वो आ -जा रही हैं उसके ड्राईवर पर और अपने पुरुष सहकर्मी पर ध्यान दे , रोज आने -जाने वाले रास्ते पर ध्यान दे , अगर कुछ भी संदेह लगे तो इसकी सुचना अपने नियोक्ता और पुलिस को तुरंत दे.

23 comments:

  1. ek achchey aur nispaksh chintan kae liyae badhaaii

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  2. तारकेश्वर भाई... आपने एक बहुत ही गंभीर मुद्दा उठा, साधुवाद!

    समाज को अधिक से अधिक शिक्षित करने और कुंठाओं से मुक्ति के रास्ते तलाशने की आवश्यकता है....

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  3. आज आपकी रचना बहुत अच्छी लगी। लीक से हटकर लिखने लगे हो।
    लगे रहो।

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  4. पोलिस से या किसी और सम्स्था से उमीद करना ही बेकार है। नैतिक पतन के कारण ऐसी घटनायें बढ रही हैं। अब तो स्कूलों मे ही बच्चियाँ सुरक्षित नही तो बाकी जगह कैसे हो सकती हैं जो शिक्षक गुरू हैं वही बलात्कारी औए सेक्स स्केन्डलों के कार्यकर्ता हैं । बहुत त्रास्द स्थिती है जितनी हम समझ रहे हैं उस से कहीं बढ कर भयंकर।

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  5. अगर इस कांड के दोषियों को एक माह के अन्दर सरे आम कुत्तों से नुचवा दिया जाये तो देखिये कितनी कमी आती है ऐसे अपराधों में..

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  6. भारतीय नागरिक - Indian Citizen ji kae kament kae liyae taaliyaan bajane kaa man haen

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  7. Bilkul sahi kaha apne sriman Bhartiya Nagrik

    Kutto se to nuchwana hi chahiye. Ek kam aur Blatkari ka L......g hi kat dena chahiye.

    Lekin shayad ye wajah nahi hai.... is se koi fark nahi hoga.

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  8. Kyonki jab Apradhi Apradh ko anjam deta hai to uske man main saja ka khauf bilkul hi nahi hota hai.

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  9. बिल्कुल सही कहा जी आपने
    हम भी दोषी हैं जो एक ऐसे समाज के सदस्य हैं जहां किसी के मान-सम्मान की सुरक्षा समाप्त हो रही है।
    नियोक्ता कम्पनी, ड्राइवर आदि भी उतने ही दोषी हैं और सरकार और सुरक्षा तंत्र भी दोषी है जी
    क्या करती है पुलिस जब रात भर सडक पर चलती गाडियों में कुकर्म होते हैं।

    प्रणाम

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  10. उचित चिन्तन...समुचित विचार एवं सुरक्षा प्रबंधन की आवश्यक्ता है.

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  11. यह एक सामाजिक समस्या है... दोषियों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई करनी होगी...

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  12. आप पुलिस के लापरवाही से किसी भी स्थिति में इनकार नहीं कर सकते
    , इस युवती लड़की के मामले भी यही हुआ ,
    जब लड़की पुलिस के पास रिपोर्ट लिखवाने गयी तो वो अपराधियों को पकड़ने बजाये काफी देर तक खानापूर्ति करने में लगी रही ,
    लगभग हर मामले में पुलिस का रवैय्या यही रहता है, किन्तु केवल मध्यम या गरीब वर्ग के लिए
    ,
    एक सामाजिक मुद्दा उठाने के लिए धन्यवाद
    dabirnews,blogspot.com

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  13. good post.
    “समीर लाल (उड़नतश्तरी) “ यह; नाम इस ब्लॉगजगत मैं किसी के तार्रुफ़ का मुहताज नहीं है . इनके अलफ़ाज़ "खुशियाँ लुटा के जीने का इस ढंग है ज़िंदगी " ही काफी है, इनके तार्रुफ़ ,,,,,,,,,,,,,

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  14. ... vichaarneey ... chintneey ... anukarneey abhivyakti !!!

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  15. गलती समाज की है और गलती समाज में कानून के रखवाले बने फिरते पुलिस की तो है ही ..

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  16. इस सामाजिक समस्या के प्रति गंभीर चिन्तन किया है आपने और सुझाव भी उचित हैं सभी को समग्र प्रयास करने चाहिये ।

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  17. टीवी पर सुना की बेचारी लड़की को तो आफिस की गाड़ी ने ही घर तक छोड़ा था बस दस कदम पर कालोनी की गेट थी पर उसके पहले ही ये कांड हो गया | यानी सुरक्षा के हर संभव उपाय किये गये थे लेकिन समस्या ये है कि अपराधियों क्या आम लोगों में भी पुलिस और कानून का कोई डर नहीं है अपराध करते समय | जानते है ऐसे अपराध होने के बाद पुलिस पहले तो मामले को दबाने का या फिर छुपाने का प्रयास करेंगी जब मीडिया में बात आएगी तब सही कार्यवाही की जगह सफाई देने या लीपापोती में लग जायेंगे तब तक अपराधी आराम से भाग या छुप चूका होगा , इस तरह अपराधियों के हौसले बुलंद हो जाते है |

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  18. अपराध के रोकथाम में अपराधियों पर सख्त कार्यवाही सबसे कारगर उपाय है ....लेकिन यह हमारे देश में अब संभव नहीं क्योकि अपराधी और घोटालेबाज होना हमारे देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नजर में CVC बनने का मापदंड बन गया है........शर्मनाक स्थिति है इस देश के संवेधानिक उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों की नैतिकता का.....ऐसे हालात में इमानदार अधिकारीयों की कार्यक्षमता और मनोबल में भी गिरावट आती है तथा अपराधियों के हौसले बुलंद होतें हैं ....

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  19. क्या सचमुच इस घटना कि जिम्मेदार दिल्ली पुलिस ही हैं ? हाँ, लेकिन शायद पूरी तरह से नहीं. कंही ना कंही हमारा समाज भी दोषी हैं, और मेरे समझ से दिल्ली पुलिस से ज्यादा दोषी हैं.




    विषय बहुत ही गंभीर हैं, अगर आप या हम चुप रहेंगे तो, कल किसी और के साथ भी इस तरह कि घटना हो सकती हैं, लेकिन करे क्या ?

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  20. सामयिक चिंतन सटीक

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  21. जब इंसान के दिल में ख़ुदा के होने का यक़ीन न हो, उसकी मुहब्बत न हो , उसका ख़ौफ़ न हो तो उसे जुर्म और पाप से दुनिया की कोई ताक़त नहीं रोक सकती वेद कुरआन यही कहते हैं ।
    आप जिन सुरक्षा उपायों की बात कर रहे हैं , अमेरिका और सभी पश्चिमी देशों में उनसे ज़्यादा उपाय किए जाते हैं लेकिन फिर भी वहां बलात्कार होते हैं ,
    क्यों होते हैं ?
    यह देखिए यहाँ

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  22. भाई गिरी जी , आप अभी तक आए नहीँ ?
    आइये और देखिए
    हमारे यहाँ भी तशराफ़ लायेँ और हल सुझाएँ

    बलात्कार एक ऐसा जुर्म है जो अपने घटित होने से ज़्यादा घटित होने के बाद दुख देता है, सिर्फ बलात्कार की शिकार लड़की को ही नहीं बल्कि उससे जुड़े हर आदमी को , उसके पूरे परिवार को ।
    क़ानून और अदालतें हमेशा से हैं लेकिन यह घिनौना जुर्म कभी ख़त्म न हो सका बल्कि इंसाफ़ के इन मुहाफ़िज़ों के दामन भी इसके दाग़ से दाग़दार है ।

    क्योंकि जब इंसान के दिल में ख़ुदा के होने का यक़ीन नहीं होता, उसकी मुहब्बत नहीं होती , उसका ख़ौफ़ नहीं होता तो उसे जुर्म और पाप से दुनिया की कोई ताक़त नहीं रोक सकती, पुलिस तो क्या फ़ौज भी नहीं । वेद कुरआन यही कहते हैं ।

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  23. बलात्कार पर सर्वथा अद्भुत चिंतन
    http://ahsaskiparten.blogspot.com
    पर , आज, अभी तुरंत ।
    भाई गिरी जी , आप अभी तक आए नहीँ ?
    आइये और देखिए
    हमारे यहाँ भी तशराफ़ लायेँ और हल सुझाएँ

    बलात्कार एक ऐसा जुर्म है जो अपने घटित होने से ज़्यादा घटित होने के बाद दुख देता है, सिर्फ बलात्कार की शिकार लड़की को ही नहीं बल्कि उससे जुड़े हर आदमी को , उसके पूरे परिवार को ।

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