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Sunday, October 3, 2010

जनता शांत रही और हरामी चिल्लाते रहे- तारकेश्वर गिरी.

पुरे देश कि जनता शांत रही और साले देश के गद्दार हरामी कि औलाद चिल्लाते रहे कि नहीं , हमें ये फैसला मंजूर नहीं हैं, कोई साला कहता हैं कि हम तो सुप्रीम कोर्ट जायेंगे और कोई हरामी कहता हैं कि नहीं ये गलत हैं।
में तो उन हरामीकि औलादों से पूछता हूँ कि तुम लोग थे कंहा जब अयोध्या का मामला कोर्ट में गया था , तुम्हारी गां..........................ड़ में दम था तो पहले क्यों नहीं समझौता करा लिया ।
अब जब पुरे देश के हिन्दू और मुस्लमान भाई शांत हो गये तो सालो अपनी - अपनी रोटी सेकने आ गए।
पुरे भारत वर्ष के हिन्दू और मुसलमानों ने एक आवाज में ये माना कि कोर्ट का फैसला सब मानेगे तो सालो तुम्हारी क्यों फट रही हैं ,
क्या तुम्हे मजा तभी आएगा जब दोनों भाई आपस में लड़ेंगे।

7 comments:

  1. taarkeshvr bhaayi bhut bhut gusse men ho bhaayi yeh to hen hi aese yeh laton ke bhut hen baton se nhin maante lekin aek choti si iltijaa he ki bhayi hm inhen gali kyun likhen lekhni to hmari gndi ho rhi he yeh bhut moti chmdi ke log hen inke liyen to dusra rasta apnaan pdhegaa. akhtar khan akela kota rajsthan

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  2. अरे बाबा इतना गुस्सा क्यो कर रहे हो, क्यो अपना पारा चढाते हो,हम सब को सही समय पर अकल आ गई जो इन नेताओ की बातो मे ना आये, इन के कहने से अपने ही भाईयो का खुन ना बहाये, सब मिल जुल कर रहे, ओर आंईदा ऎसे लोगो को कोई वोट ना दे,

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  3. तारकेश्वर जी !
    जनता अपना काम कर रही है और नेता अपना | ये तो भविष्य के लिए अच्छा है .....कृपया शांत रहें ...और इन चोरों के लिए हम अपनी जबान क्यों ख़राब करें |

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  4. I Agree from You Tarkeshwar JI , वैसे ब्लॉग जगत में भी कमी नहीं है ऐसे हरामियों की फिर चाहे वो दोनों धर्मों में हो

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  5. तारकेश्वर गिरी जी,
    ब्लॉग जगत में ऐसे "जयचंदों" की कमी नहीं है जिनकी चाल, चेहरा, चरित्र दोगला है. सामाजिक रूप से ये लोग कुछ कह नहीं पाते तो बस मुखौटा ओढ़ के "जेहाद" फ़ैलाने में लग जाते है.. इनका एक ही इलाज़ है की इन जैसे भेड़ियों की सार्वजनिक बदनामी की जाए,
    शुरुआत हो चुकी है..
    यहाँ देख लीजिये--

    http://hinduraaj.blogspot.com/2010/10/ayodhya-judgment-neglect-by-bloggers.html

    राजेन्द्र-
    हिंदुत्व और राष्ट्रवाद,

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  6. तारकेश्वर जी निश्चित रूप से यह गुस्सा दिखाने का समय है, नहीं तो यह "चलता है" attitude देश को गड्ढे मे ले जा रहा है।

    अब फैसला आने के बाद लोगो को ASI के निश्कर्षों मे खोट नजर आने लगी, अब तक यह लोग कहाँ छुपे बैठे थे?

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  7. बहुत अच्छा शीर्षक दिया है अपने --लगता है की काफी गुस्सा है वास्तव में मिडिया ,सेकुलर राजनेता और बामपंथी को एक बड़ा झटका है राष्ट्राबाद की यह अमरनाथ श्रयिनबोर्ड क़े बाद ये पहली विजय है पूरे देश ने इसे सहर्ष स्वीकार किया है ---बहुत अच्छा लिखा लेकिन गुस्सा नहीं गंभीर होने की आवस्यकता है

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