पूरा का पूरा ब्रहमांड सिर्फ तीन पर आधारित हैं। श्रृष्टि के निर्माता ने जब श्रृष्टि कि रचना कि होगी तो उस समय इस ब्रहमांड में क्या रहा होगा, किसी को भी नहीं पता। लेकिन मेरा मानना हैं कि उसकी रचना के दौरान गिनती कि संख्या ३ जरुर महत्वपूर्ण रही होगी.
लेकिन हमारे हिंदुस्तान में संख्या ३ को अपशगुन मानते हैं , जैसे कि तीन जने एक साथ घर से साथ नहीं निकलना और वेगैरह - वेगैरह।
लेकिन में आपको कुछ ऐसे उदहारण दूंगा जिससे ये साबित होगा कि संख्या ३ जरुर कंही न कंही आपने आप में महत्वपूर्ण हैं। लेकिन उससे पहले एक और दो के बारे में भी बता दूँ।
१- ईश्वर एक हैं, और सिर्फ एक ही हैं।
२- + और - जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं, इस के बिना जीवन अधुरा हैं। ( नर और मादा)।
३-
- हिन्दू धर्म के अन्दर ३ भगवान और तीन ही देवियाँ हैं [( ब्रम्हा , विष्णु और महेश- लक्ष्मी , सरस्वती और पार्वती)]।
- हमारे शरीर के तीन हिस्से हैं , ( सर , धड और कमर के नीचे का हिस्सा)
- हमारी अँगुलियों में भी तीन ही हिस्से हैं और फिर पुरे हाथ में भी तीन ही हिस्से हैं और उसी तरह हमारे पैर में भी।
- पूरी दुनिया में पांच महादीप हैं लेकिन अफ्रीका , एशिया और यूरोप ये तीनो एक साथ जुड़े हुए हैं और इनको एक साथ जोड़ दिया जाय तो सिर्फ तीन ही महादीप कहलायेंगे - अमेरिका , आस्ट्रेलिया और यूरेशिया महादीप।
- हिंदुस्तान तीन प्रमुख नदिया हैं - गंगा , जमुना और सरस्वती ( सरस्वती विलुप्त हो चुकी हैं और यमुना होने वाली हैं उसके बाद गंगा भी विलुप्त हो जाएँगी)।
- भारत तीन तरफ समुद्रो से घिरा हुआ हैं और तीन समुद्रो से घिरा हैं ( हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल कि खाड़ी )।
- भारत में तीन प्रमुख धर्म हैं - हिन्दू , मुस्लिम और इसाई (सिख , बौध और जैन हिन्दू धर्म के ही हिस्से हैं)
- भारत में हिन्दू धर्म से भी तीन धर्म निकले हुए हैं - बौध, जैन और सिख.
- पूरी दुनिया में तीन प्रमुख धर्म हैं - इसाई, बौध और इस्लाम।
पोस्ट काफी लम्बी हो रही हैं , इस लिए इस कड़ी को इसी जगह पर रोक रहा हूँ अगर आप सबको पसंद आएगी तो अगली कड़ी लिखूंगा ................
भारत में हिन्दू धर्म से भी तीन धर्म निकले हुए हैं - बौध, जैन और इसाई। ?
ReplyDeleteमन को बहलाने की बातें हैं जिन लोगों को तीन नम्बर से परहेज होगा उसके लिए उनके पास तर्क भी होंगे लेकिन आपने पूरी कोशिश की है समझाने की...अच्छा लिखा है...
ReplyDeletesugy ki sugyta shuny hai lagta hai...!!!
ReplyDeleteमानसिक स्वच्छता की आवश्यकता है कुछ लोगों को.. वीना जी सही कह रही हैं...
ReplyDeleteMERA MATLAB ANDHVISHWASH KO DUR KARNA HAI
ReplyDeleteaur 3 no. ki importency ko dikhana
ReplyDeleteसुज्ञ जी की सवाल सही है जी
ReplyDeleteइसाई, हिन्दू से नहीं निकला है। ठीक कर लें।
किसी भी अंक या शब्द को लेकर जब हम विचार करने लगते हैं तो हमारा दिमाग बहुत जोड सकता है। देखें -
ReplyDeleteदे ताली
अंक अजूबा सात
लेकिन लेख आपका पसन्द आया
ReplyDeleteबढिया चर्चा की है आपने, आगे भी लिखियेगा।
विज्ञान (भौतिक/बाहर) की खोज अंतिम तीन पर जाकर ठहर गई। पदार्थ>अणु>परमाणु के बाद इलैक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन पर जाकर समाप्त हो गई।
धर्म (आत्मिक/अंतर)की खोज भी तीन पर जाकर ठहर गई। ब्रह्मा, विष्णु, महेश
पूरब ने धर्म की खोज की और पश्चिम ने विज्ञान की
ब्रह्मा, विष्णु, महेश का कार्य है जन्म, पालन और संहार
इलैक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का भी यही कार्य है।
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राष्ट्रध्वज में भी तीन ही रंग हैं।
ReplyDeleteमृत्योपरांत भी तीन कपडे ही पहनाये जाते हैं।
आमतौर पर तीन ही लोक कहे जाते हैं।
स्वर्ग-नरक-पाताल
समय के तीन आयाम हैं। वर्तमान, भूत, भविष्य
साल-महिने-दिन या
घंटे-मिनट-सैकिण्ड
राष्ट्रचिन्ह में तीन शेर ही दिखते हैं।
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Sohil Ji Thanks for example and suggesion
ReplyDeleteMeri post ka balance masala aap hi dal denge kya
ReplyDeleteबेसिक रंग तीन होते हैं
ReplyDeleteलाल, पीला, हरा
ठोस-द्रव-गैस
ReplyDeleteचेतन-अचेतन-अवचेतन
धन्यवाद,तार्केश्वर जी, कर लिये गये सुधार के लिये।
ReplyDeleteधन्यवाद,अन्तर सोहिल जी मेरे प्रश्न पर ध्या्नाकृषण के लिये।
सलीम खान साहब ने क्या कहा पता न चला।
क्या सुज्ञ जी!
ReplyDeleteआप ऐसी टिप्पणियां भी पढ जाते हो?
हा-हा-हा
प्रणाम
@ तारकेश्वर गिरि जी
ReplyDeleteबन्धु, अगर हो सके तो काला बैकग्राऊण्ड बदल दें। आभार होगा
काला बैकग्राऊण्ड आंखों पर बहुत जोर डालता है। मुझे तो पढने में परेशानी होती है, क्या किसी और पाठक को भी हो रही है?
प्रणाम
Anter Sohil ji ke vinamra nivedan ki wajah se colour change kar diya hai hamne
ReplyDeleteधन्यवाद, अन्तर सोहिल जी,निरपेक्षता निर्देश के लिये।
ReplyDeleteतारकेश्वर जी, रंग अभी भी काला ही है,कदाचित टेम्पलेट का बेकग्राउण्ड काला है।
हमारी तो तीन टिप्पणियां पूर्ण हुई।
यहां तो अब भी काला ही है, गिरि जी
ReplyDeleteक्या बदला आपने?
वाह क्या बात है! तीन की महिमा.......
ReplyDeleteवैसे इसाई भी ट्रिनिटी ( God, Jesus Christ & Holy Spirit) में विश्वास रखते हैं.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteहमारीवाणी को और भी अधिक सुविधाजनक और सुचारू बनाने के लिए प्रोग्रामिंग कार्य चल रहा है, जिस कारण आपको कुछ असुविधा हो सकती है। जैसे ही प्रोग्रामिंग कार्य पूरा होगा आपको हमारीवाणी की और से हिंदी और हिंदी ब्लॉगर के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओँ और भारतीय ब्लागर के लिए ढेरों रोचक सुविधाएँ और ब्लॉग्गिंग को प्रोत्साहन के लिए प्रोग्राम नज़र आएँगे। अगर आपको हमारीवाणी.कॉम को प्रयोग करने में असुविधा हो रही हो अथवा आपका कोई सुझाव हो तो आप "हमसे संपर्क करें" पर चटका (click) लगा कर हमसे संपर्क कर सकते हैं।
ReplyDeleteटीम हमारीवाणी
हमारीवाणी पर ब्लॉग पंजीकृत करने की विधि
तारकेश्वर गिरी जी,
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर लगा हमारीवाणी का कोड ठीक नहीं है, कृपया अपने ब्लॉग के पते में से www हटा दो. ब्लॉग के पते में www नहीं होता है.
अच्छा है ! गिरी जी लगे रहो ।
ReplyDeleteआपने बड़ी मेहनत की प्रभुजी !
ReplyDeleteफिर भी बहुत कुछ छूट गया है...........
मैं इसलिए नहीं लिख रहा क्योंकि इस पूरे शब्द-विलास का श्रेय आपको ही मिलना चाहिए......
आपकी अन्तिम प्रस्तुति के बाद भी कुछ छूट गया तो, मैं ज़रूर सूचित करूँगा....
धन्यवाद !
.
ReplyDeleteत्रिदेव-ब्रम्हा, विष्णु महेश
त्रिगुण- सत्व , रज , तम
त्रिकाल -भुत , भविष्य , वर्तमान
त्रिदोष -वाट, पित्त , कफ
त्रि-एषणा- प्राण एषणा , धन-एषणा , परलोक-एषणा
त्रिस्तंभ -आहार , निद्रा , ब्रम्हचर्य
सुन्दर लेख...आभार..आगे का इंतज़ार रहेगा।
..
कृपया वाट को वात पढ़ा जाए।
ReplyDeleteकाफी विमर्श चल रहा है यहाँ तो. :)
ReplyDeleteएक नया विषय पिछली post से एक दम हत कर। गिरी जी आप हमेशा गुगली डलते हो, बढिया है, कोई नही अनुमान लगा सकता कि आपका अगला विषय क्या होगा।
ReplyDeleteमस्त|
agli post shaam ko
ReplyDeleteत्रिदेव के साथ साथ त्रिलोक भी है.
ReplyDeleteसुज्ञ जी कहीं से कुछ भी निकाल देते हैं क्या भाई ?.
ReplyDeleteऔर पूरी दुनिया में सिर्फ तीन चीज़ें ही आजकल हो रही हैं.... लड़ाई, झगडा और क़त्ले-आम.... वैसे यह तीन का तिगाड़ा बहोत दूर की कौड़ी लाये हैं आप खोज कर.... जिनपर जल्दी किसी का ध्यान नहीं जाता है...
ReplyDeleteबहुत मेहनत की है आपने .. अंतर सोहिल जी और दिब्या श्रीवास्तव जी ने इस सुंदर लेख में और कई विंदू जोड दिए .. बढिया रहा !!
ReplyDeleteहमें तो आज पता चला कि कुछ लोग 3 को बुरा मानते हैं।
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