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Saturday, September 11, 2010

दवु-दवु बर्षा, गगरी में अडंसा -तारकेश्वर गिरी.

दवु - दवु वर्षा , गगरी में अडंसा।

दवु - दवु घाम करा , सुगवा सलाम करा।

ये वो कहावते हैं जो हम बचपन में अपने दोस्तों के साथ खेलते हुए गाया करते थे। जब हलकी फुलकी बारिश होती थी तो हमारे सारे मित्र ये गाना गाया करते थे - जिसका मतलब ये हैं कि ये बादल देवता इतना वर्षो को हर जगह खूब पानी हो जाये, या ये कह ले कि सबकी गगरी में पूरा पानी भर जाये।

दूसरी लाइन का मतलब ये हैं कि जब बारिश ज्यादा हो ने लगे उस समय इस का मतलब ये था कि हे बादल देवता अब बारिश बंद करके धुप ले आये ।

कितना प्यारा होता हैं बचपन और वो भी उस ज़माने के गाँव का। और साथ में लोक गीत और भी अपने मात्र भाषा भोजपुरी में।

5 comments:

  1. गणेश चतुर्थी और ईद की शुभकामनाएं।

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  2. गिरी जी आपने बचपन की यादो को वापस ला कर एकदम सामने खडा कर दिया।

    एक संशोधन चाहुंगा - इसे अन्यथा मत लीजीयेगा, अपनी मातृ भाषा तो हिन्दी ही है, भोजपुरी उसकी एक शाखा है, ये राजनेता हमे बाँटने हेतु भोजपुरी भाषा का राग छेडते है।

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  3. bilkul sahi kah rahe hai aap Ravindra ji , Main apse sahmat hun

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  4. do not become fool on the politics of language.
    every language is good and a tool to communicate.

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  5. अच्छी पोस्ट लगी...
    गणेश चतुर्थी और ईद की शुभकामनाएं।

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