में बिलकुल ही उदार सोच रखने वाला इन्सान हूँ, आज सुबह कि न्यूज़ देखा तो लाहौर में हाहाकार मचा हुआ था। चीखते - चिल्लाते बच्चे, रोती-बिलखती औरते, हर तरफ रोने और चिल्लाने कि आवाज।
पता चला कि कल शाम को लाहौर में तीन आत्मघाती हुआ था , जिसमे लगभग ४० लोग मरे गए और करीब २०० लोग घायल हुए थे।
वजह थी शिया और सुन्नी का आपसी विवाद। आखिर क्यों होते हैं इस तरह के लोग जो सिर्फ धर्म के नाम पर हजारो बेगुनाहों को मौत के घाट उतर देते हैं।
कंही हिन्दू -मुस्लिम , तो कंही इसाई - मुस्लिम तो कंही शिया और सुन्नी (मुस्लिम बनाम मुस्लिम)। कंही एक मुस्लमान दुसरे मुस्लमान का ही दुश्मन न बन जाये।
में अपने मुस्लिम मित्रो से आग्रह करता हूँ कि , शिया और सुन्नी में किस बात पर विवाद हैं- क्या आप मुझे बता सकते हैं और ये भी बताइए कि शिया और सुन्नी के बीच कि दुरी कैसे ख़त्म हो सकती हैं।
Kyon ek insan dusare insan ka dharm ke nam par khun karta hai.
ReplyDeleteKya Dharm granth ye kahte hain ki Apas main maro kato
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteहमे तो इतना पता है कि हमारे बुजुर्गो ने धर्म की रचना इस लिये की थी की लोग आपस मै प्यार से रहे, ओर उस शाक्ति से डर कर कोई गलत काम ना करे..... लेकिन अब लोग उसी शाक्ति का नाम ले कर इंसान से हेवान बनते जा रहे है, उसी शाक्ति का गलत प्रयोग करते है, आपस मै लडते लाडाते है.....कोन समझाये
ReplyDeleteSabhi Logo Ko Janm Ashtmi Ki Badhai.
ReplyDeleteतारकेश्वर भाई,
ReplyDeleteमैं तो केवल इतना ही कह सकता हूँ की प्यार अल्लाह की इनायत है, तोहफा है जो की नफरत करने वालो को नसीब नहीं होता है. क्योंकि वह शैतान के तोहफों को पसंद करते हैं.
और सबसे असल एक बात तो यह है की जो अल्लाह / ईश्वर / GOD से प्रेम करता है, उसकी इच्छाओं के अनुरूप जीवन व्यतीत करता है, वह कभी किसी से नफरत नहीं करता है. हिन्दू-मुस्लिम, शिया-सुन्नी की बात छोडो वह तो गुनाहगार से भी नफरत नहीं करता है, और नफरत करता है तो केवल और केवल गुनाह से.
आपको एवं आपके परिवार को दुखद और जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ! उम्दा प्रस्तुती!
तारकेश्वर जी इस्लाम इस पर जोर देता है कि उसका मार्ग ही ठीक है शेष सब गलत। इसी मे उनके बीच भी मैं ज्यादा सही की होड लगती है। फिर शुरु होता है होड शबाब लेने का, अधिक लोग अपने पाले मे लाओ, अधिक शबाब लो। इसमे झगडे तो होंगे ही।
ReplyDeleteतारकेश्वर जी एक बात बताना भूल गया था, मुस्लिमों मे सिर्फ शिया और सुन्नी ही नहीं हैं अपितु इसके अलावा अहमदिया (कादियान), सूफी, मुजहिद्दीन आदि भी हैं। मुझे इतने ही नाम मालूम हैं पर सुनते हैं कि कम से कम १३ फिरके हैं इनमे, और इन सभी की अलग अलग मस्जिदें हैं, ये एक दूसरे की मस्जिद मे नही जाते। हम पर छुआ छूत का आरोप लगाने वाले इस विषय मे सदैव चुप रहते हैं।
ReplyDeleteक्या गिरी साहब, ऐसे मासूम सवाल पूछते हो कि कईयों की बोलती बन्द हो जाती है… :) :) :)
ReplyDeleteभई ईरान-ईराक 14 साल तक लड़े, फ़ायदा उठाया अमेरिका-रुस ने… फ़िर भी जो लोग मुर्गे की एक ऊंची टांग की तरह मेरा धर्म अच्छा, मेरी किताब सबसे बेहतर, मेरे पैगम्बर अन्तिम की रट लगाये रहें और हिन्दुओं को जाति प्रथा-छुआछूत पर लेक्चर दें उनसे कोई क्या कहे…
पहले भी कई बार कहा जा चुका है कि पहले अपने गन्दे कपड़े धो लिये जायें उसके बाद दूसरों के धब्बों पर टिप्पणी करें तो ज्यादा ठीक रहता है, लेकिन ऐसा होगा नहीं… क्योंकि कुछ लोगों के लिये दूसरों के धर्म की कोई इज्जत, कोई वजूद होता ही नहीं…
desh or smaaj ko baantne ki saazish ka duraa naam hi shiyaa sunni kaa maamla he sb dukaane hen smaaj ke mthaadhish bnn kaa jhgdaa he or kuch nhin kyunki mr kr to sbhi ko aek hi jgh jaana he . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeletedesh or smaaj ko baantne ki saazish ka duraa naam hi shiyaa sunni kaa maamla he sb dukaane hen smaaj ke mthaadhish bnn kaa jhgdaa he or kuch nhin kyunki mr kr to sbhi ko aek hi jgh jaana he . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteसभी को मिलजुल कर प्रेम से रहना चाहिए, लगता है आज के ज़माने में इस पंक्ति का कोई महत्तव नहीं है, आज मुस्लिम-मुस्लिम भी मिल कर नहीं रह पा रहा है ......
ReplyDelete( क्या चमत्कार के लिए हिन्दुस्तानी होना जरुरी है ? )
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