सोचिये कि अगर ये कॉमन वेल्थ गेम किसी इस्लामिक देश में हो रहा होता तो क्या ये विदेशी सुवर के मांस कि डिमांड रखते , और अगर रखते तो क्या वो लोग उनकी मांग को मान लेते।
और अगर चाइना या पूर्वी देशो के खिलाडी अगर ये कहते कि हम तो सिर्फ कुत्ते का ही मांस खायेंगे, तो क्या उनकी डिमांड पूरी हो जाती।
Ab Log deemand karenge ki Tanduri Kutta khana hai, Ya Freid chuha
ReplyDeleteबहुत ही अफसोसजनक बात है..... विरोध होना ही चाहिए, बल्कि ऐसे कार्यों को रोकना चाहिए.
ReplyDeleteरीढ़विहीन सत्ताधारियों के बीच राष्ट्रिय स्वाभिमान की बात बेमानी है.
ReplyDeleteलाजवाब पोस्ट मेरी नई पोस्ट भी देखें
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteदुराचारी का कोई धर्म नहीं होता ....
कृपया एक बार पढ़कर टिपण्णी अवश्य दे
(आकाश से उत्पन्न किया जा सकता है गेहू ?!!)
http://oshotheone.blogspot.com/
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ReplyDeleteपर गिरी साहब यह तो एक शर्म निरपेक्ष राष्ट्र है जहाँ के संसाधनो पर पहला हक मुस्लिमों का (जिन्होने इसके पहले ७०० वर्ष भारत पर राज्य किया फिर भी बेचारे शोषित हैं, अभी भी शोषण का शिकार हैं इसलिए porkistan मे जजिया की माँग अकसर होती है) और दूसरा मिशनरियों का है।
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