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Sunday, December 6, 2009

कुछ गद्दार भारतीय


(इस ब्लोग का नाम आपने बिल्कुल सही रखा है..."बेकार की बकवास" ये लेख इस बात का सबसे बडा उदाहरण है...1853 से चिल्ला रहे हो...राम मंदिर, जन्म भुमि....लेकिन आजतक साबित नहीं कर सके॥और आगे भी नही कर सकते हो..क्यौंकि जब कुछ ऐसा है ही नही तो मिलेगा कैसे।)
काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif said... ये टिप्पडी दी श्रीमान काशिफ आरिफ जी,
हमे साबित करने की कोई जरुरत नही है। ये सिर्फ़ आप जैसे कुछ लोगो की वजह से लटका पड़ा है , आप बात करते है १८५७ से । उस समय की अगर बात करेंगे तो शायद आप के बुजुर्ग भी हमारे साथ थे, श्रीमान, आप या आपके बुजुर्ग कंही बिदेश से नही बल्कि आप और आपके बुजुर्गो की जन्मस्थली भी येही हिंदुस्तान ही है जो हमारी है, आप की उत्पति भी हमारे जैसी ही है, न की बाबर की जैसी। जो पैदा कंही हुआ और सपने कंही और के देखने लगा। बस आप के लोगो मैं येही कमी है की आप बाबर के बिचारो से उपर नही सोच पाते, अगर सोचते तो शायद आज ये नौबत नही आती। आज जरुरत है तो साथ साथ मिलकर के चलने की और वो तभी हो सकता है जब आप लोग हमारा साथ देंगे न की विरोध,

4 comments:

  1. यह गद्दार भारतीय काशिफ़ तो आज कुछ और इस विषय पर लेके आया है, उसे जवाब देना चाहिए

    पी.वी. नरसिम्हा राव और कांग्रेस सरकार भी दोषी है बाबरी विध्वंस के... http://hamarahindustaan.blogspot.com/2009/12/pv-narsimha-rao-congress-was-also.html

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  2. bilkul sahi kha apne kam shabdo me satic jawab
    हिन्दी हो antrrashtriya भाषा

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  3. भैये जहाँ ठाँचा था उस जमीन को खोदो. देख लो क्या निकलता है. दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा. मगर सेक्युलरों में सत्य को स्वीकारने की हिम्मत कहाँ?

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  4. ऎसे गद्दार आपको सिर्फ यहाँ हिन्दूस्तान में बहुत मिलेंगें....

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